मां कात्यायनी: नवरात्रि की छठी देवी - Goddess Katyayani: the sixth deity of Navratri.

मां कात्यायनी: नवरात्रि की छठी देवी

मां कात्यायनी देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में से छठा रूप हैं। देवी कात्यायनी की पूजा नवरात्रि के छठे दिन होती है, और यह दिन शक्ति और साहस का प्रतीक है। मां कात्यायनी का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में किया गया है, और उन्हें महिषासुर मर्दिनी के रूप में भी जाना जाता है। उनकी उपासना से भक्तों को अद्भुत शक्ति, रोगों से मुक्ति, और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। मां कात्यायनी का वाहन सिंह है और उनके चार हाथ हैं—दो हाथों में तलवार और कमल पुष्प होता है, और अन्य दो हाथ अभय और वर मुद्रा में होते हैं।

मां कात्यायनी की पूजा और भोग

मां कात्यायनी की पूजा में लाल रंग का विशेष महत्व है। पूजा के दौरान मां को लाल रंग के फूल, विशेष रूप से गुलाब अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है। इसके साथ ही, मां को शहद का भोग लगाना अत्यंत शुभ होता है क्योंकि शहद मां का प्रिय भोग है। पूजा के दौरान ध्यान रखने वाली बात यह है कि भक्त पूरे मन से मां की आराधना करें और उनकी कृपा प्राप्त करें।

मां कात्यायनी के मंत्र

मां कात्यायनी के शक्तिशाली मंत्र:

  1. 'ॐ ह्रीं नम:।।'

  2. चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवरवाहना।
    कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।
    ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

  3. कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
    नन्दगोपसुतं देवी, पतिं मे कुरु ते नमः॥

यह मंत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो अपने विवाह के लिए मां कात्यायनी से प्रार्थना करते हैं। इस मंत्र का जप करके भक्तों को मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है।

मां कात्यायनी की कथा

मां कात्यायनी के नाम के पीछे एक प्राचीन कथा है। महर्षि कात्यायन ने कठिन तपस्या करके मां भगवती को प्रसन्न किया और उनसे प्रार्थना की कि वे उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। मां ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार की। जब महिषासुर ने धरती पर अत्याचार करना शुरू किया, तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपनी शक्तियों का एकत्रीकरण करके देवी कात्यायनी को उत्पन्न किया, जिन्होंने महिषासुर का वध किया। इसलिए मां को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है।

मां कात्यायनी की आरती

मां कात्यायनी की आरती का पाठ भक्तों के जीवन में सुख और समृद्धि लाता है:

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

मां कात्यायनी की उपासना के लाभ

मां कात्यायनी की उपासना करने से सभी प्रकार के कष्ट और विपत्तियां दूर होती हैं। उनकी पूजा करने वाले भक्तों को रोग, शोक, संताप, और भय से मुक्ति मिलती है। जिन कन्याओं का विवाह नहीं हो पा रहा है, उनके लिए मां कात्यायनी की विशेष उपासना अत्यंत फलदायी मानी जाती है।

यदि मां कात्यायनी की सच्चे मन से आराधना की जाए, तो व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पाप समाप्त हो जाते हैं। उनके आशीर्वाद से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

विवाह के लिए विशेष मंत्र

जो कन्याएं अपने विवाह की बाधाओं से मुक्ति चाहती हैं, उन्हें निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिए:

ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:॥

यह मंत्र नवरात्रि के छठे दिन जपने से विवाह के इच्छुक भक्तों को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है।


निष्कर्ष

मां कात्यायनी की पूजा और उपासना से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। देवी की कृपा से मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां की सच्चे मन से की गई आराधना सभी प्रकार के संकटों का नाश करती है और भक्तों के जीवन में सुख-शांति का संचार करती है।

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