जीवन का एक ऐसा सफर जिसको आप भूल नहीं सकते "फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान"

 फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान

A life time worth journey to #ValleyofFlowers

फूलों की घाटी या वैली ऑफ फ्लावर्स भारत के उत्तराखंड राज्य में चमोली जिले में स्थित हैं। पश्चिमी हिमालय में स्थित फूलों की घाटी एक प्राकृतिक और सुंदर राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है। अल्पाइन फूलों और घास के मैदानों से सुसज्जित यह प्राकृतिक स्थान प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफी के शौकीन व्यक्तियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नही हैं। 

A life time worth journey to #ValleyofFlowers

वैली ऑफ फ्लावर्स पर्यटन स्थल में सैंकड़ों प्रजाति और रंगों के फूल पाएं जाते है। यही फूलो की घाटी की लौकप्रियता का रहस्य हैं जोकि पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। फूलों की घाटी को वर्ष 2005 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थलों की सूची में भी शामिल कर लिया हैं। फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान को शुरुआत में भुइंदर घाटी के नाम से जाना जाता था। लेकिन बाद में ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्माइथ द्वारा वर्ष 1931 में इसका नाम बदलकर वैली ऑफ फ्लॉवर्स कर दिया गया।

यदि आप रंग-रंग के फूलों के बारे में जानना चाहते हैं या कुछ सीखना चाहते हैं तो वैली ऑफ फ्लावर्स से शानदार डेस्टिनेशन आपके लिए कही ओर नही हो सकती हैं। फूलों की घाटी में अलग-अलग मौसम में भिन्न-भिन्न प्रकार के फूल इसकी सुंदरता को और अधिक खूबसूरत कर देते हैं, जिससे फूलो की घाटी की सुंदरता परिवर्तनशील प्रतीत होती हैं। हिमालय की ऊँची-ऊँची चोटियों जोकि वर्फ से ढंकी हुई सफ़ेद प्रतीत होती हैं, अपने आप में ही एक रमणीय दृश्य प्रस्तुत करती हैं। 

#Valleyofflowers #chamoligarhwal 

दोस्तों उत्तराखण्ड के चमोली जिले में स्थित चेनाप घाटी उत्तराखण्ड के छिपे हुए रत्नों में से एक है जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं. यह घाटी समुद्र तल से 12500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. चेनाप घाटी से नन्दा देवी, नंदा कोट और द्रोणागिरि की चोटियों के मनोहर दृश्य दिखाई देते हैं.

चेनाप घाटी के अलावा यहां फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान भी है जो भारत का एक राष्ट्रीय उद्यान है. यह 87.50 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है. नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान सम्मिलित रूप से विश्व धरोहर स्थल घोषित हैं. 

फूलों की घाटी को विश्व संगठन यूनेस्को द्वारा सन् 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया. लगभग 500 से अधिक प्रजातियों के फूलों से सजा यह क्षेत्र फूल प्रेमियों के लिए एक विश्व प्रसिद्ध स्थल बन गया हैफूलों की घाटी: दुनिया की सबसे खूबसूरत जगह। 


1931 में अंग्रेज पर्वतारोही फ्रेंक सिडनी और होल्ड्स वर्थ कामेट पर्वत से रास्ता भटककर एक सुरम्य घाटी में पहुँच गए. यह घाटी सैंकड़ों प्रजातियों के रंग-बिरंगे जंगली फूलों से अटी पड़ी थी. हरे घास के विशालकाय मैदान में असंख्य फूलों को देखना इनके लिए मन्त्रमुग्ध कर देने वाला था. इस तरह फूलों की घाटी की खोज हु


फ्रेंक सिडनी और होल्ड्स वर्थ कामथ ने अपने देश लौटकर ‘वैली ऑफ़ फ्लावर्स’ नाम से एक किताब लिखी और फूलों की घाटी दुनिया भर में मशहूर हो गयी. 1982 में इसे संरक्षित राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया.


1939 में ब्रिटिश महिला जॉन मार्गरेट भी फूलों की घाटी देखने यहाँ पहुंची. अपने प्रवास के दौरान उन्होंने यहाँ से कई प्रजाति के फूलों को भी लन्दन भेजा अगस्त 1939 में ही उनकी यहाँ एक दुर्घटना में मृत्यु हो गयी, इसे फूलों की घाटी के एक शिलालेख में अंकित किया गया है.


समुद्र तल से 3352 से 3658 मीटर ऊंचाई पर स्थित इस लम्बी-चौड़ी घाटी में सैंकड़ों प्रजातियों के रंग-बिरंगे फूल पाए जाते हैं. इस घाटी का क्षेत्रफल 87.59 वर्ग किमी के आस-पास है.  यूँ तो फूलों की घाटी साल के बारहों महीने बेहद खूबसूरत दिखाई देती है लेकिन बरसात का मौसम इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देता है. बरसात के बाद यह हरी घास से तो लकदक हो ही जाती है, इसी जुलाई अगस्त और सितम्बर के महीने में यहाँ 500 से अधिक प्रजातियों के रंग-बिरंगे फूल खिला करते हैं.

रंग-बिरंगे फूलों के अलावा यहाँ पर लाल लोमड़ी, हिमालयी भालू, कस्तूरी मृग हिम तेंदुआ आदि जानववर और हिमालयी परिंदे भी देखे जा सकते हैं

फूलों की घाटी उत्तराखण्ड के गढ़वाल मंडल के चमोली जिले में है. जोशीमठ से 23 किमी दूर गोविन्दघाट तक मोटर मार्ग से पहुँचने के बाद पैदल रास्ता फूलों की घाटी को जाता है. यह फूलों की घाटी और हेमकुंड को जाने वाला रास्ता है. गोविन्द घाट से 12 किमी किमी की कठिन चढ़ाई वाला रास्ता काकभुसुण्डी घाटी से होता हुआ गोविन्द धाम पहुँचता है. पूरा रास्ता मनोरम जलधाराओं और घने देवदार के जंगलों से होकर गुजरता गोविन्द धाम और गोविन्द घाट दोनों में ही सिखों का गुरुद्वारा है जहाँ रहने-खाने के पर्याप्त बंदोबस्त हैं. यात्रा काल में यहाँ लगभग दिन के 20 घंटे लंगर का आयोजन किया जाता है.

गोविन्द धाम से एक किमी आगे चलने के बाद एक दोराहा मिलता है, जहाँ से दो पगडंडियां अलग-अलग चल पड़ती हैं. बायीं ओर वाली पगडण्डी पकड़कर आप 3 किमी का चढ़ाई-उतार वाला आसान सा रास्ता तय करके फूलों की घाटी पहुंच सकते हैं. दूसरा रास्ता 4 किमी की खड़ी चढ़ाई में आपकी परीक्षा लेता हुआ हेमकुंड साहिब छोड़ देता है.

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