शिव पूजन में ध्यान देने योग्य बातें
सिद्ध महात्माओं, प्रकाण्ड विद्वानों एवं शास्त्र ग्रन्थों के आधार पर शिव पूजन में ध्यान देने व सावधानी रखने योग्य बातें स्पष्ट की जा रही हैं, जिससे कि साधकों को शीघ्र ही फल प्राप्ति हो।

शिव पूजन के आवश्यक नियम एवं सावधानियां
स्नान के पश्चात पूजा करें – शिव पूजा के लिए स्नान करना अनिवार्य है। साथ ही, धोती पहनना आवश्यक है, और इसे लांगदार तरीके से पहनना चाहिए। तहमत की तरह लपेटकर पूजा करना उचित नहीं माना जाता।
गणपति एवं पार्वती पूजन – शिव पूजन से पूर्व गणपति पूजन करना आवश्यक है और माता पार्वती की पूजा भी साथ में करनी चाहिए।
दिशा का ध्यान रखें – शिव पूजन उत्तर दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए।
त्रिपुण्ड और रुद्राक्ष – साधक को त्रिपुण्ड अवश्य लगाना चाहिए और यदि संभव हो तो रुद्राक्ष की माला पहनकर पूजा करना श्रेष्ठ माना गया है।
बिल्व पत्र का शुद्धता – बिल्व पत्र शुद्ध एवं ताजे होने चाहिए, टूटे-फूटे नहीं होने चाहिए।
कमाई का अंश पूजा में अर्पित करें – साधक को अपनी मासिक आय में से एक दिन की कमाई शिव पूजा या साधना में व्यय करनी चाहिए।
स्वयं पूजा करें – जहां तक संभव हो, स्वयं शिव पूजा करें, ब्राह्मण की सहायता न्यूनतम लें।
विशेष नियम – गणेश जी को तुलसीदल और माता पार्वती को दूर्वा नहीं चढ़ानी चाहिए। पत्र, पुष्प, फल मुख नीचे करके अर्पित नहीं करने चाहिए।
उचित पुष्प अर्पित करें – भगवान शिव को कमल, गुलाब, कनेर, सफेद आक (मदार) पुष्प अत्यधिक प्रिय हैं, धतूरा उन्हें सर्वाधिक प्रिय है।
विशेष पत्ते भी पूजनीय – बिल्व पत्र, खेजड़ी, आँवला, तमाल पत्र, और तुलसी टूटे-फूटे होने पर भी पूजा में स्वीकार्य हैं।
संस्कृत पाठ आवश्यक नहीं – शिव पूजा में संस्कृत पाठ आवश्यक नहीं, मन की सच्ची भावना से पूजा करना भी फलदायी होता है।
स्त्रियों हेतु नियम – यदि किसी स्त्री के बालक का जन्म हुआ हो, तो उन्हें 10 दिन तक केवल मानसिक पूजा करनी चाहिए।
कुमारी कन्याओं हेतु नियम – सुंदर वर प्राप्ति हेतु बाल्यकाल से ही शिव पूजन किया जा सकता है।
अर्ध परिक्रमा करें – शिवलिंग की पूर्ण परिक्रमा नहीं करनी चाहिए, केवल अर्ध परिक्रमा करनी चाहिए।
शिवलिंग का प्रसाद न लें – शिवलिंग पर चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए, किंतु सामने रखा हुआ फल या प्रसाद लिया जा सकता है।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए – कमल या बिल्व पत्र से शिव पूजा करें। एक लाख बिल्व पत्र अर्पण करने से साधक को कुबेर के समान संपत्ति प्राप्त होती है।
मोक्ष प्राप्ति के लिए – एक लाख दर्भ (कुश) से शिव पूजा करनी चाहिए।
संतान प्राप्ति के लिए – शिवलिंग पर एक लाख धतूरे के पुष्प चढ़ाने का विधान शास्त्रों में बताया गया है।
भोग एवं मोक्ष दोनों हेतु – आक के एक लाख पत्ते भगवान शिव को अर्पित करने चाहिए।
रोग मुक्ति हेतु – एक हजार कनेर के पुष्प चढ़ाने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
इच्छा पूर्ति हेतु – एक हजार बिल्व पत्र चढ़ाने से प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है।
लक्ष्मी प्राप्ति हेतु – एक लाख अखंडित चावल अर्पित करने चाहिए।
शरीर पुष्टि हेतु – एक लाख उड़द के दाने चढ़ाने चाहिए।
पुत्र सुख हेतु – गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।
प्रदक्षिणा नियम – शिवलिंग की प्रदक्षिणा दाहिनी ओर से प्रारंभ करनी चाहिए।
इस प्रकार साधकों को शिव पूजा में सावधानी बरतनी चाहिए और उपरोक्त नियमों का पालन करना चाहिए।
शिव स्तुति मंत्र
रुद्रो नर उमा नारी तस्मे तस्ये नमो नमः।
रुद्रो ब्रह्मा उमा वाणी तस्मै तस्ये नमो नमः।।
रुद्रो विष्णुरुमा लक्ष्मीस्तस्मे तस्ये नमो नमः।
रुद्रः सूर्य उमा छाया तस्मै तस्ये नमो नमः।।
रुद्रो दिवा उमा रात्रिस्तस्मै तस्ये नमो नमः।
रुद्री यज्ञ उमा वेदिस्तस्मे तस्ये नमो नमः।।
रुद्रोडर्थ अक्षरा सोमा तस्मै तस्यै नमो नमः।
रुद्रो लिंगमुमा पीठ तस्मै तस्ये नमो नमः।।
ॐ नमः शिवाय
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