मुरली मनोहर मंदिर बिलासपुर(Murli Manohar Temple Bilaspur)

मुरली मनोहर मंदिर बिलासपुर(Murli Manohar Temple Bilaspur)

टोच वंश के शासक महाराजा संसार चंद ने 400 साल पहले मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण करवाया था. मुरली मनोहर मंदिर में मौजूद भगवान श्री कृष्ण बांसुरी बजाते हुए विपरीत दिशा में दिखाई देते हैं.

मुरली मनोहर मंदिर बिलासपुर(Murli Manohar Temple Bilaspur)
  1. हिमाचल प्रदेश के ही हमीरपुर जिले के सुजानपुर में होली मेला काफी प्रसिद्ध है. यहां पर हमीरपुर में तीन दिन तक सुजानपुर होली महोत्सव चलता है. हमीरपुर में सुजानपुर में होली मेला काफी मशहूर है. इसका इतिहास तीन सौ साल पुराना है.
  2. विश्व के सबसे प्राचीन कटोच वंश के 481वें महाराजा संसार चंद ने हिमाचल के हमीरपुर के सुजानपुर के चौगान में साल 1795 में प्रजा के साथ होली खेली थी. पहली बार राजमहल में तैयार खास तरह के गुलाल से तिलक होली मनाआ गई गई थी. इसी कड़ी में अब सुजानपुर के चौगान मैदान में होली महोत्सव होता है.
  3. 300 साल पहले सुजानपुर में 400 वर्ष पुराने राधा कृष्ण मंदिर से राजा ने होली मनाई थी. कटोच वंश पर हुए राष्ट्रीय शोध संस्थान नेरी के शोध में यह बात सामने आई थी. शोध में कहा गया था कि पूरे वर्ष में केवल होली के दिन ही राजा संसार चंद के आम लोगों को दर्शन हुआ करते थे.
  4. कटोच वंश का इतिहास मंगोलिया देश तक जुड़ा है. एक बार मंगोलिया के दूत सुजानपुर आए थे और उन्होंने भी यह जानकारी दी थी. अब शोध में यह बात भी सामने आई है कि उत्तर प्रदेश के रामपुर के नवाब मुल्ला मोहम्मद खान को सुजानपुर में राजनीतिक शरण मिली थी.
  5. महाराजा की सेना में दो अंग्रेज विदेशी अधिकारी भी थे, जिनमें ओब्राइन आइरिश और जेम्स अंग्रेज थे. जो अंग्रेजी सेना के अनुरूप सैनिकों को प्रशिक्षित करते थे. होली के दिन सेना के अलावा रानियां और राजा भी सुजानपुर में एकत्र हो जाते थे.
  6. काँगड़ा व जोधपुर की सांसद रहीं एवं पूर्व स्वास्थ्य मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच वंश के 489वें वंशज हैं. उनके बेटे एश्वर्य कटोच सुजानपुर से तीन किलोमीटर टीहरा महाराजा संसार चंद की राजधानी में भी मेले को एक दिन मनाने की मांग उठाते रहे हैं.
  7. काँगड़ा व जोधपुर की सांसद रहीं एवं पूर्व स्वास्थ्य मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच वंश के 489वें वंशज हैं. उनके बेटे एश्वर्य कटोच सुजानपुर से तीन किलोमीटर टीहरा महाराजा संसार चंद की राजधानी में भी मेले को एक दिन मनाने की मांग उठाते रहे हैं.
  8. शोध के मुताबिक, 1795 को सुजानपुर के अस्तित्व में आने से पहले टीहरा में भी होली होती थी. संसार चंद का जन्म 1765 को हुआ था.पिता तेग चंद की जगह उन्हें राजगद्दी मिली थी. साल 1823 को उनकी मृत्यु हुई थी.
  9. कटोच वंश के शासक महाराजा संसार चंद ने 400 साल पहले मुरली मनोहर मंदिर का निर्माण करवाया था. मुरली मनोहर मंदिर में मौजूद भगवान श्री कृष्ण बांसुरी बजाते हुए विपरीत दिशा में दिखाई देते हैं.
  10. हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के मध्य में, सुजानपुर शहर में भगवान कृष्ण को समर्पित एक असाधारण मंदिर है, जिसे मुरली मनोहर मंदिर के नाम से जाना जाता है। जो बात इस मंदिर को अलग करती है वह भगवान कृष्ण की मूर्ति की अनूठी स्थिति है, जहां बांसुरी को विपरीत दिशा में सुंदर ढंग से रखा गया है। लगभग 400 साल पहले कटोच वंश के राजा संसार चंद द्वारा स्थापित, मुरली मनोहर मंदिर आज भी विश्वासियों के लिए भक्ति का केंद्र बना हुआ है, जो राष्ट्रीय स्तर पर भव्य होली उत्सव की मेजबानी करता है।
  11. किंवदंती है कि मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति की स्थापना के दौरान, राजा संसार चंद ने देवता की स्थिति के बारे में सवाल उठाए थे। जवाब में संतोषजनक उत्तर न मिलने पर उसने सभी पुजारियों का सिर कलम करने का आदेश दे दिया। उत्तर की तलाश में पुजारी रात भर जागते रहे।
  12. उन्हें आश्चर्य हुआ, जब भगवान कृष्ण की मूर्ति में बांसुरी, जो शुरू में एक दिशा की ओर थी, सुबह तक रहस्यमय तरीके से विपरीत दिशा में मुड़ गई। इस चमत्कारी घटना ने राजा संसार चंद को मंदिर में भगवान कृष्ण की दिव्य उपस्थिति के बारे में आश्वस्त किया।
  13. कटोच राजवंश के मुख्य पुजारी रवि अवस्थी बताते हैं कि मुरली मनोहर मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति दुनिया में एकमात्र ऐसी मूर्ति है जहां बांसुरी विपरीत दिशा में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर भक्तों की इच्छाओं को पूरा करता है, जो सदियों से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करता है।
  14. लगभग 400 साल पहले एक लाख रुपये के बजट से निर्मित, मुरली मनोहर मंदिर वास्तुकला और आध्यात्मिक भव्यता के प्रतीक के रूप में खड़ा है। मंदिर पारंपरिक होली उत्सव का आयोजन करता है, जो एक विरासत है जो सदियों से जारी है। इतने वर्षों के बाद भी, त्योहार की शुरुआत भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियों पर रंगीन पाउडर लगाने से होती है।
  15. सुजानपुर पहुंचने के इच्छुक यात्रियों के लिए, निकटतम रेलवे स्टेशन ऊना है, जो लगभग 85 किलोमीटर दूर है। वहां से सीधे सुजानपुर की यात्रा की जा सकती है। वैकल्पिक रूप से, कांगड़ा बस स्टैंड से सड़क यात्रा 64 किलोमीटर की दूरी तय करती है, जो सुजानपुर के लिए एक सुरम्य मार्ग प्रदान करती है। हमीरपुर या नादौन से भी पहुंच सुविधाजनक है। दिल्ली से सुजानपुर के लिए सीधी बस सेवा उपलब्ध है, जिससे यात्रा परेशानी मुक्त हो जाती है।

बिलासपुर जिला -

  • नैना देवी मंदिर - नैना देवी मंदिर बिलासपुर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण वीरचंद चंदेल ने करवाया था। मान्यताओं के अनुसार यहाँ पर सत्ती के नयन गिरे थे।
  1. नैना देवी मंदिर बिलासपुर (Naina Devi Temple Bilaspur )
  2. माता श्री नैना देवी जी मंदिर परिसर में रखे गए देवता (Deities kept in the premises of Mata Shri Naina Devi Ji Temple)
  3. नैना देवी ( नयना देवी) जी की आरती (Aarti of Naina Devi (Nayana Devi) ji)
  4. नैना देवी ( नयना देवी) जी की चालीसा (Chalisa of Naina Devi (Nayana Devi) ji)
  • गोपाल जी मंदिर - गोपाल जी मंदिर बिलासपुर का निर्माण सन 1938 ई. में राजा आनंद चंद ने करवाया था।
  • मुरली मनोहर मंदिर - मुरली मनोहर मंदिर बिलासपुर का निर्माण राजा अभयसंद चंद ने करवाया था।
  1. मुरली मनोहर मंदिर बिलासपुर(Murli Manohar Temple Bilaspur)
  • देवभाटी मंदिर - देवभाटी मंदिर ब्रह्मापुखर का निर्माण राजा दीपचंद ने करवाया था।

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