देवभूमि उत्तराखंड : विश्व का सबसे ऊँचा शिव मंदिर तुंगनाथ बनेगा "राष्ट्रीय विरासत स्थल"
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) द्वारा विश्व की सबसे ऊंचाई पर स्थित शिवालय तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के प्राचीन मंदिर की विरासत को संरक्षित करने एवं इसे राष्ट्रीय महत्व की धरोहर के रूप में सुरक्षित रखने के लिए एक योजना तैयार की गई है। इसके अनुसार अगले साल से मंदिर के सभामंडप के संरक्षण का कार्य प्रारंभ किया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार को मंदिर व परिसर के संरक्षण के लिए प्रस्ताव भेजा दिया गया है।
मंदिर के संरक्षण से संबंधित जानकारी
- प्राचीन मंदिर के सभामंडप को सुरक्षित करने का कार्य अप्रैल 2021 में प्रारंभ किया जाएगा।
- सभामंडप की पुरानी दीवारों को सुरक्षित एवं संरक्षित करने की दृष्टि से इनका कत्यूरी शैली में नव निर्माण किया जाएगा। इस हेतु परिसर सहित सम्पूर्ण मंदिर के संरक्षण व जीर्णोद्धार के लिए तैयार प्रस्ताव केंद्र को भेज दिया है।
- ध्यान देने योग्य है कि वर्ष 1991-99 में आए भूकंप व विभिन्न समयांतराल में क्षेत्र में आई प्राकृतिक आपदाओं की वजह से मंदिर दयनीय स्थिति में है। सभामंडप की दीवारें क्षतिग्रस्त हो गई हैं एवं उनमें दरारें पड़ गईं हैं। इसलिए प्रदेश सरकार द्वारा भारतीय सर्वेक्षण विभाग को मंदिर के संरक्षण का दायित्व सौंपा गया है।
- तुंगनाथ एक प्रमुख हिन्दू मंदिर है जो उत्तराखंड, भारत में स्थित है और शिव भगवान को समर्पित है। यह मंदिर पंच केदारों में से एक है और पंच केदार यात्रा का हिस्सा है। यहां कुछ रोचक तथ्य हैं जो तुंगनाथ मंदिर के संबंध में हैं:
- स्थान: तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में चंद्रशीला पर्वतीय क्षेत्र में स्थित है। यहां से आसमान में अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य दृश्य होते हैं।
- तुंगनाथ और पंच केदार यात्रा: तुंगनाथ मंदिर पंच केदार यात्रा का तीसरा स्थल है, जो पंच केदारों की यात्रा के दौरान यात्री द्वारा दर्शन किया जाता है।
- चंद्रशीला: तुंगनाथ के आस-पास स्थित चंद्रशीला पर्वत एक लोकप्रिय ट्रेकिंग और पर्वतारोहण स्थल है।
- धार्मिक महत्व: यह मंदिर हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है और यहां हर साल बारिश के बाद के यात्रा सीजन में भक्तों की भरमार होती है।
- विशेषताएँ: तुंगनाथ मंदिर के पास एक गौरीकुंड नामक कुंड है, जिसे भगवान शिव की पत्नी गौरी से जोड़ा जाता है।
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देवभूमि उत्तराखंड |
तुंगनाथ मंदिर एक धार्मिक और प्राकृतिक स्थल है, जो प्रशांत और आत्मा की शांति के लिए जाना जाता है।
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