श्री वैष्णो देवी चालीसा – संपूर्ण पाठ, विधि और महिमा - Shri Vaishno Devi Chalisa - Full text, method, and glory
श्री वैष्णो देवी चालीसा – संपूर्ण पाठ, विधि और महिमा
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🌺 श्री वैष्णो देवी चालीसा का महत्व
माँ वैष्णो देवी, जिन्हें आद्य शक्ति, त्रिकुटा और माता रानी के नाम से जाना जाता है, कलियुग में भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। "श्री वैष्णो देवी चालीसा" का नियमित पाठ श्रद्धा और भक्ति से करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
🕉 श्री वैष्णो देवी चालीसा पाठ विधि
अगर आप श्री वैष्णो देवी चालीसा का पाठ करना चाहते हैं तो नीचे दी गई विधि का पालन करें:
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शुभ मुहूर्त का चयन करें: सुबह या संध्या का समय उपयुक्त होता है।
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साफ और शांत स्थान चुनें: माँ वैष्णो देवी की तस्वीर या मूर्ति को पूजा स्थान पर स्थापित करें।
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स्नान और शुद्ध वस्त्र: शुद्ध होकर आसन ग्रहण करें।
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दीपक जलाएं और धूप-चंदन अर्पित करें।
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माँ को फूल, नारियल, पान, सुपारी आदि अर्पित करें।
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चालीसा का पाठ ध्यानपूर्वक करें।
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पाठ के बाद आरती करें और प्रसाद बाँटें।
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पूरे पाठ में पूर्ण श्रद्धा और भक्ति रखें।
📜 श्री वैष्णो देवी चालीसा | Shri Vaishno Devi Chalisa in Hindi
✨ श्री वैष्णो देवी चालीसा ✨
॥ दोहा ॥
गरुड़ वाहिनी वैष्णवी, त्रिकूटा पर्वत धाम ।
काली, लक्ष्मी, सरस्वती, शक्ति तुम्हें प्रणाम ॥
॥ चौपाई ॥
नमो नमो वैष्णो वरदानी, कलिकाल में शुभ कल्याणी ।
मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी, पिंडी रूप में हो अवतारी ॥
देवी-देवता अंश दियो है, रत्नाकर घर जन्म लियो है ।
करी तपस्या राम को पाऊँ, त्रेता की शक्ति कहलाऊँ ॥
कहा राम मणिपर्वत जाओ, कलियुग की देवी कहलाओ ।
विष्णु रूप से कल्कि बनकर, लूंगा शक्ति रूप बदलकर ॥
तब तक त्रिकुटा घाटी जाओ, गुफा अंधेरी जाकर पाओ ।
काली-लक्ष्मी-सरस्वती माँ, करेंगी शोषण पार्वती माँ ॥
ब्रह्मा, विष्णु, शंकर द्वारे, हनुमत, भैरों प्रहरी प्यारे ।
रिद्धि-सिद्धि चंवर डुलावें, कलियुग वासी पूजन आवें ॥
पान सुपारी, ध्वजा नारियल, चरणामृत चरणों का निर्मल ।
दिया फलित वर माँ मुस्काई, करन तपस्या पर्वत आई ॥
कलिकाल की भड़की ज्वाला, इक दिन अपना रूप निकाला ।
कन्या बन नगरोटा आई, योगी भैरों दिया दिखाई ॥
रूप देख सुंदर ललचाया, पीछे-पीछे भागा आया ।
कन्याओं के साथ मिली माँ, कौल-कंदौली तभी चली माँ ॥
देवा माई दर्शन दीना, पवन रूप हो गई प्रवीणा ।
नवरात्रों में लीला रचाई, भक्त श्रीधर के घर आई ॥
योगिन को भण्डारा दीना, सबने रुचिकर भोजन कीना ।
मांस-मदिरा भैरों मांगी, रूप पवन कर इच्छा त्यागी ॥
बाण मारकर गंगा निकाली, पर्वत भागी हो मतवाली ।
चरण रखे आ एक शिला जब, चरण पादुका नाम पड़ा तब ॥
पीछे भैरों था बलकारी, छोटी गुफा में जाय पधारी ।
नौ माह तक किया निवासा, चली फोड़कर किया प्रकाशा ॥
आद्या शक्ति-ब्रह्म कुमारी, कहलाई माँ आद कुंवारी ।
गुफा द्वार पहुँची मुस्काई, लांगूर वीर ने आज्ञा पाई ॥
भागा-भागा भैरों आया, रक्षा हित निज शस्त्र चलाया ।
पड़ा शीश जा पर्वत ऊपर, किया क्षमा जा दिया उसे वर ॥
अपने संग में पूजवाऊँगी, भैरों घाटी बनवाऊँगी ।
पहले मेरा दर्शन होगा, पीछे तेरा सुमरन होगा ॥
बैठ गई माँ पिंडी होकर, चरणों में बहता जल झर-झर ।
चौंसठ योगिनी-भैरों बरवन, सप्तऋषि आ करते सुमरन ॥
घंटा ध्वनि पर्वत पर बाजे, गुफा निराली सुंदर लागे ।
भक्त श्रीधर पूजन कीना, भक्ति सेवा का वर लीना ॥
सेवक ध्यानूं तुमको ध्याया, ध्वजा व चोला आन चढ़ाया ।
सिंह सदा दर पहरा देता, पंजा शेर का दुःख हर लेता ॥
जम्बू द्वीप महाराज मनाया, सर सोने का छत्र चढ़ाया ।
हीरे की मूरत संग प्यारी, जगे अखंड इक जोत तुम्हारी ॥
आश्विन चैत्र नवराते आऊँ, पिंडी रानी दर्शन पाऊँ ।
सेवक 'शर्मा' शरण तिहारी, हरो वैष्णो विपत हमारी ॥
॥ दोहा ॥
कलियुग में महिमा तेरी, है माँ अपरम्पार ।
धर्म की हानि हो रही, प्रगट हो अवतार ॥
🔱 जय माता दी!
🌼 श्री वैष्णो देवी चालीसा पाठ से सुख-शांति, समृद्धि एवं भक्ति की प्राप्ति होती है।
🌸 माँ वैष्णो देवी की कृपा से लाभ
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मानसिक शांति और आत्मविश्वास की वृद्धि
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कठिन कार्यों में सफलता
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जीवन में आने वाली बाधाओं का निवारण
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घर में सुख-शांति और समृद्धि
🙏 निष्कर्ष
"श्री वैष्णो देवी चालीसा" का पाठ सच्ची श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से माँ स्वयं अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। कलियुग में माँ वैष्णो देवी ही एक सच्ची मार्गदर्शिका और रक्षक हैं। नवरात्रि, पूर्णिमा, या किसी विशेष दिन यह चालीसा विशेष फलदायी मानी जाती है।
📢 अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1: श्री वैष्णो देवी चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
उत्तर: सुबह या संध्या के समय, नवरात्रि में विशेष फल मिलता है।
Q2: क्या चालीसा का पाठ रोज़ किया जा सकता है?
उत्तर: हां, आप श्रद्धा से रोज़ कर सकते हैं।
Q3: चालीसा पाठ में क्या सामग्री चाहिए?
उत्तर: माँ की तस्वीर/मूर्ति, दीपक, फूल, नारियल, चंदन, धूप आदि।
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