मानवेन्द्र शाह के शासनकाल में टिहरी रियासत की प्रशासनिक व्यवस्था (Administrative system of Tehri state during the reign of Manvendra Shah.)

मानवेन्द्र शाह के शासनकाल में टिहरी रियासत की प्रशासनिक व्यवस्था

नरेन्द्र शाह ने 1948 ईस्वी में स्वेच्छा से गद्दी छोड़ दी और उनके पुत्र मानवेन्द्र शाह टिहरी रियासत के अंतिम शासक बने। उनके शासनकाल में प्रशासनिक व्यवस्था परंपराओं और आदर्शों पर आधारित थी, जिसमें राजा प्रमुख होते हुए भी मंत्रिमंडल की सलाह से शासन करता था। अंततः 1 अगस्त 1949 को टिहरी रियासत का भारतीय संघ में विलय हो गया और यह क्षेत्र तत्कालीन संयुक्त प्रांत का एक जनपद बन गया।

प्रशासनिक संरचना

टिहरी रियासत की प्रशासनिक व्यवस्था को कई स्तरों में विभाजित किया गया था:

  • राजा: प्रशासन का सर्वोच्च अधिकारी राजा था, जो कार्यपालिका और न्यायपालिका का प्रमुख भी होता था।

  • दीवान/वजीर: राजा के बाद सर्वोच्च पदाधिकारी दीवान था, जो राज्य की नीतियों का निर्धारण करता था।

  • प्रशासनिक इकाइयाँ: राज्य को ठाणों, परगनों, पट्टियों और ग्रामों में विभाजित किया गया था।

    • ठाणेदार: चार ठाणों का प्रशासक।

    • सुपरवाइजर: परगना स्तर का अधिकारी।

    • पटवारी: पट्टी में राजस्व और पुलिस व्यवस्था का प्रमुख।

    • पधान: ग्राम स्तर पर प्रशासनिक इकाई का प्रमुख।

भूमि प्रबंधन

रियासत में समस्त भूमि का स्वामित्व राजा के पास था। कृषि भूमि तीन श्रेणियों में विभाजित थी:

  1. मौरूसीदार: सीधे राज्य को राजस्व देने वाले किसान।

  2. खायकर: मौरूसीदार से भूमि लेकर खेती करने वाले।

  3. सिरतान: खायकर से भूमि लेकर खेती करने वाले। भूमि की खरीद-बिक्री प्रतिबंधित थी, जिससे स्थानीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था संरक्षित रहती थी।

शिक्षा व्यवस्था

प्रारंभ में शिक्षा पर कम ध्यान दिया गया, लेकिन प्रताप शाह और कीर्ति शाह ने इसे प्रोत्साहित किया। उन्होंने टिहरी में प्रताप हाईस्कूल, हीवेट संस्कृत पाठशाला, मोहम्मद मदरसा, और कैम्पबेल बोर्डिंग हाउस स्थापित किए। नरेंद्र शाह ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को वित्तीय सहायता दी।

स्वास्थ्य सेवाएँ

  • 1876 में प्रताप शाह ने पहला ‘खैराती शफाखाना’ खोला।

  • कीर्ति शाह ने उत्तरकाशी में कोढ़ अस्पताल और यात्रा मार्गों पर औषधालय स्थापित किए।

  • नरेंद्र शाह के काल में 1923 में आधुनिक चिकित्सालयों की स्थापना हुई।

  • 1940 तक राज्य में 15 आयुर्वेदिक औषधालय और आधुनिक सुविधाओं से युक्त अस्पताल थे।

यातायात एवं संचार व्यवस्था

  • प्रताप शाह ने सड़कों का निर्माण शुरू किया।

  • नरेंद्र शाह के काल में नरेंद्रनगर-मुनि की रेती-ऋषिकेश और नरेंद्रनगर-टिहरी मोटर मार्ग बने।

न्याय व्यवस्था

  • सुदर्शन शाह के समय छोटी दीवानी, बड़ी दीवानी, सरसरी न्यायालय और कलक्टरी न्यायालय खोले गए।

  • नरेंद्र शाह ने 1938 में हाईकोर्ट की स्थापना की।

  • ‘नरेंद्र हिंदू लॉ’ के तहत परंपरागत न्याय व्यवस्था को संहिताबद्ध किया गया।

  • फौजदारी मामलों के लिए सेशन न्यायालय स्थापित किए गए।

अर्थव्यवस्था

प्रारंभिक काल में आर्थिक स्थिति कमजोर थी, जिसके कारण महाराज सुदर्शन शाह को राज्य का आधा भाग अंग्रेजों को सौंपना पड़ा। नरेंद्र शाह के काल में राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई और आधुनिक प्रशासनिक सुविधाएँ विकसित हुईं।

निष्कर्ष

मानवेन्द्र शाह के काल में टिहरी रियासत की प्रशासनिक व्यवस्था सुव्यवस्थित थी। भूमि, शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय, यातायात और आर्थिक व्यवस्था को संगठित किया गया, लेकिन राजनीतिक परिस्थितियों और जनता के आंदोलनों के कारण 1949 में टिहरी रियासत का भारत में विलय हो गया।

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