प्रेरणाप्रद कहानी
शीर्षक: आनंदित रहने की कला
कहानी: बहुत समय पहले की बात है, एक राजा अपने राज्य की तमाम जिम्मेदारियों से परेशान था। उसने सोचा कि अब वह राजपाट छोड़कर अपनी ज़िन्दगी को ईश्वर की खोज में समर्पित कर देगा। उसका पुत्र अभी छोटा था, और राजा को यह चिंता थी कि उसे राज्य का कोई योग्य वारिस नहीं मिला था। वह गुरु के पास गया और अपनी समस्याएँ बताई, साथ ही यह भी कहा कि जब भी उसे ऐसा कोई पात्र व्यक्ति मिलेगा, जो राज्य चलाने के सभी गुण रखता हो, वह अपना राजपाट छोड़कर ईश्वर की भक्ति में लग जाएगा।

शिक्षा: इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि असल में परिवर्तन नहीं हुआ था। राज्य वही था, राजा वही था, काम वही था; फर्क सिर्फ इतना था कि राजा का दृष्टिकोण बदल गया था। उसने यह सोच लिया था कि वह ईश्वर की नौकरी कर रहा है। जब हम अपने दृष्टिकोण को बदलते हैं और यह मानते हैं कि हम जो भी कार्य कर रहे हैं, वह ईश्वर की सेवा है, तो हम हर परिस्थिति में संतुष्ट और खुश रह सकते हैं।
इसी तरह, जीवन में अगर हम अपने कार्यों को "ईश्वर की नौकरी" समझकर करें, तो हर समस्या से ऊपर उठकर हम आनंदित रह सकते हैं।
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