माता कात्यायनी देवी स्तोत्र: महिषासुर मर्दिनी की स्तुति - Goddess Katyayani Devi Stotra: Praise of Mahishasura Mardini

माता कात्यायनी देवी स्तोत्र: महिषासुर मर्दिनी की स्तुति

मां कात्यायनी देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में से छठा स्वरूप हैं, और उनकी पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है। मां कात्यायनी को राक्षस महिषासुर का वध करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है, जिनकी शक्ति और साहस की कहानी धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है। उन्हें युद्ध देवी के रूप में भी पूजा जाता है, जो अधर्म का नाश करती हैं और धर्म की स्थापना करती हैं।

मां कात्यायनी का वाहन सिंह है और वे चार भुजाओं से युक्त हैं। उनके एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल पुष्प होता है। अन्य दो हाथों में अभय और वरद मुद्रा होती है, जो भक्तों को निर्भयता और आशीर्वाद का प्रतीक है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर मां ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया, इसीलिए उन्हें कात्यायनी कहा जाता है।

माता कात्यायनी देवी स्तोत्र का महत्व

माता कात्यायनी देवी स्तोत्र एक शक्तिशाली स्तुति है, जिसमें मां की महिमा और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन भक्तों के लिए उपयोगी है, जो अपने जीवन में बाधाओं और संकटों से जूझ रहे हैं। मां की स्तुति से सभी प्रकार की विपत्तियां और दुर्भाग्य दूर होते हैं, और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

माता कात्यायनी देवी स्तोत्र

कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते॥

अर्थ: हे देवी कात्यायनी! आप सुनहरे आभा वाली, वरदान देने वाली और कमल धारण करने वाली हैं। आपके मुख पर सदा मुस्कान है और आप भगवान शिव की पत्नी हैं। आपको नमन है!

पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥

अर्थ: हे देवी कात्यायनी! आपने पीतांबर धारण किया हुआ है, और आप विभिन्न अलंकारों से सुसज्जित हैं। आप सिंह पर सवार हैं और आपके हाथ में कमल पुष्प है। आपको नमन है!

परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥

अर्थ: हे परमानंदमयी देवी! आप परब्रह्म और परमात्मा हैं। आप परम शक्ति और परम भक्ति की प्रतीक हैं। आपको नमन है!

विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥

अर्थ: हे देवी कात्यायनी! आप सम्पूर्ण विश्व की रचयिता, पालनहार और संहारक हैं। आप विश्व के लिए प्रिय हैं, और आप विश्व की चिंताओं से परे हैं। आपको नमन है!

कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते।
कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता॥

अर्थ: हे देवी! 'कां' बीज मंत्र का जप करने से आप प्रसन्न होती हैं। 'कां' बीज मंत्र का जाप करने वाले भक्तों को आपकी कृपा प्राप्त होती है।

कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।
कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥

अर्थ: 'कां' बीज का जप करने से भक्त को धन, सुख, और समृद्धि प्राप्त होती है। 'कां' बीज मंत्र का तप करने वाले भक्तों को आप विशेष रूप से आशीर्वाद देती हैं।

कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।
कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी॥

अर्थ: हे देवी! 'कां' बीज मंत्र के द्वारा आप पूजित हैं, और इस मंत्र का जप करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। आप स्वाहा रूपिणी हैं, जो यज्ञों में पूजित होती हैं और सभी प्रकार के संकटों को हरने वाली हैं।

माता कात्यायनी की आराधना के लाभ

माता कात्यायनी की पूजा और स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इस स्तोत्र का नियमित रूप से जाप करने से भक्त के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है। देवी कात्यायनी की कृपा से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक बल की प्राप्ति होती है।

माता कात्यायनी की आराधना के विशेष लाभ:

  • विवाह में बाधाओं का निवारण: माता कात्यायनी की उपासना विशेष रूप से उन कन्याओं के लिए लाभदायी मानी जाती है, जिनके विवाह में देरी हो रही हो।
  • कष्टों का नाश: मां की कृपा से जीवन के सभी कष्ट और संकट दूर हो जाते हैं।
  • आध्यात्मिक विकास: मां की आराधना से भक्त को आत्मज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • भौतिक समृद्धि: माता कात्यायनी की पूजा से धन, सुख, और समृद्धि प्राप्त होती है।

निष्कर्ष

माता कात्यायनी देवी स्तोत्र का पाठ न केवल भक्तों को कष्टों से मुक्त करता है, बल्कि उनके जीवन में समृद्धि और शांति का भी संचार करता है। मां की कृपा से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और व्यक्ति को आध्यात्मिक और भौतिक उन्नति प्राप्त होती है। माता कात्यायनी की आराधना विशेष रूप से उन भक्तों के लिए लाभकारी है, जो जीवन में सफलता और मनोकामनाओं की पूर्ति चाहते हैं।

जय माता कात्यायनी!

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