तीन शहर, तीन जेल, और तीन फंदे - पर दिन एक (Three cities, three prisons, and three nooses - but one day.)

तीन शहर, तीन जेल, और तीन फंदे - पर दिन एक

भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले तीन महान क्रांतिकारी पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, मोहम्मद अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ और ठाकुर रोशन सिंह को 19 दिसंबर 1927 को ब्रिटिश सरकार द्वारा फांसी दे दी गई। ये तीनों वीर मातृभूमि की आज़ादी के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए और अमर हो गए। इस दिन को पूरे भारत में बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

काकोरी कांड और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

9 अगस्त 1925 की रात, पंडित चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्व में क्रांतिकारियों के एक दल ने लखनऊ के पास काकोरी और आलमनगर स्टेशनों के बीच ब्रिटिश सरकार के खजाने को लूट लिया। इस घटना को इतिहास में काकोरी कांड के नाम से जाना जाता है।

ब्रिटिश हुकूमत ने इस घटना के बाद कठोर कार्रवाई की और पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, मोहम्मद अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ, ठाकुर रोशन सिंह और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी को फांसी की सजा सुनाई।

स्वतंत्रता सेनानियों का संक्षिप्त परिचय

1. पंडित रामप्रसाद बिस्मिल

रामप्रसाद बिस्मिल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी थे। उनका जन्म 11 जून 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था। वे हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।

  • काकोरी कांड के प्रमुख योजनाकारों में से एक थे।

  • स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई क्रांतिकारी साहित्य लिखे।

  • 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर जेल में फांसी दी गई।

2. मोहम्मद अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ

अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ का जन्म 22 अक्टूबर 1900 को शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ। वे क्रांतिकारी गतिविधियों के साथ-साथ एक उत्कृष्ट शायर भी थे।

  • काकोरी कांड में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति दी।

  • 19 दिसंबर 1927 को फैजाबाद जेल में फांसी दी गई।

3. ठाकुर रोशन सिंह

ठाकुर रोशन सिंह का जन्म 22 जनवरी 1892 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में हुआ था। वे असहयोग आंदोलन में भी सक्रिय थे।

  • काकोरी कांड में शामिल न होने के बावजूद फांसी दी गई।

  • ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई आंदोलनों में हिस्सा लिया।

  • 19 दिसंबर 1927 को प्रयागराज (इलाहाबाद) जेल में फांसी दी गई।

4. राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी

राजेंद्रनाथ लाहिड़ी एक बुद्धिजीवी और क्रांतिकारी थे। वे काकोरी कांड के प्रमुख सदस्यों में से एक थे।

  • उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खजाने को लूटने की योजना बनाई।

  • जेल में भी वे अपने आदर्शों पर अडिग रहे।

  • 17 दिसंबर 1927 को गोंडा जेल में फांसी दी गई।

निष्कर्ष

इन महान स्वतंत्रता सेनानियों का बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का स्वर्णिम अध्याय है। उनकी शहादत ने भारत के युवाओं को प्रेरित किया और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष को और तेज़ कर दिया। आज भी उनका बलिदान हमें देशभक्ति और साहस की प्रेरणा देता है।

"सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-कातिल में है!"

बलिदान दिवस पर इन अमर शहीदों को शत्-शत् नमन।

टिप्पणियाँ