इगास-बग्वाल: उत्तराखंड की गौरवशाली परंपरा
उत्तराखंड का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पर्व: इगास-बग्वाल, जिसे उत्तराखंड में बूढ़ी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, न केवल दीपावली का एक पर्व है, बल्कि यह उत्तराखंड की संस्कृति और गौरवशाली इतिहास का प्रतीक भी है। यह पर्व देव उठनी एकादशी के दिन मनाया जाता है, और इसके साथ एक वीरगाथा जुड़ी हुई है जो इसे और भी खास बनाती है।
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रामायण से जुड़ी मान्यता: एक अन्य मान्यता के अनुसार, जब भगवान श्रीराम लंका विजय के बाद अयोध्या लौटे और वहां दीपावली मनाई गई, तब पर्वतीय क्षेत्रों में इस समाचार को 11 दिन बाद प्राप्त किया गया। तब यहां के लोगों ने दीपोत्सव को इगास-बग्वाल के रूप में मनाया। इस तरह, इगास-बग्वाल केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और आस्था का प्रतीक है।
समाप्ति: उत्तराखंड की इस प्राचीन परंपरा का पालन करते हुए, हम अपने गौरवशाली अतीत को याद करते हैं और वीरों के सम्मान में यह पर्व मनाते हैं। इगास-बग्वाल आज भी उत्तराखंड के घर-घर में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हमारी संस्कृति और इतिहास का एक अविस्मरणीय हिस्सा है।
पर्व की शुभकामनाएं: सभी को इगास-बग्वाल की हार्दिक शुभकामनाएं! 🪔🪔🙏🙏
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