मसूरी गोलीकांड: उत्तराखंड राज्य आंदोलन की एक दर्दनाक याद - masuri golikand: uttarakhand rajy andolan ki ek dardnak yaad

मसूरी गोलीकांड: उत्तराखंड राज्य आंदोलन की एक दर्दनाक याद

2 सितंबर 2022, देहरादून: उत्तराखंड के इतिहास में 2 सितंबर 1994 एक काले दिन के रूप में जाना जाता है। इस दिन उत्तर प्रदेश से अलग उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर जारी आंदोलन ने एक दर्दनाक मोड़ लिया, जिसे आज भी याद किया जाता है। मसूरी में हुए गोलीकांड ने न सिर्फ आंदोलनकारियों की कुर्बानी की कहानी को ज़िंदा रखा, बल्कि राज्य के निर्माण के संघर्ष की गाथा को भी रेखांकित किया।

मसूरी गोलीकांड की पृष्ठभूमि

1994 में उत्तराखंड राज्य के गठन की मांग ने राज्यभर में जनसमूह को उत्तेजित कर दिया था। विभिन्न छात्र संगठनों, महिलाओं, कर्मचारी संगठनों और आम जनता ने अपने-अपने क्षेत्रों में प्रदर्शन शुरू कर दिए थे। 1 सितंबर 1994 को खटीमा में पुलिस ने आंदोलनकारियों पर गोलीबारी की थी, जिसमें कई लोग शहीद हो गए थे। इस घटना ने पूरे राज्य में गुस्से की लहर दौड़ा दी और 2 सितंबर को मसूरी में भी प्रदर्शन तेज हो गया।

2 सितंबर का घटनाक्रम

1 सितंबर की रात से ही मसूरी के झूलाघर स्थित कार्यालय पर आंदोलनकारियों का जमावड़ा शुरू हो गया था। 2 सितंबर को आंदोलनकारी और आम लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन इस दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस और पीएसी ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चला दीं, जिससे स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई।

मसूरी गोलीकांड के शहीद:

  • बेलमती चौहान (48) - ग्राम खलोन, पट्टी घाट, अकोदया, टिहरी
  • हंसा धनई (45) - ग्राम बंगधार, पट्टी धारमंडल, टिहरी
  • बलबीर सिंह नेगी (22) - लक्ष्मी मिष्ठान भंडार, लाइब्रेरी, मसूरी
  • धनपत सिंह (50) - ग्राम गंगवाड़ा, पट्टी गंगवाड़स्यूं, टिहरी
  • मदन मोहन ममगाईं (45) - ग्राम नागजली, पट्टी कुलड़ी, मसूरी
  • राय सिंह बंगारी (54) - ग्राम तोडेरा, पट्टी पूर्वी भरदार, टिहरी

इसके साथ ही, एक ड्यूटी पर तैनात डीएसपी भी गोलीबारी का शिकार हो गए। इस गोलीकांड ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन की आग में और घी डाल दिया और पूरे राज्य में आंदोलन का असर बढ़ गया।

आंदोलन का प्रभाव

मसूरी और खटीमा गोलीकांड ने राज्य आंदोलन को नई ऊर्जा दी। आंदोलन अब केवल संगठित आंदोलनकारियों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि गांव, घरों और समाज के हर वर्ग तक पहुँच गया। इसके बाद 1 अक्टूबर 1994 को रामपुर तिराहा गोलीकांड हुआ, जो इस आंदोलन की तीव्रता को और स्पष्ट करता है।

उत्तराखंड के गठन की ओर कदम

लगभग छह साल बाद, 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड का गठन हुआ। इस घटना ने राज्य के आंदोलनकारियों के संघर्ष और बलिदान की कहानी को पूरा किया। आज भी, मसूरी गोलीकांड की याद राज्य के शहीदों और उनके बलिदान को जीवित रखे हुए है।

शहीदों की याद और आज का उत्तराखंड

मसूरी गोलीकांड ने यह स्पष्ट कर दिया कि राज्य की स्थापना के लिए कितनी कुर्बानियां दी गईं। आज भी, यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि संघर्ष और बलिदान के बिना बदलाव संभव नहीं होता। उत्तराखंड की आजादी के लिए की गई इन कुर्बानियों को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

तस्वीरों की गैलरी: (इस घटना के दूसरे दिन प्रकाशित एक अखबार की कटिंग का उपयोग किया गया है।)

निष्कर्ष

मसूरी गोलीकांड की याद आज भी उत्तराखंड की राज्य आंदोलन की गाथा में एक महत्वपूर्ण अध्याय की तरह है। शहीदों की कुर्बानियों और संघर्ष के बिना उत्तराखंड का सपना पूरा नहीं हो सकता था। यह दिन हमें यह सिखाता है कि समाज में बदलाव लाने के लिए बलिदान और संघर्ष की आवश्यकता होती है। उत्तराखंड की आजादी के लिए की गई इन कुर्बानियों को सदा याद रखा जाएगा।

मसूरी गोलीकांड: 

1. मसूरी गोलीकांड क्या था?
मसूरी गोलीकांड 2 सितंबर 1994 को उत्तर प्रदेश पुलिस और पीएसी द्वारा उत्तराखंड राज्य के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों पर गोलीबारी की घटना थी। इसमें छह लोग शहीद हुए और कई लोग घायल हुए।

2. मसूरी गोलीकांड क्यों हुआ?
मसूरी गोलीकांड का कारण उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन के दौरान उत्पन्न हुआ तनाव था। 1 सितंबर को खटीमा में गोलीकांड के बाद, गुस्साए आंदोलनकारियों ने मसूरी में विरोध प्रदर्शन किया, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस ने गोलीबारी की।

3. मसूरी गोलीकांड में कौन-कौन शहीद हुए?
मसूरी गोलीकांड में शहीद हुए प्रमुख व्यक्ति हैं:

  • बेलमती चौहान
  • हंसा धनाई
  • बलबीर सिंह नेगी
  • धनपत सिंह
  • मदन मोहन ममगाईं
  • राय सिंह बंगारी

4. गोलीकांड के बाद पुलिस ने क्या कार्रवाई की?
गोलीकांड के बाद पुलिस ने 46 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर बरेली सेंट्रल जेल भेज दिया। कई आंदोलनकारियों ने वर्षों तक कानूनी मुकदमों का सामना किया और जुल्म झेले।

5. मसूरी गोलीकांड के बाद राज्य आंदोलनकारियों के साथ क्या हुआ?
आंदोलनकारियों ने सीबीआई के मुकदमों का सामना किया और कई वर्षों तक जेल में रहे। गोलीकांड के शिकार हुए लोगों की याद में हर साल श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।

6. मसूरी गोलीकांड का उत्तराखंड राज्य के गठन पर क्या प्रभाव पड़ा?
मसूरी गोलीकांड ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन की आग को भड़काया, जिससे आंदोलन और तेज हुआ। इस घटना ने 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य के गठन की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

7. मसूरी गोलीकांड की वार्षिकी पर कौन-कौन से कार्यक्रम होते हैं?
मसूरी गोलीकांड की वार्षिकी पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। राज्य के नेता और अधिकारी शहीदों की याद में समारोह आयोजित करते हैं और राज्य के विकास के मुद्दों पर चर्चा करते हैं।

8. मसूरी गोलीकांड की अहमियत क्या है?
मसूरी गोलीकांड का महत्व शहीदों की कुर्बानी को याद करने और उत्तराखंड राज्य के निर्माण में उनके योगदान को सम्मानित करने में है। यह घटना राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में मानी जाती है।

9. मसूरी गोलीकांड के पीड़ित परिवारों के साथ सरकार ने क्या किया?
मसूरी गोलीकांड के पीड़ित परिवारों को सरकार की ओर से सहायता और सम्मान देने की कोशिश की गई है। शहीदों के परिवारों के लिए सरकारी सहायता और सम्मान कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।

10. क्या मसूरी गोलीकांड की घटनाओं के आधार पर कोई सजा या न्याय हुआ?
मसूरी गोलीकांड की घटनाओं के बाद, कोई सजा या न्याय नहीं हुआ। गोलीबारी के जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई और शहीदों के हत्यारों को आज तक सजा नहीं मिल पाई है।

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