हिमाचल प्रदेश के मन्दिर(Temples of Himachal Pradesh)

हिमाचल प्रदेश के मन्दिर

हिमाचल प्रदेश के मन्दिर

1. चम्बा जिला -

2. काँगड़ा जिला -

3. मण्डी जिला -

  • भूतनाथ मंदिर मण्डी शहर में स्थित है। इसका निर्माण 1526 ई. में राजा अजबर सेन ने करवाया था। यह मंदिर अर्धनारीश्वर को समर्पित है।
  • श्यामाकाली मंदिर मण्डी में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा श्यामसेन ने करवाया था।
  • पराशर मंदिर मण्डी में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1346 ई. में राजा बाणसेन ने करवाया था।
  • मगरू महादेव मंदिर मण्डी शहर में स्थित है।
  • बटुक भैरव मंदिर (मण्डी), शम्भू महादेव मंदिर (पड्डल), सिद्ध भद्रा मंदिर (पड्डल), सिद्ध काली मंदिर (सैरी), सिद्ध गणपति मंदिर (सूराकोठी) और सिद्ध जालपा मंदिर का निर्माण राजा सिद्ध सेन ने करवाया था।
  • माधोराव मंदिर (मण्डी) का निर्माण राजा सूरजसेन ने करवाया था।

4. कुल्लू जिला -

  • बिजली महादेव मंदिर -यह मंदिर कुल्लू से 14 किलोमीटरदूर ब्यास नदी के किनारे स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ हर वर्ष शिवलिंग पर बिजली गिरती है।
  • हिडिम्बा देवी मंदिर - यह मंदिर मनाली से 3 किलोमीटर दूर ढुंगरी के जंगल में स्थित है। यह मंदिर भीम की पत्नी हिडिम्बा देवी को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 1553 ई में राजा बहादुर सिंह ने करवाया था। प्रतिवर्ष मई के महीने में यहाँ ढुंगरी का मेला लगता है।
  • बजौरा मंदिर - यह मंदिर कुल्लू के बजौरा में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
  • जामलू मंदिर - यह मंदिर कुल्लू जिले के मलाणा गाँव में स्थित है। यह मंदिर जमदग्नि ऋषि को समर्पित है, जिन्हें जामलू देवता के नाम से जाना जाता है।
  • मनु मंदिर - यह मंदिर शंसर कुल्लू में स्थित है, जो मनालीके पास स्थित है। यह मंदिर मनु को समर्पित है।
  • रघुनाथ मंदिर - रघुनाथ मंदिर कुल्लू में स्थित है, जिसे राजा जगत सिंह ने बनवाया था।
  • कार्तिकेय (मूर्ति) कनखल - कनखल मंदिर में शिव के पुत्र कार्तिकेय की मूर्ति है। यह मंदिर कुल्लू मण्डी के बीच कनखल में स्थित है।
  • रामचंद्र मंदिर (मणिकर्ण), रामचंद्र मंदिर (वशिष्ठ), और रघुनाथ मंदिर (सुल्तानपुर) का निर्माण राजा जगत सिंह ने करवाया था।
  • कपिल मुनि मंदिरका निर्माण राजा मान सिंह ने करवाया था।

5. शिमला जिला -

  • तारा देवी मंदिर - यह मंदिर शिमला से 5 किलोमीटर दूर तारा देवी में स्थित है। यह अष्टधातु की 18 भुजाओं वाली प्रतिमा है। यह मंदिर माँ तारा देवी को समर्पित है। इसका निर्माण क्योंथल के राजा बलबीर सेन ने करवाया था।
  • भीमाकाली मंदिर - भीमाकाली मंदिर शिमला जिले के सराहन में स्थित है। सराहन को प्राचीन समय में शोणितपुर के नाम से जाना जाता था।
  • हाटकोटी मंदिर - यह मंदिर शिमला के रोहडू तहसील के हाटकोटी में स्थित है। यह मंदिर हाटकोटी माता को समर्पित है। यहाँ महिषासुरमर्दिनी की अष्टधातु की अष्टभुजा वाली विशाल प्रतिमा स्थापित है। वीर प्रकाश ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था।
  • जाखू मंदिर - यह मंदिर शिमला के जाखू में स्थित है। यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। भगवान हनुमान की 108 फुट ऊँची मूर्ति यहाँ बनाई गई है।
  • कामना देवी मंदिर - कामना देवी मंदिर शिमला के प्रोस्पेक्ट हिल में स्थित है।
  • कालीबाड़ी मंदिर - यह मंदिर शिमला में स्थित है। यह मंदिर काली माता (श्यामला देवी) को समर्पित है।
  • सूर्य मंदिर - यह मंदिर शिमला के 'नीरथ' में स्थित है। यह मंदिर सूर्यदेव को समर्पित है। इसे 'हिमाचल प्रदेश का सूर्य मंदिर' भी कहा जाता है।
  • संकटमोचन मंदिर -संकटमोचन मंदिर का निर्माण 1926 ई. में नैनीताल के बाबा नीम करौरी ने करवाया था। यह मंदिर भगवान स्नुमान को समर्पित है। यह तारादेवी के पास स्थित है।

6. सिरमौर जिला -

  • गायत्री मंदिर - यह मंदिर रेणुका में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण महात्मा पराया नन्द ब्रह्मचारी ने करवाया था। गायत्री माता को वेदों की माता भी कहा जाता है।
  • जगन्नाथ मंदिर - यह मंदिर सिरमौर जिले में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1681 ई. में राजा बुद्ध प्रकाश ने करवाया था। यहाँ सावन द्वादशी का मेला लगता है।
  • त्रिलोकपुर मंदिर - यह मंदिर सिरमौर जिले के त्रिलोकपुरस्थान पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1573 ई. में दीप प्रकाश ने करवाया था। यह मंदिर माता बाला सुन्दरी को समर्पित है, जिसे 84 घंटियों वाली देवी भी कहा जाता है।
  • शिर्गुल मंदिर - यह मंदिर चूड़धार पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिर्गुलको समर्पित है।
  • देई साहिब मंदिर - देई साहिब मंदिर पौंटा का निर्माण 1889 ई. में राजा शमशेर प्रकाश की बहन देई साहिबा ने करवाया था।
  • कटासन मंदिर - कटासन मंदिर कोलर का निर्माण राजा जगत प्रकाश ने करवाया था।
  • लक्ष्मी नारायण मंदिर - लक्ष्मी नारायण मंदिर नाहन का निर्माण 1708 ई. में राजा भूप प्रकाश ने करवाया था।
  • शिव मंदिर - शिव मंदिर रानी ताल नाहन का निर्माण 1889 ई. में राजा शमशेर प्रकाश ने अपनी रानी कुटलानी की स्मृति में करवाया था।
  • रामकुण्डी मंदिर - रामकुण्डी मंदिर नाहन का निर्माण 1767 ई. में राजा कीर्ति प्रकाश ने करवाया था।

7. हमीरपुर जिला -

  • गौरीशंकर मंदिर - यह मंदिर सुजानपुर टिहरा में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1793 ई. में संसारचंद ने करवाया था।
  • मुरली मनोहर मंदिर - यह मंदिर सुजानपुर टिहरा में स्थित है और इसका निर्माण राजा संसारचंद ने 1790 ई. में करवाया था।
  • गसोता मंदिर - यह मंदिर हमीरपुर में स्थित है।
  • नर्बदेश्वर मंदिर - यह मंदिर सुजानपुर टिहरा में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा संसारचंद ने करवाया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
  • बाबा बालक नाथ मंदिर - बाबा बालकनाथ का यह मंदिर दियोटसिद्ध हमीरपुर में स्थित है।
  • चामुण्डा मंदिर - सुजानपुर टिहरा का निर्माण 1761 ई.में राजा घमण्डचंद ने करवाया था।

8. बिलासपुर जिला -

  • नैना देवी मंदिर - नैना देवी मंदिर बिलासपुर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण वीरचंद चंदेल ने करवाया था। मान्यताओं के अनुसार यहाँ पर सत्ती के नयन गिरे थे।
  • गोपाल जी मंदिर - गोपाल जी मंदिर बिलासपुर का निर्माण सन 1938 ई. में राजा आनंद चंद ने करवाया था।
  • मुरली मनोहर मंदिर - मुरली मनोहर मंदिर बिलासपुर का निर्माण राजा अभयसंद चंद ने करवाया था।
  • देवभाटी मंदिर - देवभाटी मंदिर ब्रह्मापुखर का निर्माण राजा दीपचंद ने करवाया था।

9. ऊना जिला -

  • चिंतपूर्णी मंदिर - यह मंदिर ऊना में स्थित है। मान्यताओं के अनुसार यहाँ पर सती के चरण गिरे थे।
  • जोगी पंगा - डेरा बाबा जोगी पंगा ऊना के बौल गाँव वे स्थित है।
  • बाबा बड़भाग सिंह - बाबा बड़भाग सिंह का डेरा जिला ऊना के अम्ब से 10 किलोमीटर दूरी पर मैड़ी में स्थित है।
  • बाबा नांगा - ऊना जिले के संतोषगढ़ में बाबा नांगा की समाधि है।

10. सोलन जिला -

  • शूलिनी मंदिर - शूलिनी माता का मंदिर सोलन में स्थित है। शूलिनी माता के नाम पर ही सोलन शहर का मकरण हुआ है।
  • जटोली मंदिर - सोलन के जटोली में हिमाचल प्रदेश का सबसे ऊँचा मंदिर स्थित है। जाटोली महादेव - जोटोली मंदिर सोलन में शिव मंदिर में बहुत प्रसिद्ध है। राजगढ़ रोड पर इसका 8 किमी का सोलन फार्म है। यह मंदिर सोलन जिले का सबसे पुराना और धार्मिक मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव की एक प्रतिमा रखी गई है और शिव लिंग भी रखा गया है। यह भगवान शिव के एशिया का सबसे बड़ा मंदिर है।

11. लाहौल-स्पीति -

  • त्रिलोकीनाथ मंदिर - यह मंदिर लाहौल-स्पीति के उदयपुर में स्थित है। यहाँ पर अविलोकतेशवर की मूर्ति है। यह मंदिर हिन्दुओं और बौद्ध दोनों सम्प्रदायों के लिए पूजनीय है।
  • मृकुला देवी मंदिर - यह मंदिर लाहौल-स्पीति के उदयपुर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण अजयवर्मन ने करवाया था।
  • गुरू घंटाल गोम्पा - लाहौल के तुपचलिंग गाँव में स्थित है। यहाँ अविलोकतेशवर की 8वीं शताब्दी की मूर्ति है जिसका निर्माण पद्मसंभव ने करवाया था। यहाँ प्रतिवर्ष जून के महीने में घंटाल उत्सव मनाया जाता है।
  • गेमूर गोम्पा - केलांग से 18 किमी. की दूरी पर स्थित है।
  • शाशुर गोम्पा - शाशुर गोम्पा का निर्माण ग्योस्तो द्वारा 17वीं शताब्दी में किया गया था। यह लाहौल में स्थित है।
  • कारदांग गोम्पा - यह गोम्पा कारदांग गाँव में स्थित है। इसकी स्थापना 900 ई. के आस-पास हुई थी। लामा नोरबू ने 1912 ई. में इसका पुनर्निर्माण करवाया था।
  • तायुल गोम्पा - तायुल गोम्पा का निर्माण 17 वीं शताब्दी में लामा सरजन रिनचैन ने करवाया था। यहाँ पर पद्मसंभव की 5 मीटर ऊँची प्रतिमा है। यह गोम्पा डुगमा सम्प्रदाय का है।
  • ताबो गोम्पा - ताबो गोम्पा का निर्माण 996 ई. में तिब्बती राजा ये-शशोआद ने करवाया था। यह गोम्पा स्पीति में स्थित है।
  • ढक्खर गोम्पा, की-गोम्पा स्पीति में स्थित है।

12. किन्नौर जिला -

  • किन्नौर जिला में पूह गोम्पा, नामगया मठ, कानम गोम्पा और नाको गोम्पा स्थित है।
  • हटेश्वरी मंदिर, किन्नौर, हिमाचल प्रदेश - वास्तुकला की बौद्ध शैली का प्रदर्शन करते हुए, हटेश्वरी मंदिर के गर्भगृह में दो दिव्य मूर्तियां हैं।
  • हेश्वर मंदिर, सुंगरा, किन्नौर, हिमाचल प्रदेश - वास्तुशिल्प कार्य में स्पष्ट, महेश्वर मंदिर प्राचीन भारत में गॉथिक कार्य को फिर से परिभाषित करता है।
  • बेरिंग नाग मंदिर, किन्नौर, हिमाचल प्रदेश -बेरिंग नाग मंदिर हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगस को समर्पित है। प्रसिद्ध फुलाइच मेला, एक फूल उत्सव, हर साल अगस्त और सितंबर के बीच मंदिर परिसर में मनाया जाता है।
  • कामाख्या देवी मंदिर, कामरू गांव, किन्नौर, हिमाचल प्रदेश - सख्त नियमों के भीतर स्थित, कामाख्या देवी मंदिर एक संरक्षक गढ़ जैसा दिखता है।
  • नारायण नागिनी मंदिर, चीनी गांव, किन्नौर, हिमाचल प्रदेश -नारायण नागिनी मंदिर हिमाचल प्रदेश में किन्नौर जिले के चीनी गांव में एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है। तिब्बती पैगोडा शैली की वास्तुकला में निर्मित यह शानदार मंदिर, किन्नौरी चिनाई का एक आदर्श उदाहरण है।
  • किन्नौर कैलाश यात्रा, किन्नौर, हिमाचल प्रदेश - भगवान शिव का निवास स्थान होने के कारण प्रसिद्ध, तीर्थयात्री हर कोण से मंत्रमुग्ध होकर किन्नौर कैलाश यात्रा करते हैं।
  • महाबोधि किन्नौर बौद्ध मंदिर, किन्नौर, हिमाचल प्रदेश - परम पावन दलाई लामा से आशीर्वादित, महाबोधि किन्नौर बौद्ध मंदिर शानदार वातावरण के बीच स्थित है।
  • नामगया बौद्ध मंदिर, नामगया गांव, किन्नौर, हिमाचल प्रदेश - स्थानीय देवी-देवताओं को समर्पित, नामगया बौद्ध मंदिर चीनी सीमा के करीब स्थित है।
  • लिप्पा मठ, जंगी गांव, किन्नौर, हिमाचल प्रदेश - एक प्रागैतिहासिक निर्माण, लिप्पा मठ बौद्ध धार्मिक कार्यों का एक प्रमुख केंद्र है।
  • कनम मठ, कनम गांव, किन्नौर, हिमाचल प्रदेश - बौद्ध धर्म के पवित्र ग्रंथों को समाहित करते हुए, कनम मठ के परिसर में कई अन्य मठ हैं।
  • जम्पा मठ, चुलिंग गांव, किन्नौर, हिमाचल प्रदेश -जम्पा मठ हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के चुलिंग गांव में स्थित है। शिमला से रिकांग पियो के लिए दैनिक बस सेवा उपलब्ध है। चुलिंग की यात्रा में दो घंटे की पैदल दूरी के अलावा, बस से पूरा एक दिन लगता है। चुलिंग की यात्रा के लिए किसी इनर लाइन-परमिट की आवश्यकता नहीं है।

कला/ साहित्य, 👇👇

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  2. हिमाचल प्रदेश के हस्तकला व वास्तुकला(Handicrafts and Architecture of Himachal Pradesh)
  3. हिमाचल प्रदेश के कला(Art of Himachal Pradesh)
  4. हिमाचल प्रदेश की भाषा और साहित्य(Language and Literature of Himachal Pradesh)
  5. हिमाचल प्रदेश की लोकगीत, धर्म, लोकनृत्य (Folk Songs, Religion, Folk Dances of Himachal Pradesh)
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