मेरी पूजा में हो रही देर: एक भक्त की विनती - meri puja mein ho rahi there: ek bhakt ki vinati

मेरी पूजा में हो रही देर: एक भक्त की विनती

मेरी, पूजा में, हो रही देर,
गजानन, आ जाओ ll

भगवान गणेश की पूजा में हर भक्त अपनी भक्ति का इज़हार अपने तरीके से करता है। इस भक्ति गीत में, भक्त अपनी व्याकुलता और उत्सुकता व्यक्त करता है, जिसमें वह भगवान गणेश से जल्दी से जल्दी आने की विनती कर रहा है, क्योंकि उनकी पूजा में देर हो रही है। गीत की सरलता और भावुकता इसे बेहद खास बनाती है।

गीत के बोल:

मेरी, पूजा में, हो रही देर,
गजानन, आ जाओ ll

ब्रह्मा भी, आ गए, विष्णु भी, आ गए ll
लक्ष्मी ने
, कर दी देर, गजानन, आ जाओ l
मेरी, पूजा में, हो रही देर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
*

राम भी, आ गए, लक्ष्मण भी, आ गए ll
सीता ने
, कर दी देर, गजानन, आ जाओ l
मेरी, पूजा में, हो रही देर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
*

दाऊ भी, आ गए, कृष्ण भी, आ गए ll
राधा ने
, कर दी देर, गजानन, आ जाओ l
मेरी, पूजा में, हो रही देर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
*

भोले भी, आ गए, कार्तिक भी, आ गए ll
गौरा ने
, कर दी देर, गजानन, आ जाओ l
मेरी, पूजा में, हो रही देर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
*

गीत का सार:

इस गीत में भक्त भगवान गणेश से आग्रह कर रहा है कि वे शीघ्र आकर उनकी पूजा को पूर्ण करें। अलग-अलग देवताओं का आना, और उनकी सहचरी देवियों द्वारा पूजा में देरी करना, इस बात को दर्शाता है कि भक्त की पूजा भगवान गणेश की उपस्थिति के बिना अधूरी है।

गीत का अंतिम लक्ष्य यह है कि भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है, वे जल्दी से आकर सभी विघ्नों को दूर करें और पूजा को सफल बनाएं।

आसन सहित चले आना गजानन: एक भक्त की भावपूर्ण प्रार्थना

आसन सहित चले आना,
गजानन मेरे भवनवा में.....

भक्ति गीतों की परंपरा में यह गीत एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस गीत में भक्त भगवान गणेश से प्रार्थना कर रहा है कि वे अपने साथ अन्य देवी-देवताओं को भी लेकर आएं। गीत की पंक्तियों में छुपा भाव भक्त की उस श्रद्धा और विश्वास को दर्शाता है, जिसमें वह यह मानता है कि भगवान गणेश के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की उपस्थिति से ही उनका घर पूर्ण और पवित्र हो सकेगा।

गीत के बोल:

आसन सहित चले आना,
गजानन मेरे भवनवा में.....

विष्णु को बुलाएंगे तो लक्ष्मी रूठ जाएगी,
लक्ष्मी रूठ जाएंगी तो फिर नहीं आएंगी,
लक्ष्मी सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में,
लक्ष्मी सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में,
अरे आसन सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में....

भोले को बुलाएंगे तो गौरा रूठ जाएगी,
गौरा रूठ जाएंगी तो फिर नहीं आएंगी,
गौरा सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में,
गौरा सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में,
अरे आसन सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में....

राम को बुलाएंगे तो सीता रूठ जाएगी,
सीता रूठ जाएगी तो फिर नहीं आएंगी,
सीता सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में,
सीता सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में,
अरे आसन सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में....

कान्हा को बुलाएंगे तो राधा रूठ जाएगी,
राधा रूठ जाएंगी तो फिर नहीं आएंगी,
राधा सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में,
राधा सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में,
अरे आसन सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में....

मैया को बुलाएंगे तो लांगुर रूठ जाएंगे,
मैया को बुलाएंगे तो भैरव रूठ जाएंगे,
भैरव रूठ जाएंगे तो फिर नहीं आएंगे,
भैरव सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में,
अरे आसन सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में….

सतगुरु को बुलाएंगे तो संगत रूठ जाएंगी,
संगत रूठ जाएगी तो फिर नहीं आएंगी,
संगत सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में,
अरे आसन सहित चले आना गजानन मेरे भवनवा में……

गणपति राखो मेरी लाज गणपति राखो मेरी लाज,
पूरण करियो मेरे काज, पूरण करियो सबके काज,
गणपति राखो मेरी लाज, गजानन राखो मेरी लाज….

गीत का सार:

इस गीत में, भक्त भगवान गणेश से यह आग्रह करता है कि वे अपने साथ उन देवी-देवताओं को भी लाएं, जिनकी उपस्थिति से उसका जीवन और उसका घर पूर्ण हो जाए। हर देवता के साथ उनका अन्य आधा जुड़ा होता है, और उस आधे के बिना वह देवता पूर्ण नहीं होता। यही कारण है कि भक्त भगवान गणेश से प्रार्थना कर रहा है कि वे अपने साथ लक्ष्मी, गौरा, सीता, राधा और अन्य देवी-देवताओं को लेकर आएं

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