गढ़वाल के लोक गीत एवं लोक नृत्य: संस्कार गीत: विवाह गीत /Folk Songs and Folk Dances of Garhwal: Sanskar Geet: Wedding Songs

ढ़वाल के लोक गीत एवं लोक नृत्य: संस्कार गीत: विवाह गीत 

विवाह गीत: मांगल— गढ़वाल में विवाह संस्कार को विशेष महत्व दिया जाता है। वाक् दान से लेकर बहू के ससुर—गृह में प्रवेश करने के समय तक मांगल गीतों का ही आधिक्य रहता है। वास्तव में विवाह की कोई ऐसी क्रिया नहीं हेाती, जो मांगल गीतों के बिना सम्पन्न होती हो। वे अनुष्ठान के विविध पक्षों से संबंधित ही नहीं होती, जो मांगल गीतों के बिना सम्पन्न होती हो। वे अनुष्टान के विविध पक्षों से सम्बन्धित ही नहीं होते वरन् उनके भावात्मक स्वरूप की सुन्दर और सजीव व्याख्या प्रस्तुत करते हैं। इसीलिए गढ़वाल के मांगल का अर्थ विवाह के ही मांगल गीतों से लगाया जाने लगता है। विवाह गीत ही मांगल गीतों के रूप में रूढ़ हो गए हैं।

यह शायद इसलिए भी हो गया है कि सभी प्रकार के मांगल गीतों का प्रयोग विवाह के मांगल गीतों में किया जाता है। जैसा कि पहले वर्णन कर चुके हैं, गढ़वाल में किसी शुभ कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व देवताओं का स्मरण, जागरण और आहवान कर आशीर्वाद प्राप्त करना आवश्यक समझा जाता है। इसीलिए विवाह संस्कार करने से पूर्व कूर्म देवता, धरती माता, भूमिपाल, क्षेत्रपाल और पंच देवों (गणेश, सूर्य, श्विव, देवी और विष्णु)से विवाह जैसे शुभ कार्य की सफलता के लिए मांगल गीत गाकर प्रार्थना की जाती है। मांगल गीत गाकर कौवे को हरे वृक्ष पर बैठकर सकुन बोलने हेतु आमंत्रित करती हैं कि वह आकर संदेश—वाहक का कार्य करे। सुआ से आग्रह किया जाता है कि इस शुभ विवाह के अवसर पर वह ब्रहमा—सावित्री, विष्णु—लक्ष्मी, शिव—पार्वती, राम—सीता और गणेश की सुधि—बुधि देवियों के साथ बुलाकर ले आए। यदि वह इन सबको बुलाकर ले आएगा तो उसकी चोंच को सोने से मढ़ दिया जाएगा। विवाह में सम्मिलित होने के लिए देवता और मनुष्य ही नहीं बुलाये जाते हैं बल्कि हल्दी की वाड़ियों, मालू की पातियों, धान की क्यारियों और कामधेनु को भी सम्मानपूर्वक आमंत्रित किया जाता है।
विवा​ह में सम्मिलित होने के लिए इष्ट—मित्रों को जब बुलाया जाता है—तब भी मंगल गीत गाये जाते हैं। विवाह के लिए आवश्यक सामग्री जुटाने का कार्य भी मंगलगीतों से प्रारम्भ होता है। इसमें 'हल्दी हाथ और मालू के पात' का विशेष महत्व है। विवाह—वेदी का बनाया जाना भी प्रारम्भिक कार्यों में है। इस अवसर पर जो मांगल गीत गाया जाता है, उसमें गणेश—पूजा के अतिरिक्त कन्या अपने पिता से आग्रह करती है कि वह सोने—चांदी की बेदी बनावें और उसको मोतियों से भर दें। चौक पूरते समय गाये जाने वाले मांगल में गोबर से आंगन को लीपने और उसे मोतियों से पूरने की बात कही गई है। इस कार्य को सम्पादित कदने हेतु ब्रहमा जी से प्रार्थना की गई है।
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