पहाड़ों पर उगने वाला मीठा करेला बन रहा सबकी पसंद - (Sweet bitter gourd grown in the mountains is becoming everyone's favorite.)
पहाड़ों पर उगने वाला मीठा करेला बन रहा सबकी पसंद

हिमालयी क्षेत्रों की संस्कृति और खान-पान की अपनी अलग विशेषताएं हैं। यहां के अनाज और सब्जियां पोषण से भरपूर होती हैं। इन्हीं में से एक है मीठा करेला, जिसे अलग-अलग क्षेत्रों में परमला, ककोड़ा, राम करेला, गुजकरेला, किंकोड़ा और घुनगड़ी जैसे नामों से जाना जाता है।
पहाड़ों में प्रचुर मात्रा में उगने वाली सब्जी
अगर आप ठेठ पहाड़ी हैं, तो आपने जरूर मीठा करेला खाया होगा। यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है और अगस्त से नवंबर तक पहाड़ों में बेलों पर खूब उगता है। इसकी सब्जी बेहद स्वादिष्ट होती है और इसके औषधीय गुण इसे और भी खास बनाते हैं।
मीठे करेले के स्वास्थ्यवर्धक गुण
एक शोध में पता चला है कि मीठे करेले में पर्याप्त मात्रा में आयरन, एंटीऑक्सीडेंट, और खून को साफ करने वाले तत्व मौजूद होते हैं। ये तत्व शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, एनीमिया से बचाने और हीमोग्लोबिन स्तर को सुधारने में मदद करते हैं।
एंटीऑक्सीडेंट कैंसर से बचाव, आंखों की रोशनी बढ़ाने और लिवर को मजबूत करने में सहायक होते हैं। डायबिटीज के लिए यह प्रभावी दवा के रूप में भी जाना जाता है।
स्वाद और उपयोग
यह करेला चीनी की तरह मीठा नहीं होता, लेकिन कड़वा न होने के कारण इसे मीठा करेला कहा जाता है। पहाड़ों में इसे ज्यादातर कंकोड़ा कहा जाता है और यह बरसात की सब्जियों के आखिरी चरण में आता है। इसकी सब्जी मिनटों में तैयार हो जाती है और इसे विभिन्न तरीकों से पकाया जा सकता है।
कंकोड़े की सब्जी बनाने के तरीके:
सूखी सब्जी हल्के भाप देकर बनाई जाती है।
इसे बेसन के घोल (आलण) के साथ तरीदार सब्जी के रूप में भी तैयार किया जाता है।
सूखे कंकोड़े (सुक्से) से भी स्वादिष्ट सब्जी बनाई जा सकती है।
इसके बीज भूनकर खाए जा सकते हैं, जो काफी स्वादिष्ट होते हैं।
कच्चे कंकोड़े भी खाए जा सकते हैं, जिनका स्वाद ककड़ी (खीरा) जैसा होता है।
औषधीय उपयोग
डायबिटीज: मीठा करेला रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है।
चर्म रोग: इसके पत्तों का रस पेट के कीड़ों को मारने और कील-मुहांसों को ठीक करने में सहायक होता है।
कुष्ठ रोग: इसकी जड़ को सुखाकर तैयार किया गया चूर्ण चर्म रोगों के लिए उपयोगी माना जाता है।
बढ़ती लोकप्रियता
अब देहरादून और हल्द्वानी जैसे शहरों में भी मीठा करेला बिकने लगा है। इसका वैज्ञानिक नाम सिलेंथरा पेडाटा (Celenthera Pedata) है।
राम करेला नाम कैसे पड़ा?
इसका नाम राम करेला क्यों पड़ा, इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं है। किंवदंती के अनुसार, भगवान राम ने वनवास के दौरान इसका सेवन किया था, इसलिए इसे राम करेला कहा जाने लगा।
निष्कर्ष
मीठा करेला सिर्फ एक सब्जी नहीं, बल्कि एक औषधीय वरदान है। यह स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक दोनों है। उत्तराखंड और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों के किसान अब इसकी खेती से अच्छी आमदनी भी कर रहे हैं।
अगर आपने अब तक मीठा करेला नहीं खाया है, तो इसे जरूर आजमाइए और इसके अद्भुत स्वाद और गुणों का आनंद लीजिए!
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