रशुलन दीबा: अनोखे चमत्कारों से सजी पौराणिक देवी का मंदिर


इस जगह पर सुबह के 4 बजे शुर्योदय के दर्शन होते है।

रशुलन दीबा मंदिर Frequently Asked Questions (FAQs)
1. रशुलन दीबा मंदिर कहां स्थित है?
रशुलन दीबा मंदिर उत्तराखंड राज्य के पौड़ी जिले के पट्टी किमगडी गढ़ पोखरा ब्लॉक के झलपड़ी गांव के ऊपर स्थित है। यह मंदिर घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ी रास्तों से होकर पहुंचा जाता है।
2. रशुलन दीबा मंदिर तक कैसे पहुंचे?
रशुलन दीबा मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको कोटद्वार शहर पहुंचना होता है। इसके बाद, आपको सतपुली बाजार, चौबट्टाखाल और गवानी होते हुए झलपड़ी गांव तक जाना होता है। गांव से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर जंगल के रास्ते से मंदिर पहुंचा जाता है।
3. क्या रशुलन दीबा मंदिर तक का रास्ता कठिन है?
हां, रशुलन दीबा मंदिर तक का रास्ता दुर्गम पहाड़ी और जंगल के रास्तों से होकर जाता है। यह रास्ता चुनौतीपूर्ण हो सकता है, इसलिए भक्तों को सावधानी और तैयारी के साथ यात्रा करनी चाहिए।
4. रशुलन दीबा मंदिर में सूर्य के अद्भुत दर्शन कब होते हैं?
रशुलन दीबा मंदिर में सूर्य के अद्भुत दर्शन सुबह 4 बजे के आसपास होते हैं। जब सूर्य हिमालय और कैलास पर्वत के बीच से निकलता है, तो वह तीन रंगों में बदलता है - पहले लाल, फिर केसरिया और अंत में चमकीला सुनहरा रंग। यह दृश्य भक्तों के लिए बेहद आकर्षक और अद्भुत होता है।
5. क्या यहां रात में ठहरने की व्यवस्था है?
हां, लोग यहां रात में ठहरने के लिए आते हैं क्योंकि माना जाता है कि सूर्य के अद्भुत रूप को देखने के लिए रात में बसेरा करना आवश्यक होता है। यहां ठहरने के लिए कुछ सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन भक्तों को गर्म कपड़े और कंबल साथ लाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि मई और जून के महीनों में भी यहां ठंड होती है।
6. माता रशुलन दीबा के दर्शन से क्या लाभ होता है?
रशुलन दीबा के दर्शन से भक्तों को माता का आशीर्वाद मिलता है। माना जाता है कि माता रशुलन दीबा अपने भक्तों की सुरक्षा करती हैं, और यहां आकर भक्तों को मानसिक शांति और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
7. यहां पूजा में क्या विशेष सामग्री प्रयोग होती है?
रशुलन दीबा मंदिर में पूजा के दौरान नारियल और गुड़ का प्रसाद चढ़ाया जाता है। इसके अलावा, रशूली नामक वृक्ष की पत्तियों में प्रसाद लेने की परंपरा है, क्योंकि यह वृक्ष शुभ माना जाता है।
8. रशुलन दीबा के बारे में कौन सी मान्यताएं प्रचलित हैं?
एक मान्यता के अनुसार, जब गोरखाओं ने गढ़वाल पर आक्रमण किया था, तब माता रशुलन दीबा ने अपने भक्तों को आवाज देकर सचेत किया था। कहा जाता है कि उस समय गोरखा सेना इस मंदिर से लौट गई थी, क्योंकि माता ने उन्हें वापस जाने का आदेश दिया था।
9. क्या रशुलन दीबा मंदिर में खास जातियां पूजा करने आती हैं?
हां, गुत्तू घनसाली के भूटिया और मर्छ्या जनजाति के लोग यहां पूजा करने के लिए आते हैं। ये लोग बकरियां चराने के दौरान माता रशुलन दीबा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जिससे उन्हें जंगलों में सुरक्षा मिलती है।
10. क्या रशुलन दीबा मंदिर को पर्यटन से जोड़ा जा रहा है?
हां, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने रशुलन दीबा मंदिर को पर्यटन से जोड़ने का आश्वासन दिया है। जल्द ही इस मंदिर को पर्यटन से जोड़ने के प्रयास तेज हो गए हैं, ताकि और अधिक लोग इस चमत्कारी स्थल के दर्शन कर सकें।
11. क्या रशुलन दीबा मंदिर के आसपास कोई विशेष पेड़ या स्थल हैं?
हां, रशुलन दीबा मंदिर के पास रशूली नामक एक खास वृक्ष है। इस वृक्ष की पत्तियों को प्रसाद के रूप में लिया जाता है, और यह माना जाता है कि इस पर कभी हथियार नहीं चलाए जाते हैं।
12. क्या रशुलन दीबा मंदिर में जाने के लिए कोई विशेष समय है?
रशुलन दीबा मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय मई और जून का माना जाता है, लेकिन इस समय भी यहां बहुत ठंड होती है, इसलिए गर्म कपड़े और कंबल साथ लाना आवश्यक है।
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