माँ कालरात्रि की पूजा विधि, महत्व और स्तोत्र - Worship method, significance, and hymns of Mother Kalaratri.

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माँ कालरात्रि की पूजा विधि, महत्व और स्तोत्र

शारदीय नवरात्र के सातवें दिन माँ दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है। माँ कालरात्रि को सबसे उग्र और शक्तिशाली रूपों में से एक माना जाता है, जिनका स्वरूप शत्रुओं के मन में भय उत्पन्न करता है। पटना के दरभंगा हाउस स्थित काली मंदिर में माँ कालरात्रि की विशेष पूजा की जाती है, जो लगभग 160 साल पुराना है। यहाँ तांत्रिक विधि से पूजा होती है, जो भक्तों को शक्ति, साहस और भय से मुक्ति दिलाती है।

माँ कालरात्रि का महत्व

  1. भय से मुक्ति: माँ कालरात्रि अपने भक्तों को सभी प्रकार के भय से मुक्त करती हैं।
  2. शत्रुओं का नाश: माँ कालरात्रि की पूजा से शत्रुओं का दमन होता है।
  3. अकाल मृत्यु से रक्षा: माँ कालरात्रि की कृपा से अकाल मृत्यु से भी रक्षा होती है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह: माँ की पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और बुराइयाँ दूर होती हैं।

माँ कालरात्रि की पूजा विधि

  1. सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें और माँ कालरात्रि का पूजन करें।
  2. माँ को जल, फूल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, कुमकुम, और सिंदूर अर्पित करें।
  3. पूजा के दौरान "ज्वाला कराल अति उग्रम शेषा सुर सूदनम। त्रिशूलम पातु नो भीते भद्रकाली नमोस्तुते।।" मंत्र का उच्चारण करें।
  4. माँ को गुड़ का भोग लगाएँ और आरती करें।
  5. अंत में अपनी मनोकामनाओं को माँ के सामने रखें।

माँ कालरात्रि का प्रिय भोग

माँ कालरात्रि को गुड़ का भोग विशेष रूप से प्रिय है। उन्हें लाल फूल अर्पित करना चाहिए क्योंकि उनका प्रिय रंग लाल है।

माँ कालरात्रि देवी स्तोत्र

माँ कालरात्रि देवी की कृपा पाने के लिए उनके स्तोत्र का पाठ अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। यह स्तोत्र साधक को बुराइयों से बचाता है और जीवन में शांति और समृद्धि लाता है।

माँ कालरात्रि स्तोत्र:

करालवदनां घोरांमुक्तकेशींचतुर्भुताम्।
कालरात्रिंकरालिंकादिव्यांविद्युत्मालाविभूषिताम्॥

दिव्य लौहवज्रखड्ग वामाघो‌र्ध्वकराम्बुजाम्।
अभयंवरदांचैवदक्षिणोध्र्वाघ:पाणिकाम्॥

महामेघप्रभांश्यामांतथा चैपगर्दभारूढां।
घोरदंष्टाकारालास्यांपीनोन्नतपयोधराम्॥

सुख प्रसन्न वदनास्मेरानसरोरूहाम्।
एवं संचियन्तयेत्कालरात्रिंसर्वकामसमृद्धिधदाम्॥

माँ कालरात्रि स्तोत्र का महत्व

  1. भय और शोक का नाश: इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक के जीवन से भय, शोक, और बुराइयाँ दूर होती हैं।
  2. रोग और दुःख से मुक्ति: इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करने से स्वास्थ्य में सुधार होता है और दीर्घकालिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
  3. सकारात्मक ऊर्जा और शुभफल: माँ कालरात्रि का स्तोत्र नियमित पाठ करने से साधक को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है और उसकी इच्छाएँ पूरी होती हैं।

इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य के जीवन में शुभता, यश, बल, और दीर्घायु की प्राप्ति होती है। यह स्तोत्र सभी प्रकार के भय, रोग, और शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है।

निष्कर्ष

माँ कालरात्रि की पूजा और स्तोत्र का पाठ साधक के जीवन में विशेष महत्व रखता है। यह न केवल भय से मुक्ति दिलाता है, बल्कि साधक को आंतरिक शांति और समृद्धि भी प्रदान करता है। माँ कालरात्रि की कृपा से साधक अपने जीवन में नकारात्मकता से दूर रहकर सकारात्मकता और शुभता का अनुभव करता है।

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