उत्तराखंड गणेश जी की पूजा - Worship of Lord Ganesh in Uttarakhand

उत्तराखंड गणेश जी की पूजा - Worship of Lord Ganesh in Uttarakhand

गणेश पूजा: शुभ कार्य की शुरुआत के लिए विशेष विधि

गणेश पूजा भारतीय संस्कृति में किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। गणेश जी को विघ्नहर्ता और कार्यों में सफलता का देवता माना जाता है। उनके पूजन से कार्य निर्विघ्न सम्पन्न होते हैं। आइए, गणेश पूजा की विधि और महत्व पर एक नजर डालते हैं।

गणेश पूजा का महत्व

गणेश जी को 'सिद्धि विनायक', 'एकदंत', और 'गौरि के नन्दन' जैसे नामों से जाना जाता है। वे विघ्नों को दूर करने वाले देवता हैं और उनके पूजा से सभी प्रकार की बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। उनकी पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।

गणेश पूजा की विधि

गणेश पूजा का विधिपूर्वक आयोजन करने से शुभ कार्य की शुरुआत सुनिश्चित होती है। यहाँ गणेश पूजा की विधि दी जा रही है:

  1. स्थापना: पूजा स्थल पर गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें। यह स्थान स्वच्छ और पवित्र होना चाहिए।

  2. आभूषण और चढ़ावा: गणेश जी को विभिन्न प्रकार के आभूषण, फूल, फल, माणिक, मोती आदि अर्पित करें।

  3. अर्चना: गणेश जी को शुद्ध वस्त्र पहनाकर उन्हें सिंदूर, चंदन, और पुष्प अर्पित करें। गणेश चालीसा या गणेश स्तोत्र का पाठ करें।

  4. नैवेद्य: गणेश जी को विभिन्न मिठाइयाँ जैसे मोदक, लड्डू आदि अर्पित करें। यह उनके प्रिय भोग हैं।

  5. अंतिम पूजा: पूजा के अंत में गणेश जी से आशीर्वाद प्राप्त करें और उनके समक्ष दीपक जलाएं।

गणेश पूजा

शुभ कार्य के आरम्भ में गणेश जी की पूजा की जाती है। वह निर्विघ्न कार्य सम्पन्न करने वाले देवता हैं

जय। जय गणपति जय। जय हेरभ्भ, सिद्धि विनायक एक दन्त
एक दन्त शुभ्र कर्ण गॅवरि के नन्दन, मृष को वाहन सिन्दुरि सो है।।
गावत सुर नर बोलन्त कुलयधु अग्नि बिना हो नहीं,
ब्रह्मा बिना वेद नहीं।
पुत्र धन दायक यज्ञन रच, शुभ जय गणपति लगन की वेर ए
आरम्भ रचिये ले शंकर, देव, मोती माणिक होरा चौक पुरीय ले।
सुवर्ण भरिये कलेशन ए, तसु चौका बैठला रामचन्द्र
लछीमन विप्र ए।
ज्यों लाई सीता देवी, बहुराणी काज करै राज रचै।
फूलन छी फलन छी जाइ की वान्ती ले
फूल ब्यौणी ल्यालो वालो, आपूं रूपीं माणि ए,
मोती माणिक हीरा, चौक पुरोय ले।।

गणेश पूजा की विधिपूर्वक सम्पन्नता से आपके जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। गणेश जी की कृपा से कार्य बिना किसी विघ्न के सफलतापूर्वक सम्पन्न होते हैं।

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