महाकाल / महादेव / भोलेबाबा स्टेटस और मंत्र - Mahakal / Mahadev / Bholebaba status and mantra
जय महाकाल मंत्र
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महाकाल / महादेव / भोलेबाबा स्टेटस |
महादेव की कृपा पाने के लिए इन मंत्रों का करें जाप
ॐ नमः शिवाय
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ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्!
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Mahakal Sanskrit Shloka And Mantra:
यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै यकाराय नम:शिवाय॥
ॐ नमः शिवाय
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मृत्युंजायाय रुद्राय नीलकंठाय शंभवे !
अमृतेशाय शर्वाय महादेवाय ते नम: !!
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|| ॐ महाकालाय नम: शिवाय ||
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न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम्।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो॥
भावार्थ सरल शब्दों में:-
ना ही मैं योग जनता हूँ, और ना ही जप और पूजा पाठ। हे प्रभु (महादेव ) मैं तो आपको बार बार नमस्कार करता हूँ, बुढ़ापा जन्म और मृत्यु के कष्टों से दुखी मेरी दुखो से रक्षा कीजिये। हे प्रभु (महादेव) मैं आपको नमस्कार करता हूँ।
#Jai_Mahakal
भोलेबाबा स्टेटस – Bholenath Status Bholenath Status
पागल सा बच्चा हूँ, पर दिल से #सच्चा हूँ,
थोड़ा सा आवारा हूँ पर “भोलेनाथ” तेरा ही दीवाना हूँ..!!
जय महाकाल !!
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हम भोलेनाथ के नाम की शमा के छोटे से परवाने हैं,
कहने वाले कुछ भी कहें हम तो “भोलेबाबा” के दीवाने हैं..!!
जय भोलेनाथ !!
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गरज उठते गगन सारा समुन्दर छोड़ अपना किनारा,
हिल जाए जहाँ सारा जब गूँजे “महादेव” का नारा..!!
हर हर महादेव !!
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राजनीति नहीं दिलो पर राज करने की ईशा है,
यही मेरे गुरू बाबा “भोलेबाबा” की शिक्षा है..!!
हर हर महादेव !!
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ॐ मस्तक चन्द्रमा सोहे, गंग जटा के बीच,
श्रद्धा से शिवलिंग को, निर्मल जल मन से सीच !!
भोले भंडारी महाकाल की जय
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ब्रह्म अनामय अज भगवंता,
ब्यापक अजित अनादि अनंता।
#कण-कण में महादेव
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रूद्र गायत्री मंत्र Mahadev Shivratri mantra:
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
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महाकाल / महादेव / भोलेबाबा स्टेटस |
महाकाल की जय (Shivji Shayari in Hindi)
गरज उठे गगन सारा, समंदर छोड़े अपना किनारा,
हिल जाये ये जग सारा, जब गूंजे महाकाल का नारा।
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मृत्यु का खौफ़ उनको लगता हैं, जिनके कर्मों में दाग है,
हम तो महाकाल के भक्त हैं, अपने तो खून में ही आग हैं।
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चल रहा हूं धूप में तो महाकाल तेरी छाया है,
शरण तेरी सच्ची है, बाकी सब मोह माया हैं।
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अदभुत भोले तेरी ये माया,
अमरनाथ में डेरा जमाया।
नीलकंठ में बसा तेरा साया,
तू ही मेरे दिल में समाया।
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कर्ता करे न कर सके,
शिव करे सो होय।
तीनों लोक नौ खंड में,
शिव से बड़ा न कोय।।
महाकाल शायरी 2 लाइन
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महाकाल / महादेव / भोलेबाबा स्टेटस |
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कुछ सोचूं तो,
आपका ख्याल आ जाता है;
जय काल महाकाल, महाकाल
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कुछ बोलूं तो होठों पर,
आपका नाम आ जाता है;
जय काल महाकाल, महाकाल
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कब तलक बयाँ करूँ दिल की बात,
आपके सामने;
जय काल महाकाल, महाकाल
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हर सांस में अब महाकाल,
आपका एहसास आ जाता है|
जय काल महाकाल, महाकाल
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मेरे साथ वो खड़ा है,
जो इस जगत में सबसे बड़ा है।।
जय काल महाकाल, महाकाल
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जो सुकून नहीं पूरे संसार में,
वो सुकून है महाकाल के दरबार में।।
जय काल महाकाल, महाकाल
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झुकता नहीं शिव भक्त किसी के आगे,
वो काल भी क्या करेगा महाकाल के आगे।।
जय काल महाकाल, महाकाल
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हम महाकाल के भक्त हैं,
नया साल नहीं शिवरात्रि मनाएंगे।।
जय काल महाकाल, महाकाल
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औकात का मसला था महादेव,
वरना वो और मैं हिंदू ही थे।।
जय काल महाकाल, महाकाल
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महाकाल / महादेव / भोलेबाबा स्टेटस |
महामृत्युंजय मंत्र: Mahamrityunjay mantra:
ॐ त्र्यम्बकं स्यजा महे सुगन्धिम्पुष्टिवर्द्धनम्।
उर्व्वारूकमिव बंधनान्नमृत्योर्म्मुक्षीयमामृतात्
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महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ:
त्रयंबकम- त्रि.नेत्रों वाला।
यजामहे – हम पूजा करते है।
सुगंधिम- मीठी महक वाला।
पुष्टि- एक सुपोषित स्थिति / जीवन की परिपूर्णता।
वर्धनम- वह जो पालन करता है / शक्ति देता है।
उर्वारुक- ककड़ी।
इवत्र- इस तरह।
बंधनात्र- वास्तव में समाप्ति से अधिक लंबी है।
मृत्यु- मृत्यु से।
मुक्षिया, मुक्ति दें।
अमृतात- अमरता /मोक्ष।
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सरल अनुवाद:
इस मंत्र का मतलब है कि हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे जगत का पालन-पोषण करते हैं।
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सम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र’ Mahadev Mahamrityunjay mantra Status
ॐ ह्रीं जूं सः भूर्भुवः स्वः,
ॐ त्र्यम्बकं स्यजा महे
सुगन्धिम्पुष्टिवर्द्धनम्।
उर्व्वारूकमिव बंधनान्नमृत्योर्म्मुक्षीयमामृतात्
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ’
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ॐ मृत्युंजय महादेव त्राहिमां शरणागतम
जन्म मृत्यु जरा व्याधि पीड़ितं कर्म बंधनः।।
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Shiv/Mahadev/Mahakal Status In Hindi:
महाकाल की सेवा जिसको मिले सबसे बड़ा धनवान है वो….
महाकाल की लगन जिसको लगी किस्मत वाला इंसान है वो।
जय श्री महाकाल
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सिर उठा के चलते है, महादेव के मेहरबानी है…
भोलेनाथ की भक्ति करना मेरे जीवन की कहानी है।
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जटा कारी भस्म धरी नीलकंठ त्रिपुरारी है,
तांडव कारी, क्रोध धारी, हर हर महादेव भोले भंडारी है।
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सबसे बड़ा तेरा दरबार है ,
तू ही सबका पालनहार है …
सज़ा दे या माफ़ी दे,
महादेव तू ही हमारी सरकार है।
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ॐ अवदात नहीं किसी से,
ना टूटी तक़दीर है
महाकाल के भक्त है
हम ये हमारे माथे की लकीर है।
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ॐ ऊँचे कैलास पर है डेरा डाला,
अद्भुत अनुपम रूप निराला,
जटा में गंगा, नीलकंठ त्रिशूल धरी है,
त्रिपुरारी महादेव भक्तो पर कृपा करि है।
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सच्चे मन से पूजा सिव को,
कस्ट काटेंगे तन मन जीवन के।
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महाकाल/महादेव [mahadev mantra sanskrit status]
‘कर-चरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम,
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व,
जय-जय करुणाब्धे, श्री महादेव शम्भो॥’
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अर्थात —
हाथों, पैरों, वाणी, शरीर, कर्म और कर्णों से, अथवा अपने नेत्रों से व मन से भी हमने जो अपराध किए हों, वे विहित हों अथवा अविहित, उन सबको है करुणासागर महादेव शम्भो! क्षमा कीजिए। हे करुणानिधन जगत पति महादेव आपकी जय हो, जय हो।
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ॐ त्र्यम्बकं य्यजामहे सुगन्धिम्पतिवेदनम्।
उर्व्वारूकमिव बन्धनादितोमुक्षीय मामुत:।।
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नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम:शिवाय॥
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अंगारों से श्रृंगार कर, तांडव करें प्रचंड,
महाकाल के दास हैं, तीन लोक नौ खंड..
शक्ति अग्नि रूप है, शिव शम्भू महाकाल,
शव में शिव का वास हो, शैशव बने त्रिकाल..
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‘रुद्राष्टकम’
भगवांन शिव बहुत जल्द ही अपने भक्तो पर प्रसन्न ही जाते है इसलिए उन्हें “आशुतोष” कहा जाता है। भगवान शिव जी का श्लोक पढ़ने में जितना मनोहक होता है उतना सुनाने में भी निचे ‘रुद्राष्टकम’
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‘रुद्राष्टकम’ Rudrashtakam shlokas:
१.नमामीशमीशान निर्वाणरूपं । विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं । चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्।।
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अर्थात –
हे मोक्षरूप, विभु, व्यापक ब्रह्म, वेदस्वरूप ईश्वर, और सबके स्वामी शिवजी, मैं आपको नमस्कार करता हूं. निज स्वरूप में स्थित, भेद रहित, इच्छा रहित, चेतन, आकाश रूप शिवजी मैं आपको नमस्कार करता हूं।
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२. निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं । गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम्।
करालं महाकालकालं कृपालं । गुणागारसंसारपारं नतोऽहम्।।
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अर्थात –
हे निराकार, ओंकार के मूल, तुरीय अर्थात तीनों गुणों [वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों ]से परे, कैलाशपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे परमेशवर को मैं नमस्कार करता हूं।
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३. तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं । मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम्।
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा । लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा।।
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अर्थात –
जो हिमाचल के समान गौरवर्ण तथा गंभीर हैं, जिनके शरीर में करोड़ों कामदेवों की ज्योति एवं शोभा है, जिनके सिर पर सुंदर नदी गंगाजी विराजमान हैं, जिनके ललाट पर द्वितीया का चन्द्रमा और गले में सर्प सुशोभित है।
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४. चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं । प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम्।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं । प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि।।
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अर्थात –
जिनके कानों में कुण्डल शोभा पा रहे हैं. सुन्दर भृकुटी और विशाल नेत्र हैं, जो प्रसन्न मुख, नीलकण्ठ और दयालु हैं. सिंह चर्म का वस्त्र धारण किए और मुण्डमाल पहने हैं, उन सबके प्यारे और सबके नाथ श्री शंकरजी को मैं भजता हूं उनको नमन करता हूँ।
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गंगा तरंग रमणीय जटा कलापं
गौरी निरंतर विभूषित वाम भागं
नारायण प्रियमनंग मदापहारं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥
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महाकाल मंत्र साधना
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।। श्रवणनयनजं वा मानसं
वापराधम, विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व, जय-जय करुणाब्धे, श्री महादेव शम्भो॥
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