गढ़वाल के लोक गीत एवं लोक नृत्य: विवाह गीत
विवाह गीत - विदाई
वधू प्रवेश - ससुराल में वधू का गृह प्रवेश मांगल्य का सूचक माना जाता है। वधू का स्वागत गृह—लक्ष्मी के रूप में किया जाता है: शुभ दिन शुभ घड़ी आई सुहागण,अमरित सिंचदी आई सुहागण,
मोतियों परोखदी आई सुहागण।
आज के शुभ दिन और शुभ घड़ी में सुहागन का गृह - प्रवेश हो गया है। अमृत को सींचती हुई और मोतियों को बिखेरती हुई - यह लक्ष्मी (वधू) आ गई है। इस सुहागन का स्वागत है।
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गढ़वाल के मांगल गीत अपनी श्रेष्ठता के लिए प्रसिद्ध हैं। इन गीतों में सम्पूर्ण अनुष्ठानों का भाव छिपा हुआ है। हिन्दू विधि के अनुसार जितने भी अनुष्ठान या कर्मकाण्ड सम्पन्न किये जाते हैं, उनकी व्याख्या इन मांगल गीतों में समायी हुई मिलती है। इसीलिए विवाह के इन गीतों को ही सही अर्थों में 'मांगल गीत' होने का गौरव प्राप्त है।
गढ़वाल के मांगल गीत अपनी श्रेष्ठता के लिए प्रसिद्ध हैं। इन गीतों में सम्पूर्ण अनुष्ठानों का भाव छिपा हुआ है। हिन्दू विधि के अनुसार जितने भी अनुष्ठान या कर्मकाण्ड सम्पन्न किये जाते हैं, उनकी व्याख्या इन मांगल गीतों में समायी हुई मिलती है। इसीलिए विवाह के इन गीतों को ही सही अर्थों में 'मांगल गीत' होने का गौरव प्राप्त है।
गढ़वाल के लोक गीत
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