माता स्कंदमाता की कथा और पूजा विधि
नवरात्रि के पांचवे दिन, हम माता स्कंदमाता की पूजा करते हैं। माता स्कंदमाता, देवी दुर्गा के नवदुर्गा रूपों में से पाँचवीं हैं और इनकी पूजा से भक्तों को अपार सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे कि माता स्कंदमाता कौन हैं, उनका जन्म कैसे हुआ, उनकी पूजा कैसे करें और उनकी आरती का पाठ कैसे करें।
माता स्कंदमाता का परिचय
माता स्कंदमाता का नाम 'स्कंद' से आया है, जो युद्ध के देवता कार्तिकेय का एक वैकल्पिक नाम है। स्कंदमाता को नवदुर्गा के पंचम रूप के रूप में पूजा जाता है। इनकी पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के पाँचवे दिन की जाती है।
स्कंदमाता की विशेषताएँ:
- शरीर का वर्ण: उनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है।
- आसन: वे कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसी कारण उन्हें पद्मासना भी कहा जाता है।
- वाहन: उनका वाहन सिंह है।
- भुजाएँ: उनकी चार भुजाएँ हैं। दायीं ओर की ऊपर वाली भुजा में वे स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं, जबकि नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बायीं ओर की ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा है और नीचे वाली भुजा में भी कमल पुष्प है।
माता स्कंदमाता का जन्म और महिमा
माता स्कंदमाता की पूजा से भक्तों को निम्नलिखित लाभ होते हैं:
- सफलता और समृद्धि: माता स्कंदमाता की उपासना से जीवन में सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं और समृद्धि मिलती है।
- मोक्ष की प्राप्ति: माता की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- संकटों से मुक्ति: जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और सुख-शांति बनी रहती है।
माता स्कंदमाता की कृपा से मनुष्य के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। कहा जाता है कि कालिदास की महान रचनाएँ, जैसे रघुवंशम और मेघदूत, माता स्कंदमाता की कृपा से संभव हुईं।
माता स्कंदमाता का मंत्र
माता स्कंदमाता की उपासना के लिए निम्नलिखित मंत्र का पाठ करें:
माता स्कंदमाता की पूजा विधि
- प्रतिमा या तस्वीर की स्थापना: सबसे पहले चौकी पर माता स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- शुद्धिकरण: गंगा जल या गोमूत्र से चौकी की शुद्धिकरण करें।
- कलश की स्थापना: चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर कलश रखें।
- अन्य देवताओं की स्थापना: श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका और सप्त घृत मातृका की स्थापना करें।
- पूजा विधि: व्रत और पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, और मंत्र पुष्पांजलि शामिल करें।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।
माता स्कंदमाता की आरती
आरती:
नवरात्रि के इस विशेष दिन, माता स्कंदमाता की पूजा से आप जीवन को सुखमय और समृद्ध बना सकते हैं। माता की कृपा से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
आशा है कि इस ब्लॉग से आपको माता स्कंदमाता की पूजा और आरती के महत्व को समझने में मदद मिली होगी।
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