श्री छिन्नमस्ता चालीसा | Shri Chinnamasta Chalisa

श्री छिन्नमस्ता चालीसा | Shri Chinnamasta Chalisa

श्री छिन्नमस्ता चालीसा | चमत्कारी चालीसा एवं महाशक्ति की आराधना 🔱

चमत्कारी चालीसा, महाशक्ति की आराधना

🔱 श्री छिन्नमस्ता देवी – एक रहस्यमयी रूप

छिन्नमस्ता देवी को दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है। इनका रूप जितना विचित्र है, उतना ही गहरा इनका आध्यात्मिक अर्थ है। स्वयं का मस्तक काटकर हाथ में धारण करना इस बात का प्रतीक है कि आत्मत्याग और परोपकार ही सच्चा धर्म है। इनकी पूजा से भय, कष्ट, रोग, ऋण, और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।

छिन्नमस्ता देवी का प्रमुख मंदिर झारखंड के रजरप्पा (Ramgarh District) में स्थित है, जो चमत्कारों और गूढ़ शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है।

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लेखक: जयदेवभूमि टीम | www.jaidevbhumi.com


✨ श्री छिन्नमस्ता चालीसा

॥ दोहा ॥

अपना मस्तक काट कर, लीन्ह हाथ में थाम ।
कमलासन पर पग तले, दलित हुए रतिकाम ॥


जगतारण ही काम है, रजरप्पा है धाम ।
छिन्नमस्तका को करूं, बारंबार प्रणाम ॥

॥ चालीसा ॥

जय गणेश जननी गुण खानी। जयति छिन्नमस्तका भवानी॥
गौरी सती उमा रुद्राणी। जयति महाविद्या कल्याणी॥

सर्वमंगला मंगलकारी। मस्तक खड्ग धरे अविकारी॥
रजरप्पा में वास तुम्हारा। तुमसे सदा जगत उजियारा॥

तुमसे जगत चराचर माता। भजें तुम्हें शिव विष्णु विधाता॥
यति मुनीन्द्र नित ध्यान लगावें। नारद शेष नित्य गुण गावें॥

मेधा ऋषि को तुमने तारा। सूरथ का सौभाग्य निखारा॥
वैश्य समाधि ज्ञान से मंडित। हुआ अंबिके पल में पंडित॥

रजरप्पा का कण-कण न्यारा। दामोदर पावन जल धारा॥
मिली जहां भैरवी भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥

जय शैलेश सुता अति प्यारी। जया और विजया सखि प्यारी॥
संगम तट पर गई नहाने। लगी सखियों को भूख सताने॥

तब सखियन ने भोजन मांगा। सुन चित्कार जगा अनुरागा॥
निज सिर काट तुरत दिखलाई। अपना शोणित उन्हें पिलाई॥

तबसे कहें सकल बुध ज्ञानी। जयतु छिन्नमस्ता वरदानी॥
तुम जगदंब अनादि अनन्ता। गावत सतत वेद मुनि सन्ता॥

उड़हुल फूल तुम्हें अति भाये। सुमन कनेर चरण रज पाये॥
भंडारदह संगम तट प्यारे। एक दिवस एक विप्र पधारे॥

लिए शंख चूड़ी कर माला। आयी एक मनोरम बाला॥
गौर बदन शशि सुन्दर मज्जित। रक्त वसन शृंगार सुसज्जित॥

बोली विप्र इधर तुम आओ। मुझे शंख चूड़ी पहनाओ॥
बाला को चूड़ी पहनाकर। चला विप्र अतिशय सुख पाकर॥

सुनहु विप्र बाला तब बोली। जटिल रहस्य पोटली खोली॥
परम विचित्र चरित्र अखंडा। मेरे जनक जगेश्वर पंडा॥

दाम तोहि चूड़ी कर देंगे। अति हर्षित सत्कार करेंगे॥
पहुंचे द्विज पंडा के घर पर। चकित हुए वह भी सब सुनकर॥

दोनों भंडार दह पर आये। छिन्नमस्ता का दर्शन पाये॥
उदित चंद्रमुख शोषिण वसनी। जन मन कलुष निशाचर असनी॥

रक्त कमल आसन सित ज्वाला। दिव्य रूपिणी थी वह बाला॥
बोली छिन्नमस्तका माई। भंडार दह हमरे मन भाई॥

जाको विपदा बहुत सतावे। दुर्जन प्रेत जिसे धमकावे॥
बढ़े रोग ऋण रिपु की पीरा। होय कष्ट से शिथिल शरीरा॥

तो नर कबहूं न मन भरमावे। तुरत भाग रजरप्पा आवे॥
करे भक्ति पूर्वक जब पूजा। सुखी न हो उसके सम दूजा॥

उभय विप्र ने किन्ह प्रणामा। पूर्ण भये उनके सब कामा॥
पढ़े छिन्नमस्ता चालीसा। अंबहि नित्य झुकावहिं सीसा॥

ता पर कृपा मातु की होई। फिर वह करै चहे मन जोई॥
मैं अति नीच लालची कामी। नित्य स्वार्थरत दुर्जन नामी॥

छमहुं छिन्नमस्ता जगदम्बा। करहुं कृपा मत करहुं विलंबा॥
विनय दीन आरत सुत जानी। करहुं कृपा जगदंब भवानी॥


॥ दोहा ॥

जयतु वज्र वैरोचनी, जय चंडिका प्रचंड ।
तीन लोक में व्याप्त है, तेरी ज्योति अखंड ॥


छिन्नमस्तके अम्बिके, तेरी कीर्ति अपार ।
नमन तुम्हें शतबार है, कर मेरा उद्धार ॥


🌺 छिन्नमस्ता देवी की पूजा विधि

  1. स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें।

  2. देवी को लाल फूल, उड़हुल (गुड़हल), और कनेर अर्पित करें।

  3. दीपक में घी और लाल सिंदूर लगाकर माँ को अर्पित करें।

  4. छिन्नमस्ता चालीसा, अष्टोत्तर शतनाम, और ध्यान मंत्र पढ़ें।

  5. रात्रि के समय विशेष फलदायी माना जाता है।


🌟 रजरप्पा मंदिर की विशेषता

  • दामोदर और भैरवी नदी का संगम – जहां छिन्नमस्ता देवी का मंदिर स्थित है।

  • यहाँ देवी का स्वरूप अत्यंत चमत्कारी माना जाता है – मस्तक कटे होने पर भी मुख से तीन धाराओं में रक्त निकलता है – यह तीनों शक्तियों की प्रतीक मानी जाती हैं।

  • यहां बलि प्रथा भी प्रचलित है, परंतु अब विधिपूर्वक पूजा से ही कार्य सिद्ध होते हैं।


📿 श्री छिन्नमस्ता चालीसा पढ़ने के लाभ

  • भय, रोग, शत्रु बाधा और तांत्रिक प्रभाव से रक्षा।

  • आत्मबल, साहस और निर्णयशक्ति में वृद्धि।

  • तांत्रिक साधना में रुचि रखने वालों के लिए अत्यंत प्रभावी।

  • भूत-प्रेत बाधा और अनिष्ट ग्रह दोष से छुटकारा।


🙏 निष्कर्ष

छिन्नमस्ता देवी का स्वरूप रहस्यमय और अद्भुत है, जो हमें आत्म-त्याग, बलिदान, और शक्ति का संदेश देता है। उनकी चालीसा का पाठ श्रद्धा से करने पर जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है। यदि आप किसी कठिनाई, मानसिक भय, या रहस्यमयी समस्याओं से ग्रसित हैं, तो छिन्नमस्ता चालीसा का नित्य पाठ करें।

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