नैना देवी ( नयना देवी) जी की आरती (Aarti of Naina Devi (Nayana Devi) ji)

नैना देवी ( नयना देवी) जी की आरती (Aarti of Naina Devi (Nayana Devi) ji)

  1. मंगल आरती – माता की पहली आरती मंगल आरती कहलाती है । प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में लगभग 04:00 बजे पुजारी मंदिर खोलता है और मन्दिर में घण्टी बजा कर माता को जगाया जाता है। तदनंतर माता की शेय्या समेट कर रात को गडवी में रखे जल से माता के चक्षु और मुख धोये जाते है। उसी समय माता को काजू, बादाम, खुमानी, गरी, छुआरा, मिश्री, किशमिश, आदि में से पांच मेवों का भोग लगाया जाता है। जिसे ‘मोहन भोग ‘ कहते है । मंगल आरती में दुर्गा सप्तशती में वर्णित महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, के ध्यान के मंत्र बोले जाते है । माता के मूल बीज मंत्र और माता श्रीनयनादेवी के ध्यान के विशिष्ट मंत्रो से भी माता का सत्वन होता है । ये विशिष्ट मन्त्र गोपनीय है । इन्हें केवल दीक्षित पुजारी को ही बतलाया जा सकता है। 
  2. श्रृंगार आरती – श्रृंगार आरती के लिए मंदिर के पृष्ठ भाग की ढलान की और निचे लगभग 2 किलोमीटर की दुरी पर स्थित ‘झीडा’ नामक बाऊडी से एक व्यक्ति जिसे ‘गागरिया’ कहते है , नंगे पांव माता के स्नान एवं पूजा के लिए पानी की गागर लाता है । श्रृंगार आरती लगभग 6:00 बजे शुरू होती है जिसमे षोडशोपचार विधि से माता का स्नान तथा हार श्रृंगार किया जाता है । इस समय सप्तशलोकी दुर्गा और रात्रिसूक्त के श्लोको से माता की स्तुति की जाती है । माता को हलवा और बर्फी का भोग लगता है जिसे ‘बाल भोग’ कहते है । श्रृंगार आरती उपरांत दशमेश गुरु गोविन्द सिंह जी द्वारा स्थापित यज्ञशाला स्थल पर हवन यज्ञ किया जाता है । जिसमे स्वसित वाचन, गणपति पुजन, संकल्प, स्त्रोत, ध्यान, मन्त्र जाप, आहुति आदि सभी प्रक्रियाएं पूर्ण की जाती है ।
  3. मध्यान्ह आरती – इस अवसर पर माता को राज भोग लगता है । राज भोग में चावल, माश की दाल, मुंगी साबुत या चने की दाल, खट्टा, मधरा और खीर आदि भोज्य व्यंजन तथा ताम्बूल अर्पित किया जाता है । मध्यान्ह आरती का समय दोपहर 12:00 बजे है । इस आरती के समय सप्तशलोकी दुर्गा के श्लोको का वाचन होता है ।
  4. सायं आरती – सायं आरती के लिए भी झीडा बाऊडी से माता के स्नान के लिए गागरिया पानी लाता है । लगभग 6:30 बजे माता का सायंकालीन स्नान एवं श्रृंगार होता है । इस समय माता को चने और पूरी का भोग लगता है । ताम्बूल भी अर्पित किया जाता है । इस समय के भोग को ‘श्याम भोग’ कहते है । सायं आरती में सोंदर्य लहरी के निम्नलिखित श्लोको का गायन होता है। 
  5. शयन आरती – रात्रि 9:39 बजे माता को शयन करवाया जाता है । इस समय माता की शेय्या सजती है । दुध् और बर्फ़ी का भोग लगता है । जिसे ‘दुग्ध् भोग’ के नाम से जाना जाता है । 

नैना देवी ( नयना देवी) जी की आरती (Aarti of Naina Devi (Nayana Devi) ji)

तेरा अदभुत रूप निराला,
आजा! मेरी नैना माई ए |

तुझपै तन मन धन सब वारूं,
आजा मेरी नैना माई ए ||

सुन्दर भवन बनाया तेरा,
तेरी शोभा न्यारी |

नीके नीके खम्भे लागे,
अद्-भुत चित्तर करी
तेरा रंग बिरंगा द्वारा || आजा

झाँझा और मिरदंगा बाजे,
और बाजे शहनाई |

तुरई नगाड़ा ढोलक बाजे,
तबला शब्त सुनाई |
तेरे द्वारे नौबत बाजे || आजा

पीला चोला जरद किनारी,
लाल ध्वजा फहराये |

सिर लालों दा मुकुट विराजे,
निगाह नहिं ठहराये |
तेरा रूप न वरना जाए || आजा

पान सुपारी ध्वजा,
नारियल भेंट तिहारी लागे |

बालक बूढ़े नर नारी की,
भीड़ खड़ी तेरे आगे |
तेरी जय जयकार मनावे || आजा

कोई गाए कोई बजाए,
कोई ध्यान लगाये |

कोई बैठा तेरे आंगन में,
नाम की टेर सुनाये |
कोई नृत्य करे तेरे आगे || आजा

कोई मांगे बेटा बेटी,
किसी को कंचन माया |

कोई माँगे जीवन साथी,
कोई सुन्दर काया |
भक्तों किरपा तेरी मांगे || आजा

बिलासपुर जिला -

  • नैना देवी मंदिर - नैना देवी मंदिर बिलासपुर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण वीरचंद चंदेल ने करवाया था। मान्यताओं के अनुसार यहाँ पर सत्ती के नयन गिरे थे।
  1. नैना देवी मंदिर बिलासपुर (Naina Devi Temple Bilaspur )
  2. माता श्री नैना देवी जी मंदिर परिसर में रखे गए देवता (Deities kept in the premises of Mata Shri Naina Devi Ji Temple)
  3. नैना देवी ( नयना देवी) जी की आरती (Aarti of Naina Devi (Nayana Devi) ji)
  4. नैना देवी ( नयना देवी) जी की चालीसा (Chalisa of Naina Devi (Nayana Devi) ji)
  • गोपाल जी मंदिर - गोपाल जी मंदिर बिलासपुर का निर्माण सन 1938 ई. में राजा आनंद चंद ने करवाया था।
  • मुरली मनोहर मंदिर - मुरली मनोहर मंदिर बिलासपुर का निर्माण राजा अभयसंद चंद ने करवाया था।
  1. मुरली मनोहर मंदिर बिलासपुर(Murli Manohar Temple Bilaspur)
  • देवभाटी मंदिर - देवभाटी मंदिर ब्रह्मापुखर का निर्माण राजा दीपचंद ने करवाया था।

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