महर्षि कर्वे की प्रेरक जीवन गाथा और योगदान (Inspiring life story and contribution of Maharshi Karve)
महर्षि धोंडो केशव कर्वे: भारत के महान समाज सुधारक और शिक्षा के दूत
महर्षि धोंडो केशव कर्वे को आधुनिक भारत के सबसे प्रतिष्ठित समाज सुधारकों में गिना जाता है। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने, महिलाओं को सशक्त बनाने और शिक्षा का प्रसार करने में अभूतपूर्व योगदान दिया। उनकी कहानी न केवल प्रेरणा का स्रोत है, बल्कि संघर्ष, साहस और सेवा का अद्वितीय उदाहरण भी प्रस्तुत करती है।
जन्म और प्रारंभिक जीवन
महर्षि कर्वे का जन्म 18 अप्रैल 1858 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के मुरुड नामक गाँव में हुआ। उनके पिता श्री केशव पंत एक स्वाभिमानी व्यक्ति थे, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अपने पुत्र को उच्च शिक्षा प्रदान नहीं कर सके। प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही एक प्राइमरी स्कूल में हुई।
मिडिल स्कूल की परीक्षा देने के लिए उन्हें कोल्हापुर जाना पड़ा, और 1881 में उन्होंने मुंबई के रॉबर्ट मनी स्कूल से हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद, 1884 में मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज से गणित विषय में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
शिक्षा के लिए योगदान
महर्षि कर्वे ने अपने जीवन में शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया।
- उन्होंने 50 से भी अधिक प्राइमरी विद्यालयों की स्थापना की।
- 1907 में महिलाओं के लिए महिला विद्यालय की स्थापना की।
- 1916 में महिला विश्वविद्यालय की नींव रखी, जिसे आगे चलकर 'श्रीमती नत्थीबाई महिला विश्वविद्यालय' के नाम से जाना गया।
- शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए 1951 में इस विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया।
समाज सुधार और विधवा पुनर्विवाह
महर्षि कर्वे ने अपने जीवन को समाज सुधार के लिए समर्पित कर दिया।
- 1893 में उन्होंने एक विधवा से विवाह कर समाज में विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहन दिया।
- विधवा और अनाथ महिलाओं के लिए एक आश्रम की स्थापना की।
- उनके प्रयासों से विधवाओं के उद्धार के कार्य को न केवल समाज की मान्यता मिली, बल्कि इसे धन और जन सहयोग भी प्राप्त हुआ।
अंतरराष्ट्रीय यात्राएं और मान्यता
1931-32 में महर्षि कर्वे ने इंग्लैंड, जापान, अमेरिका और अफ्रीका सहित लगभग 35 देशों की यात्रा की। इन यात्राओं में उन्होंने महिला शिक्षा और समाज सुधार के लिए प्रेरणा ली और धन भी जुटाया।
सम्मान और उपलब्धियां
महर्षि कर्वे के महान कार्यों के लिए उन्हें कई सम्मानों से नवाजा गया:
- 1942: बनारस विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि।
- 1951: डी.लिट. की उपाधि।
- 1955: भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण।
- 1958: उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।
निधन
105 वर्षों तक शिक्षा और समाज सुधार के लिए सतत कार्यरत रहने के बाद, 9 नवंबर 1962 को महर्षि कर्वे ने इस संसार को अलविदा कह दिया।
निष्कर्ष
महर्षि धोंडो केशव कर्वे ने समाज में शिक्षा, विशेषकर महिलाओं की शिक्षा, को सुलभ बनाने के लिए जो प्रयास किए, वे आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं। उनके द्वारा किए गए कार्यों ने न केवल समाज को नई दिशा दी, बल्कि यह भी सिखाया कि इच्छाशक्ति और समर्पण के बल पर असंभव को भी संभव किया जा सकता है। उनकी विरासत सदैव प्रेरणा देती रहेगी।
Frequently Asked Questions (FAQs)
FAQs: महर्षि धोंडो केशव कर्वे
प्रश्न 1: महर्षि धोंडो केशव कर्वे का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: महर्षि कर्वे का जन्म 18 अप्रैल 1858 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के मुरुड गांव में हुआ था।
प्रश्न 2: महर्षि कर्वे को किस उपनाम से जाना जाता है?
उत्तर: महर्षि कर्वे को 'महर्षि कर्वे' के नाम से सम्मानपूर्वक याद किया जाता है। वे आधुनिक भारत के महान समाज सुधारकों में से एक माने जाते हैं।
प्रश्न 3: महर्षि कर्वे ने महिलाओं के उत्थान के लिए कौन-कौन से कार्य किए?
उत्तर:
- विधवाओं के पुनर्विवाह का प्रचार किया।
- 1907 में महिला विद्यालय की स्थापना की।
- 1916 में भारत का पहला महिला विश्वविद्यालय स्थापित किया।
- विधवाओं और अनाथ बालिकाओं के लिए आश्रम की स्थापना की।
प्रश्न 4: महर्षि कर्वे को भारत रत्न कब मिला?
उत्तर: महर्षि कर्वे को 1958 में उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।
प्रश्न 5: महर्षि कर्वे की शिक्षा कहां हुई थी?
उत्तर:
- प्रारंभिक शिक्षा: रत्नागिरी के एक प्राइमरी स्कूल में।
- हाई स्कूल: रॉबर्ट मनी स्कूल, मुंबई।
- स्नातक: एलफिंस्टन कॉलेज, मुंबई से गणित विषय में विशेष योग्यता के साथ स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की।
प्रश्न 6: महर्षि कर्वे के सामाजिक कार्यों में विधवा पुनर्विवाह का क्या योगदान रहा?
उत्तर: उन्होंने विधवाओं के उद्धार और पुनर्विवाह के लिए कई प्रयास किए। उन्होंने 1893 में विधवा से विवाह कर समाज को सुधार का उदाहरण दिया। इसके साथ ही उन्होंने विधवाओं के लिए आश्रम और शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराए।
प्रश्न 7: महर्षि कर्वे ने महिलाओं के लिए विदेश यात्रा क्यों की?
उत्तर: 1931-32 में उन्होंने विदेश यात्रा की। इस दौरान उन्होंने महिला विश्वविद्यालयों की कार्य प्रणाली का अध्ययन किया और अपने कार्यों के लिए धन संग्रह भी किया।
प्रश्न 8: महर्षि कर्वे को किन सम्मानों से नवाजा गया?
उत्तर:
- भारत रत्न (1958)
- पद्म भूषण (1955)
- डी.लिट. (पूना और बनारस विश्वविद्यालय)
- उनके सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया गया।
प्रश्न 9: महर्षि कर्वे के प्रेरणास्त्रोत कौन थे?
उत्तर:
गोपालकृष्ण गोखले, दादाभाई नौरोजी, और महादेव गोविंद रानाडे जैसे महान राष्ट्रवादी उनके प्रेरणास्त्रोत थे।
प्रश्न 10: महर्षि कर्वे का निधन कब हुआ?
उत्तर: महर्षि कर्वे का निधन 9 नवंबर 1962 को हुआ।
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