अमर शहीद मदन लाल ढींगरा महान देशभक्त व धर्मनिष्ठ क्रांतिकारी थे।
जन्म- 18 फ़रवरी 1883 को पंजाब में हुआ था।
निधन- 17 अगस्त 1909 को इंग्लैंड में हुई।
उपलब्धि- अमर शहीद मदन लाल ढींगरा महान देशभक्त व धर्मनिष्ठ क्रांतिकारी थे।
जीवन परिचय-
मदन लाल ढींगरा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान् क्रान्तिकारी थे। स्वतंत्रत भारत के निर्माण के लिए भारत-माता के कितने शूरवीरों ने हंसते-हंसते अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था, उन्हीं महान् शूरवीरों में ‘अमर शहीद मदन लाल ढींगरा’ का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने योग्य है। अमर शहीद मदन लाल ढींगरा महान् देशभक्त, धर्मनिष्ठ क्रांतिकारी थे। उन्होंने भारत माँ की आज़ादी के लिए जीवन-पर्यन्त अनेक प्रकार के कष्ट सहन किए, परन्तु अपने मार्ग से विचलित न हुए और स्वाधीनता प्राप्ति के लिए फांसी पर झूल गए।आरंभिक जीवन
मदन लाल ढींगरा का जन्म सन् 1883 में पंजाब में एक संपन्न हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता सिविल सर्जन थे और अंग्रेज़ी रंग में पूरे रंगे हुए थे; परंतु माताजी अत्यन्त धार्मिक एवं भारतीय संस्कारों से परिपूर्ण महिला थीं। उनका परिवार अंग्रेजों का विश्वासपात्र था। जब मदन लाल को भारतीय स्वतंत्रता सम्बन्धी क्रान्ति के आरोप में लाहौर के एक विद्यालय से निकाल दिया गया, तो परिवार ने मदन लाल से नाता तोड़ लिया। मदन लाल को एक लिपिक के रूप में, एक तांगा-चालक के रूप में और एक कारखाने में श्रमिक के रूप में काम करना पड़ा। वहाँ उन्होंने एक यूनियन (संघ) बनाने का प्रयास किया; परंतु वहां से भी उन्हें निकाल दिया गया। कुछ दिन उन्होंने मुम्बई में भी काम किया। अपनी बड़े भाई से विचार विमर्श कर वे सन् 1906 में उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैड गये, जहां 'यूनिवर्सिटी कॉलेज' लंदन में यांत्रिक प्रौद्योगिकी में प्रवेश लिया। इसके लिए उन्हें उनके बड़े भाई एवं इंग्लैंड के कुछ राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं से आर्थिक सहायता मिली।सावरकर का सान्निध्य
लंदन में वह विनायक दामोदर सावरकर और श्याम जी कृष्ण वर्मा जैसे कट्टर देशभक्तों के संपर्क में आए। सावरकर ने उन्हें हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया। ढींगरा 'अभिनव भारत मंडल' के सदस्य होने के साथ ही 'इंडिया हाउस' नाम के संगठन से भी जुड़ गए जो भारतीय विद्यार्थियों के लिए राजनीतिक गतिविधियों का आधार था। इस दौरान सावरकर और ढींगरा के अतिरिक्त ब्रिटेन में पढ़ने वाले अन्य बहुत से भारतीय छात्र भारत में खुदीराम बोस, कनानी दत्त, सतिंदर पाल और कांशीराम जैसे देशभक्तों को फांसी दिए जाने की घटनाओं से तिलमिला उठे और उन्होंने बदला लेने की ठानी।कर्ज़न वाइली की हत्या
1 जुलाई 1909 को 'इंडियन नेशनल एसोसिएशन' के लंदन में आयोजित वार्षिक दिवस समारोह में बहुत से भारतीय और अंग्रेज़ शामिल हुए। ढींगरा इस समारोह में अंग्रेज़ों को सबक सिखाने के उद्देश्य से गए थे। अंग्रेज़ों के लिए भारतीयों से जासूसी कराने वाले ब्रिटिश अधिकारी सर कर्ज़न वाइली ने जैसे ही हाल में प्रवेश किया तो ढींगरा ने रिवाल्वर से उस पर चार गोलियां दाग़ दीं। कर्ज़न को बचाने की कोशिश करने वाला पारसी डॉक्टर कोवासी ललकाका भी ढींगरा की गोलियों से मारा गया।निधन
कर्ज़न वाइली को गोली मारने के बाद मदन लाल ढींगरा ने अपने पिस्तौल से अपनी हत्या करनी चाही परंतु उन्हें पकड लिया गया। 23 जुलाई को ढींगरा के प्रकरण की सुनवाई पुराने बेली कोर्ट, लंदन में हुई। उनको मृत्युदण्ड दिया गया और 17 अगस्त सन् 1909 को फांसी दे दी गयी। इस महान् क्रांतिकारी के रक्त से राष्ट्रभक्ति के जो बीज उत्पन्न हुए वह हमारे देश के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान है।FQCs (Frequently Asked Questions)
1. अमर शहीद मदन लाल ढींगरा कौन थे?
- उत्तर: अमर शहीद मदन लाल ढींगरा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। उन्होंने भारत माता की आज़ादी के लिए अपनी जान की आहुति दी और फांसी पर झूल गए।
2. मदन लाल ढींगरा का जन्म कब हुआ था?
- उत्तर: मदन लाल ढींगरा का जन्म 18 फरवरी 1883 को पंजाब में हुआ था।
3. मदन लाल ढींगरा की मृत्यु कब हुई?
- उत्तर: मदन लाल ढींगरा का निधन 17 अगस्त 1909 को इंग्लैंड में हुआ था, जब उन्हें फांसी दी गई थी।
4. मदन लाल ढींगरा ने किसे गोली मारी थी?
- उत्तर: 1 जुलाई 1909 को मदन लाल ढींगरा ने इंग्लैंड में सर कर्ज़न वाइली को गोली मारी थी। वह ब्रिटिश अधिकारी थे जो भारतीयों से जासूसी करवाते थे।
5. मदन लाल ढींगरा के आरंभिक जीवन के बारे में क्या जानकारी है?
- उत्तर: मदन लाल ढींगरा का जन्म एक संपन्न हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता अंग्रेज़ी शासन में सिविल सर्जन थे, जबकि उनकी मां धार्मिक और भारतीय संस्कारों से परिपूर्ण थीं। शिक्षा में रुचि के बावजूद उनके परिवार ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ने के बाद अस्वीकार कर दिया था।
6. मदन लाल ढींगरा ने इंग्लैंड में किसे प्रशिक्षित किया?
- उत्तर: इंग्लैंड में मदन लाल ढींगरा ने विनायक दामोदर सावरकर से हथियार चलाने का प्रशिक्षण लिया और वह 'अभिनव भारत मंडल' से जुड़े हुए थे।
7. कर्ज़न वाइली की हत्या का उद्देश्य क्या था?
- उत्तर: कर्ज़न वाइली की हत्या का उद्देश्य अंग्रेज़ों को भारतीयों से जासूसी कराने के कारण सबक सिखाना था। मदन लाल ढींगरा ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपने योगदान को मजबूत करने के लिए यह कदम उठाया।
8. मदन लाल ढींगरा के योगदान को कैसे याद किया जाता है?
- उत्तर: मदन लाल ढींगरा के योगदान को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान क्रांतिकारी के रूप में याद किया जाता है। उनके बलिदान से राष्ट्रभक्ति के बीज उत्पन्न हुए और उनका नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया।
9. मदन लाल ढींगरा को कौन सा संगठनों से जुड़ा था?
- उत्तर: मदन लाल ढींगरा 'अभिनव भारत मंडल' और 'इंडिया हाउस' से जुड़े हुए थे, जो ब्रिटेन में भारतीय विद्यार्थियों के लिए राजनीतिक गतिविधियों का आधार थे।
10. मदन लाल ढींगरा की शहादत से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्या बदलाव आया?
- उत्तर: मदन लाल ढींगरा की शहादत ने भारतीय युवाओं में स्वतंत्रता संग्राम के प्रति जागरूकता और प्रेरणा का संचार किया। उनके बलिदान ने क्रांतिकारियों को अधिक प्रेरित किया और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आंदोलन को और मजबूत किया।
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