उत्तराखण्ड के प्रमुख दर्रे – सामरिक और सांस्कृतिक महत्व की पर्वतीय राहें
उत्तराखण्ड राज्य, जहां हिमालय की गोद में अनेकों तीर्थ, नदियाँ और गुफाएं हैं, वहीं इस पावन भूमि के पर्वतीय क्षेत्रों में कई प्रमुख दर्रे (Mountain Passes) भी स्थित हैं, जो न केवल भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सामरिक दृष्टि से भी भारत की सीमाओं की सुरक्षा में अहम् भूमिका निभाते हैं।
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🌄 राज्य के प्रमुख दर्रों की सूची
दर्रे का नाम | ऊँचाई (मीटर में) | स्थान |
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लिपुलेख - गुंजी | 5334 | पिथौरागढ़ - तिब्बत |
दारमा - नवीधुरा | 5800 | पिथौरागढ़ - तिब्बत |
मानस्या - धुरा | 5500 | पिथौरागढ़ - तिब्बत |
लम्पिया - धुरा | 5600 | पिथौरागढ़ - तिब्बत |
लेविधुरा | 5580 | पिथौरागढ़ - तिब्बत |
बालचा धुरा | 5400 | चमोली - तिब्बत |
किंग्री विग्री | 5000 | पिथौरागढ़ - तिब्बत |
माणा - डुग्रीला | 5608 | चमोली - तिब्बत |
नेलंग - सागचोकला | 5700 | उत्तरकाशी - तिब्बत |
थाग-ला | 6079 | उत्तरकाशी - तिब्बत |
ट्रेल पास | 5356 | बागेश्वर - पिथौरागढ़ |
नीती दर्रा | 5000 | चमोली - तिब्बत |
मुलिंग-ला | 5669 | उत्तरकाशी - तिब्बत |
श्रीकंठ दर्रा | 1500 | उत्तरकाशी - हिमाचल प्रदेश |
लमलग | 4268 | चमोली - तिब्बत |
चोरी-होती | 5044 | चमोली - तिब्बत |
शलशल-ला | 4977 | चमोली - तिब्बत |
🧭 अन्य महत्वपूर्ण दर्रों का क्षेत्रवार विवरण
📍 चमोली – चीन के मध्य दर्रे
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नीति दर्रा
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माणा दर्रा
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किंगरी - बिंगरी दर्रा
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डुंग्रीला दर्रा
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बालचा दर्रा
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घाटरलिया दर्रा
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कोई दर्रा
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भ्यूंडार दर्रा
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सलसला दर्रा
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तुनजुन दर्रा
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चोरहोती दर्रा
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लमलंग दर्रा
📍 चमोली – पिथौरागढ़ के मध्य दर्रे
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बाराहोती दर्रा
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मार्चयोक दर्रा
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टोपिढूंगा दर्रा
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लातुधुरा दर्रा
📍 चमोली के स्थानीय दर्रे
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कुनकुलखाल दर्रा
📍 चमोली – बागेश्वर के मध्य दर्रा
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सुंदरदूंगा दर्रा
📍 चमोली – उत्तरकाशी के मध्य दर्रा
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कालिंदी दर्रा
📍 पिथौरागढ़ – चीन के मध्य दर्रे
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लेबि दर्रा
(यह दर्रे भारत-तिब्बत सीमा पर सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं)
📍 पिथौरागढ़ – चमोली के मध्य दर्रे
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बाराहोती दर्रा
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मार्चयोक दर्रा
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टोपिढूंगा दर्रा
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लातुधुरा दर्रा
📍 पिथौरागढ़ के स्थानीय दर्रे
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धारमिला दर्रा
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नामा दर्रा
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खदिया दर्रा
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जैंतीधुरा दर्रा
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ग्यौगाड़ दर्रा
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सिनला दर्रा (राज्य का दूसरा सबसे ऊँचा दर्रा)
📍 पिथौरागढ़ – चम्पावत के मध्य दर्रा
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लासपा दर्रा
🔍 इन दर्रों का महत्व
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सैन्य दृष्टि से: ये दर्रे भारत और तिब्बत (वर्तमान में चीन) की सीमा से लगते हैं, जिससे इनका रणनीतिक महत्व बहुत अधिक है।
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भौगोलिक दृष्टि से: ये हिमालय की ऊँचाइयों और दुर्गमता को दर्शाते हैं।
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सांस्कृतिक दृष्टि से: इन दर्रों से होकर ही प्राचीन समय में भारत और तिब्बत के बीच व्यापार और धार्मिक यात्रा हुआ करती थी।
📚 निष्कर्ष
उत्तराखण्ड के दर्रे ना केवल सीमाओं की सुरक्षा में सहायक हैं, बल्कि ये हमारी भौगोलिक पहचान और सांस्कृतिक इतिहास का भी अहम हिस्सा हैं। ये दर्रे हमें हिमालय की ऊँचाइयों और प्राकृतिक चुनौतियों का परिचय भी कराते हैं।
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