गाँव की मिट्टी: बचपन की अनमोल यादें
गाँव की मिट्टी से हमारा नाता केवल हमारे बचपन की यादों से ही नहीं, बल्कि उन अनुभवों से भी जुड़ा है जो हमें जीवन भर प्रेरित करते हैं। गाँव का जीवन अपने आप में एक अलग दुनिया है, जिसमें संस्कृति, परंपरा और प्रकृति का अनूठा संगम है। इस ब्लॉग में, हम उस मिट्टी की महक, उसकी गंध, और उससे जुड़ी भावनाओं को समझने की कोशिश करेंगे जो हमें हमारे गाँव की याद दिलाती है।
गाँव की मिट्टी
भावार्थ:
इस कविता में अपने गाँव के मिट्टी के साथ बचपन की यादें और अपनापन दर्शाया गया है। यह गाँव का पुश्तैनी मकान और वहां के रंग, गंध और स्वाद को व्यक्त करता है। दादी के किस्से, चूल्हे की गर्मी, और पुराने जमाने के परिवेश की यादें जो गाँव की मिट्टी के साथ जुड़ी हैं, उनका वर्णन है। शहर के आधुनिक माहौल में रहते हुए भी, गाँव की मिट्टी की यादें और संवेदनाएँ कवि के मन में बसी हैं। यह गाँव की मिट्टी के प्रति प्रेम और स्नेह का अद्भुत चित्रण है, जो समय के साथ भी कभी नहीं मिटता।
गाँव की मिट्टी का महत्त्व
गाँव की मिट्टी का अपना एक अलग ही महत्त्व होता है। यह केवल धूल-मिट्टी नहीं है, बल्कि यह हमारे बचपन के सपनों और यादों की गवाह होती है। हमारे पुश्तैनी मकान की दीवारें, जहाँ दादी के किस्से-कहानियों की गूंज थी, और वो चूल्हे की गर्मी, जो सर्द रातों में हमें सुकून देती थी - ये सब हमारी गाँव की मिट्टी के साथ जुड़े हुए हैं।
पुश्तैनी मकान और यादें
गाँव के पुश्तैनी मकान में बिताए गए वो पल आज भी हमारे दिल में बसे हुए हैं। कमेट से पुती दीवारें, गोबर-मिट्टी से लीपी हुई देहरी, और लालमाटी-बिस्वार के संयोग से सजी हुई आंगन - ये सब कुछ ऐसे अनुभव हैं जो शहर की चमक-धमक में भी नहीं मिल सकते।
"वो चीड़ की दादर-फंटियां-वो देवदार के बांसे के ऊपरभूरी-नीली पाथरौं से ढका हुआ सपनों का सुन्दर घर।"
इन पंक्तियों में जो गहराई और अपनापन छिपा है, वह शब्दों में नहीं समा सकता। यह घर हमारे बचपन का अभिन्न हिस्सा था, जहाँ हम दादी की कहानियाँ सुनते थे और अगेठी के पास बैठकर पहाड़ों की गिनती करते थे।
दादी की कहानियाँ और चूल्हे की गर्मी
गाँव की रातें भी कुछ खास होती थीं। छिलुके की मशाल की रोशनी और केरोसीन के लैम्प की मंद रोशनी में बसीं वो यादें, आज भी हमारे दिलो-दिमाग में ताजा हैं। दादी की कहानियाँ, जिनमें जीवन के गहरे रहस्य और सीख छिपी होती थी, और वो चूल्हे की गर्मी, जो सर्द रातों में हमें सुकून देती थी - ये सब गाँव की मिट्टी के साथ जुड़े होते हैं।
"वही चाख जहाँ दादी सुनती थी किस्से कहानियाँतापते हुए अगेठी के कोयले बड़े से छाजे के पास।"
मुलुक की मिट्टी और आधुनिकता का संघर्ष
जैसे-जैसे हम शहर की ओर बढ़ते हैं, वैसे-वैसे हमारे गाँव की मिट्टी का रंग, गंध और स्वाद हमारे दिलो-दिमाग में बसे रहते हैं। शहर की आधुनिकता, चमचमाते टाइल्स और दूधिया रोशनी के बीच भी गाँव की मिट्टी का अपनापन हमें कहीं न कहीं खींचता रहता है।
"परिपक्व होती है मुलुक की मिट्टी भी समय के सापेक्षस्वाद, रंग और गन्ध बनने लगती है आवाज।"
गाँव की मिट्टी हमें याद दिलाती है कि हमारे जड़ें कहाँ हैं और हम किस मिट्टी से बने हैं। यह हमें अपने मूल्यों और परंपराओं के प्रति सच्चे रहने की प्रेरणा देती है।
गाँव की मिट्टी: एक अनमोल धरोहर
गाँव की मिट्टी हमारे जीवन की अनमोल धरोहर है। यह हमारे अतीत का आईना है और भविष्य की राह दिखाती है। यह हमें याद दिलाती है कि चाहे हम कहीं भी चले जाएं, हमारे दिल में बस वही मिट्टी बसी होती है, जो हमें हमारे गाँव से जोड़ती है।
संवेदनाओं की गहराई
गाँव की मिट्टी से जुड़ी संवेदनाएँ केवल यादों तक सीमित नहीं रहतीं। यह हमारी चेतना के मूर्त-अमूर्त विम्बों में भी समाहित होती है। अकेलेपन के लम्हों में यह मिट्टी हमें अपनी ओर खींचती है, और पूछती है कि कब हम उसके पास लौटेंगे।
"ये मुलुक की लाल-सफेद-भूरी मिट्टीयांसमायी होती है चेतना के मूर्त-अमूर्त विम्बों में।"
गाँव की मिट्टी की पुकार
गाँव की मिट्टी हमें बार-बार पुकारती है। यह हमें अपने पास बुलाती है और हमारी जड़ों की याद दिलाती है। कभी-कभी, जब हम अकेले होते हैं, तब यह मिट्टी हमसे सवाल करती है और हमें अपने अतीत से जोड़ने की कोशिश करती है।
"पूछती है कब लोगे मेरी खबरपात-मुलाकातदेखना कभी ये तुमसे भी मुखातिब होगी।"
निष्कर्ष
गाँव की मिट्टी केवल हमारे बचपन की यादों का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह हमारे अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमें हमारे मूल्यों और परंपराओं के प्रति सच्चे रहने की प्रेरणा देती है और हमें याद दिलाती है कि हमारे दिलो-दिमाग में बसी हुई यह मिट्टी हमें हमारे गाँव से हमेशा जोड़े रखेगी।
तो आइए, हम सब मिलकर इस मिट्टी की महक को महसूस करें और अपने अतीत को अपने वर्तमान से जोड़ें। गाँव की मिट्टी के साथ यह रिश्ता कभी नहीं टूटेगा।
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- कविता का शीर्षक है आपणी गौ की पुराणी याद(The title of the poem is Purana Yaad of Aapni Gau )
- इस कविता द्वारा घर #गाँव की #भूली #बिसरी #पुरानी यादो को स्मरण करने का प्रयास किया गया है।
- कविता का शीर्षक है "आपणी गौ की पुराणी याद"
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