माँ कूष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र और महिमा
माँ कूष्मांडा देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में चौथा स्वरूप हैं। माँ की उपासना करने से साधक को स्वास्थ्य, समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माना जाता है कि माँ कूष्मांडा ने अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। उनका नाम कूष्मांडा इसलिए पड़ा क्योंकि उन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है। शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
माँ कूष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के चौथे दिन, चतुर्थी तिथि 18 अक्टूबर को रात 01:12 बजे तक रहेगी। इस समय तक माँ कूष्मांडा की पूजा करनी चाहिए। इस दिन आयुष्मान और सौभाग्य योग बन रहे हैं, जो पूजा को और भी फलदायी बना देंगे। इन शुभ योगों में पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
माँ कूष्मांडा की पूजा विधि
- सबसे पहले कलश की पूजा कर माँ कूष्मांडा को नमन करें।
- हरे रंग के आसन पर बैठें और पीला वस्त्र धारण करें।
- जल, पुष्प, कुमकुम, पीला चंदन, मौली, अक्षत, पान का पत्ता और केसर अर्पित करें।
- सफेद कुम्हड़ा माँ को अर्पित करें और भोग में हलवा, मीठा दही, मालपुआ चढ़ाएं।
- दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती या कुंजिका स्रोत का पाठ करें। "ॐ कूष्माण्डायै नमः" मंत्र का एक माला जाप करें।
- पूजा के बाद घी या कपूर से आरती करें और दीपक को घर में घुमा दें ताकि नकारात्मकता दूर हो।
- अंत में बड़ों का आशीर्वाद लें और प्रसाद वितरित करें।
माँ कूष्मांडा के उपाय
- दीपक को पूरे घर में घुमा दें, जिससे घर की नकारात्मकता समाप्त होती है और माँ की कृपा से सुख-समृद्धि आती है।
- अविवाहित लड़कियाँ माँ की पूजा से मनचाहा वर प्राप्त करती हैं और सुहागिन स्त्रियों को अखंड सौभाग्य मिलता है।
- लाल गुलाब, गुड़हल के फूल, हलवा, मीठा दही और मालपुआ माँ को अर्पित करें।
- ब्राह्मण को मालपुआ दान करने से सभी विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं।
माँ कूष्मांडा का महत्व
माँ कूष्मांडा की पूजा से रोग, शोक और दरिद्रता दूर होती है और साधक को आयु, यश, बल और बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है। जो व्यक्ति संसार में प्रसिद्धि की इच्छा रखते हैं, उन्हें माँ की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
माँ कूष्मांडा की स्तुति मंत्र
सुरासंपूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
माँ कूष्मांडा की उपासना मंत्र
ॐ कूष्माण्डायै नमः।
कूष्मांडा: ऐं ह्रीं देव्यै नमः।
माँ कूष्मांडा की प्रार्थना
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
अन्य मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।
माँ कूष्मांडा की कृपा से साधक को जीवन में सुख, समृद्धि और निरोगता प्राप्त होती है।
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