हिमाचल प्रदेश के कला(Art of Himachal Pradesh)

हिमाचल प्रदेश के  कला

1. पहाड़ी चित्रकला 

  • बसौहली शैली - बसौहली शैली गुलेर या काँगड़ा शैली से भी पुरानी है। यह शैली जम्मू से आई थी। इसका प्रभाव मण्डी, चम्बा एवं कुल्लू शैलियों पर पड़ा है।
  • काँगड़ा शैली - काँगड़ा शैली के जन्मदाता गुलेर की कलम है। यहीं से काँगड़ा कलम, चम्बा कलम, मण्डी कलम, कुल्लू कलम आदि चित्रकला कलमों का विकास हुआ। काँगड़ा शैली को गुलेर शैली भी कहा जाता है। पहाड़ी चित्रकला राजा संसारचंद के शासनकाल में समृद्धि की चरम सीमा तक पहुंची। नादौन, सुजानपुर-टीहरा और आलमपुर काँगड़ा शैली के प्रमुख केंद्र थे। हिमाचल में काँगड़ा शैली सेऊ वंशज की देन है। सेऊ उसका पुत्र मनकू और नैनसुख गुलेर के प्रसिद्ध चित्रकार थे जिन्हें काँगड़ा बुलाया गया।गढ़वाल से आया भोलाराम काँगड़ा शैली का अच्छा चित्रकार था। काँगड़ा शैली में गीत गोविंद, बारामासा, सतसई, रामायण, भगवत गीता जैसे विषयों का रेखांकन हुआ है। मैटकॉफ ने सर्वप्रथम काँगड़ा शैली के चित्रों की खोज की।
  1. कांगड़ा शैली का स्वर्णकाल 1786 से 1805 तक का समय माना जाता ।
  2. राजा संसारचंद व मूर क्राफ्ट की भेंट आलमगीरपुर मे 1820 मे हुई थी । राजा संसारचंद को चित्रकला का बहुत  शोक था ओर इसी से प्रेरित होकर इन्होने सिकंदर महान के चित्र का चित्राकन करवाया था ।
  3. सुप्रसिद्ध चित्र राजा संसारचंद हुक्का पीते हुए (1805-1810)
  4. संसारचंद वैष्णव धर्म का अनुयायी ओर कृष्ण भक्त थे ।
संसारचंद के प्रिय विषय 
  1. केशवदास लिखित -रसिकप्रिय ,कविप्रिय ,नलदमयंती ।
  2. जयदेव लिखित -गीत-गोविंद
  3. बिहारी लिखित – बिहारी सतसई, भागवत पुराण
  4. आनंद कुमार स्वामी ने कांगड़ा के प्रेम चित्रो की  तुलना ”चीनी के लैंडस्केप से की ”है   
  5. सन 1824 ई0 मे  नर्मदेश्वर नाम से एक मंदिर बनवाया । इसकी भित्तियो ओर छतों पर सुंदर चित्र देखने को मिलते है । महाराजा ने जिस होंसले से नरदौन की रौनक की बढ़ाया था उसके लिए एक कहावत प्रसिद्ध थी – ”आएगा नदौन -जाएगा कौन ”

  • चम्बा कलम एवं रूमाल कला -

  1. चम्बा कलम -चम्बा कलम का विकास राजा राजसिंह के शासनकाल में हुआ। निक्का, चम्बा कलम का प्रसिद्ध चित्रकार था जो 1765 ई. में गुलेर से चम्बा आया था। चम्बा का रंगमहल भित्ति चित्र शैली का अदभुत नमूना है जिसे राजा उम्मेद सिंह (1748-1764) ने आरंभ किया। निक्का, राझां, छज्जू और हरकू राजा राजसिंह के दरबार के निपुण कलाकार थे। चम्बा कलम का उद्गम बसौहली और गुलेर चित्रकला के प्रभाव से हुआ। विक्टोरिया अल्बर्ट संग्रहालय लंदनमें चम्बा के राजा उग्रसिंह का पोर्ट्रेट (रूपचित्र) सुरक्षित है।
  2. चम्बा रूमाल -चम्बा रूमाल का विकास राजा राजसिंह और रानी शारदा के समय सर्वाधिक हुआ है। रूमाल पर लघु चित्रकला का प्रशिक्षण भूरी सिंह संग्रहालय, चम्बा में दिया जाता है। चम्बा रूमाल को प्रोत्साहित करने के लिए चम्बा के शासक उम्मेद सिंह ने रंगमहल की नींव रखी। चम्बा रूमाल पर कुरुक्षेत्र युद्ध के लघु चित्रों की कृति जो विक्टोरिया अल्बर्ट संग्रहालय, लंदन में सुरक्षित है, चम्बा के शासक गोपाल सिंह ने 1873 ई. में ब्रिटिश सरकार को भेंट किया था। चम्बा रूमाल में वर्गाकार मुलायम कपड़ों में कढ़ाई द्वारा रामायण एवं कृष्णलीला के विभिन्न प्रसंगों को उकेरा गया है।
  3. बंगद्वारी - चम्बा में विवाह के अवसरों पर 'भित्ति चित्र बंगद्वारी बनाने की परम्परा है। बंगद्वारी में दरवाजों की दीवारों पर चित्र बनाये जाते हैं।

  • अन्य कलमें और कलाकार 
  1. फत्तू और पद्मा संसारचंद के दरबार के प्रसिद्ध चित्रकार थे। नूरपुर के गोलू सिरमौर के अंगद, कुल्लू के भगवान और संजू अन्य प्रमुख चित्रकार थे कुल्लू के राजा मानसिंह के समय रामायण पर चित्रकला बनाई गई। कुल्लू में राजा जगत सिंह के कार्यकाल से पहाड़ी लघु चित्रकला आरंभ हुई। सुकेत रियासत की राजधानी सुंदरनगर में पहाड़ी चित्रकला राजा विक्रम सेन के शासनकाल में पल्लवित हुई। काँगड़ा के राजा अनिरुद्ध चंद ने बाघल की राजधानी अर्की में अर्की कलम का विकास किया। अर्की के दीवानखाना की दीवारों पर भित्ति चित्रों का कार्य राजा किशन सिंह के कार्यकाल में हुआ।
  2. संग्रहालय -
  • भूरी सिंह संग्रहालय - यह चम्बा में स्थित है। इसकी स्थापना राजा भूरी सिंह ने की थी। इस संग्रहालय में काँगड़ा और बसौली शैली की कलाकृतियाँ रखी गई हैं। इनमें राधा-कृष्ण प्रसंगों पर कृतियाँ उपलब्ध है। इसकी स्थापना 1908 ई. में की गई।
  • नग्गर आर्ट गैलरी - यहकुल्लू जिले के नग्गर में स्थित है। इसकी स्थापना निकोलस रोरिक ने की थी। इसे रोरिक आर्ट गैलरी कहा जाता है। वर्ष 2012 में निकोलस रोरिक आर्ट कॉलेज की स्थापना की गई।
  • अंद्रेटा आर्ट गैलरी - यह काँगड़ा जिले के अंद्रेटा में स्थित है। यहाँ शोभा सिंह की अनेक कृतियाँ रखी गई हैं। इसे शोभा सिंह आर्ट गैलरी के नाम से जाना जाता है। इसमें उमर खय्याम, सोहनी महिवाल की प्रसिद्ध कृतियाँ हैं। इसे नौराह रिचडर्स (शोभा सिंह की पत्नी) ने स्थापित किया। वर्ष 2012 में इस आर्ट गैलरी को संग्रहालय में बदला गया है।
  • स्टेट म्यूजियम - यह शिमला जिले में स्थित है। इसकी स्थापना सन 1974 ई. में की गई थी।
  • काँगड़ा कला संग्रहालय - यह धर्मशाला में स्थित है। इसकी स्थापना 1991 ई. में हुई है।
  • जनजातीय संग्रहालय - यह केलांग में स्थित है। इसकी स्थापना 2006 ई. में हुई है।

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