पहाड़ी कविताएं - पहाड़ों की सुबह, प्रकृति की गोद में, पहाड़ों की शान Pahari Poems - Morning of the Mountains, In the lap of nature, The Pride of the Mountains

पहाड़ी कविताएं  पहाड़ों की सुबह, प्रकृति की गोद में, पहाड़ों की शान


पहाड़ी कविताएं प्राकृतिक सौंदर्य, संस्कृति और जीवन के अनुभवों को खूबसूरती से बयां करती हैं। यहाँ एक पहाड़ी कविता का उदाहरण है

भाग 1 पहाड़ी कविताएं - 

  1. पहाड़ों की सुबह, 
  2. प्रकृति की गोद में, 
  3. पहाड़ों की शान

1-पहाड़ी कविताएं  "पहाड़ों की सुबह"

पहाड़ों की सुबह में अद्भुत नजारा,
सूरज की किरणें जैसे सोना बिखरा।

हरे-भरे जंगल, बर्फीली चोटियाँ,
नीला आसमान, श्वेत धवल घाटियाँ।

चिड़ियों की चहचहाहट, नदी की कलकल,
फूलों की खुशबू, ताजगी का पल।

चाय की चुस्की, सर्द हवाओं का आलिंगन,
गाँव की गलियों में बच्चों का हुड़दंग।

साधारण जीवन, पर दिल से जुड़ा,
पहाड़ों का जीवन, सच्चाई से भरा।

प्रकृति की गोद में सुखद अहसास,
पहाड़ों की सुबह, दिल को करे उदास।

आओ, चलें इन पहाड़ों की ओर,
जहाँ मिले सुकून, शांति और जोर।

यहाँ की सुबहें, बेमिसाल और प्यारी,
आओ, देखें इस सुंदरता की सवारी।

2- पहाड़ी कविताएं "पहाड़ों की शान"


ऊँचे-ऊँचे पर्वत, हरियाली का संसार,
नीले-नीले आकाश, सुंदरता का अद्वितीय आकार।

बहती हैं नदियाँ, शीतलता का अहसास,
चहकते हैं पक्षी, देते मधुर आवाज़।

फूलों की घाटियाँ, रंगों का उत्सव,
बगुले और बादल, सबके संग मिलन।

सूरज की किरणें, स्वर्णिम आभा बिखेरें,
चाँदनी रातें, सपनों को संजोएं।

झरनों की कल-कल, संगीत की धारा,
पेड़ों की छांव, सुकून का सहारा।

मिट्टी की खुशबू, ताजगी का अहसास,
पहाड़ी गाँव, अपनेपन का विश्वास।

यहाँ की सादगी, दिल को छू जाए,
पहाड़ों की वादियों में, मन रम जाए।

सच्चाई और प्रेम, यहाँ के जीवन का सार,
पहाड़ों की शान, दिल से है प्यारा।

3 - पहाड़ी कविताएं  "प्रकृति की गोद में"


पर्वतों की ऊंचाई, आसमान को छूती,
हरी-भरी वादियाँ, सुकून से भरपूर होती।

बर्फ से ढके शिखर, चमकते मोती जैसे,
प्रकृति की गोद में, सब कुछ लगे नए से।

पक्षियों की चहचहाहट, मन को है भाती,
झरनों की मधुर ध्वनि, आत्मा को जगाती।

पेड़-पौधे और फूल, रंगों का त्योहार,
सजीव हो उठती है, धरती की हर पार।

यहाँ की हवा में, ताजगी की महक,
हर सांस में महसूस हो, प्रकृति का चहेक।

पहाड़ी जीवन का, अलग ही है रंग,
सादगी और प्रेम से, बसा है हर अंग।

चलो चलते हैं उस ओर, जहाँ है सुकून का बसेरा,
पहाड़ों की इस गोद में, जीवन का नया सवेरा।

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