माँ कात्यायनी: नवदुर्गाओं में षष्ठम रूप - Goddess Katyayani: the sixth form in the nine forms of Durga

माँ कात्यायनी: नवदुर्गाओं में षष्ठम रूप

देवी कात्यायनी हिंदू धर्म में देवी दुर्गा के नौ रूपों में से छठी रूप हैं। इनका पूजन नवरात्रि के छठे दिन किया जाता है। देवी कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने महिषासुर का वध किया था। आइए माँ कात्यायनी की पूजा, उनके महत्त्व और उनके उपासना विधि पर विस्तार से चर्चा करें।

देवी कात्यायनी का परिचय

  • देवनागरी नाम: कात्यायिनी
  • मंत्र: "चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥"
  • अस्त्र: तलवार और कमल
  • सवारी: सिंह
  • जीवनसाथी: शिव

कात्यायनी को शक्ति का रूप माना जाता है, जिनका प्रमुख उद्देश्य महिषासुर का वध था। इनके हाथों में तलवार और कमल धारण हैं, और ये सिंह पर सवार हैं। इनकी पूजा विशेष रूप से दुश्मनों के संहार और विजय प्राप्त करने के लिए की जाती है।

माँ कात्यायनी का उत्पत्ति की कथा

महर्षि कात्यायन ने माँ भगवती की कठोर तपस्या की थी ताकि माँ भगवती उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लें। उनकी तपस्या सफल हुई, और माँ भगवती ने महिषासुर के वध के लिए उनके घर जन्म लिया। इसी कारण इन्हें 'कात्यायनी' कहा गया।

एक अन्य कथा के अनुसार, जब महिषासुर का अत्याचार बढ़ गया, तो ब्रह्मा, विष्णु और महेश के तेज से एक देवी का प्राकट्य हुआ, जिन्होंने महिषासुर का वध किया। इस देवी की सबसे पहले पूजा महर्षि कात्यायन ने की, जिससे उनका नाम कात्यायनी पड़ा।

देवी कात्यायनी का स्वरूप

माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और भास्वर है। चार भुजाओं वाली ये देवी दाहिनी ओर अभयमुद्रा और वरमुद्रा में होती हैं। बाईं ओर तलवार और कमल धारण करती हैं। इनका वाहन सिंह है, जो इनके शक्ति और साहस का प्रतीक है।

माँ कात्यायनी की उपासना का महत्त्व

माँ कात्यायनी की उपासना से साधक को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उनके भक्तों को अलौकिक शक्तियों का वरदान मिलता है। नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा करके साधक अपने सभी दु:खों और पापों से मुक्ति पा सकते हैं।

विवाह के लिए माँ कात्यायनी की विशेष उपासना

जिन कन्याओं के विवाह में विलम्ब हो रहा हो, उन्हें माँ कात्यायनी की उपासना करनी चाहिए। माँ कात्यायनी की कृपा से मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। इसके लिए निम्न मंत्र का जाप करना अत्यंत फलदायक माना गया है:

कात्यायनी मंत्र: "ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:॥"

माँ कात्यायनी की महिमा

जो भी भक्त सच्चे मन से माँ कात्यायनी की उपासना करता है, उसके सभी दुख, शोक और रोग समाप्त हो जाते हैं। माँ की शरण में जाकर उनकी पूजा करने से जन्म-जन्मांतर के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

श्लोक

"चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन। कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥"

निष्कर्ष

माँ कात्यायनी की पूजा से साधक को अभय और वरदान की प्राप्ति होती है। ये दुश्मनों का संहार करने वाली देवी हैं और अपने भक्तों को विजय दिलाती हैं। नवरात्रि के छठे दिन इनकी आराधना करने से मनुष्य को अद्भुत शक्ति और अलौकिक तेज प्राप्त होता है। जो भी भक्त सच्चे मन से माँ कात्यायनी की उपासना करता है, उसके जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

जय माँ कात्यायनी!


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