एकादश रूद्र: भगवान शिव के 11 दिव्य स्वरूप और उनकी महिमा (Eleven Rudras: The 11 divine forms of Lord Shiva and their glory.)

एकादश रूद्र: भगवान शिव के 11 दिव्य स्वरूप और उनकी महिमा

भगवान शिव के ग्यारह स्वरूपों की महिमा और उनकी आराधना से प्राप्त होने वाले आशीर्वादों को जानें। "एकादश रूद्र" के रहस्यमय स्वरूपों का वर्णन और शिव भक्ति के महत्व को समझें। इस लेख में आपको शिव के विभिन्न स्वरूपों, उनके पूजन स्थलों और शिव भक्ति की शक्ति से जुड़ी गहरी जानकारी मिलेगी। हर-हर महादेव! 🚩🙏

एकादश रूद्र

प्रथम शंभु नाम, सुर असुर के हैं निर्माता,
शिव काँची स्थित एकाग्रनाथ ज्ञात हैं,
लेपन चमेली तेल होता शिवलिंग पर,
जल नहीं चढ़ता ज्योतिपुंज विख्यात हैं।

दूसरा पिनाकी रूप, श्री रंगम त्रिचना पल्ली,
तीसरा स्थाणु काल हस्तीश्वर ज्ञात हैं,
चौथा भर्ग भयनाशक चन्द्रधारी कहलाते,
चिदम्बरम्‌ काबेरी तट पूजित दिनरात हैं।

पाँचवाँ गिरीश, अरुणाचल गिरीश नाथ,
छठा सदाशिव पंचमुख दस भुजाधारी,
काशी विश्वनाथ, काशी रखते त्रिशूल पर
अविनाशी काशी के रक्षक त्रिपुरारी।

सातवें हैं शिव गुजरात सोमनाथ स्थित,
हरनाम पशुपति नाथ हैं मंगलकारी,
साक्षात्‌ परमेश्वर पूजित नेपाल बीच
आठवाँ है रूप हर सदा सुखकारी।

नौवाँ है सर्प नाम डरते यमराज जिससे,
दसवाँ कपाली, दक्ष यज्ञ के विनाशक,
ग्यारहवाँ भव नाम योग, शास्त्र प्रवर्तक,
जिन्हें प्राप्त करता है साधक उपासक।

यो तो अनेक रूप नाम हैं महेश्वर के,
सभी नाम भक्तों के ज्ञान के प्रकाशक,
शिव ही सर्वेश्वर हैं, अगजग के निर्माता,
शासक है विश्व के और शिव ही प्रशासक।


शिव भक्ति महिमा

अगर काम से मुक्ति चाहिए,
तो करनी शिव भक्ति चाहिए,
सहज प्रीति मिलती है शिव की, वे हैं कृपा निधान।
भेद न करते ऊँच-नीच का आशुतोष भगवान्‌।

वे दीनों के दीनानाथ,
लम्बे, चौड़े उनके हाथ।
पढ़ लेते हैं मन की भाषा,
पूरी कर देते हैं आशा,
उनके उस दरबार में, प्यार सब हैं एक समान।

जितने सन्त साधु सन्यासी,
पाते कृपा हैं काशी वासी,
हैं सर्वत्र व्याप्त शिव भोले,
हर-हर महादेव जो बोले,
बेल पत्र, अक्षत गंगाजल, जो करता है दान।

जितने भी इस जग के प्राणी,
जिनकी होती शिवमय वाणी,
शिव मय तो यह सारा जग है,
शिव से लगता जग जगमग है,
मेरे शिव जी नित्य निरंतर करते हैं कल्याण।

करें समर्पण तन का मन का,
करें समर्पण इस जीवन का,
शिव-शिव नमः शिवाय सुनाओ,
शिव की कृपा तुरत पा जाओ,
वे ही अंजन बन आँखों में, हो जाते छविमान।

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