इगास-बग्वाल (दिवाली) पर उत्तराखंड की परंपरा - Uttarakhand tradition on Igas-Bagwal (Diwali)

इगास-बग्वाल (दिवाली) पर उत्तराखंड की परंपरा

उत्तराखंड की सभ्यता और संस्कृति: उत्तराखंड की संस्कृति अपने अनोखे रीति-रिवाजों और त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है। यहां हर त्योहार एक विशेष धूमधाम से मनाया जाता है, और दीपावली, जिसे पहाड़ी क्षेत्र में इगास-बग्वाल कहा जाता है, इसका प्रमुख उदाहरण है। इगास-बग्वाल न केवल एक पर्व है, बल्कि प्रदेश के लोगों के लिए अपनी सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का माध्यम भी है। इस पर्व का लोग पूरे साल बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि यह दिन विशेष परंपराओं से जुड़ा हुआ है।

इगास-बग्वाल का महत्व: इगास-बग्वाल उत्तराखंड में दिवाली के एक सप्ताह बाद मनाई जाती है, और इसे विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व न केवल रौशनी का, बल्कि समाज में एकता और समर्पण का प्रतीक भी है। इस दिन लोग पुरानी परंपराओं को जीवित रखने के लिए भैलो खेलते हैं। भैलो एक अनोखा खेल है, जिसमें लोग पेड़ों की छाल से बनी रस्सी के दोनों सिरों पर आग लगाकर उसे घुमाते हैं। यह प्राचीन परंपरा सदियों से चली आ रही है, और इगास-बग्वाल के दौरान इसका खेलना बहुत ही खास माना जाता है।

भैलो खेलने की परंपरा: भैलो का खेल इगास-बग्वाल का प्रमुख आकर्षण है। यह एक सामूहिक खेल है, जिसमें गांव के लोग एक साथ मिलकर खेलते हैं। इसमें रस्सी के दोनों सिरों में आग लगाकर उसे घुमाया जाता है, जिससे चारों ओर रौशनी फैल जाती है। इस खेल के दौरान लोग पारंपरिक गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं। उत्तराखंड के हर कोने में यह परंपरा जीवंत है और हर साल इस दिन गांवों में एक विशेष उत्साह देखने को मिलता है।

उत्तराखंड की रंग-बिरंगी संस्कृति: उत्तराखंड की संस्कृति बहुत ही रंगीन और जीवंत है। यहां की बोली में मिठास है, और त्योहारों को मनाने का तरीका अनूठा है। इगास-बग्वाल इस अनूठी सांस्कृतिक धरोहर को और भी समृद्ध बनाता है। इस दिन लोग पारंपरिक वेशभूषा पहनते हैं, घरों को सजाते हैं और लोकगीतों पर नृत्य करते हैं। यह दिन प्रदेश के लोगों के लिए अपनी सांस्कृतिक पहचान को जीवित रखने का प्रतीक है।


देहरादून में रामलीला महोत्सव की धूमधाम

श्री रामलीला महोत्सव का आयोजन: देहरादून में 21 सितंबर से रामलीला महोत्सव की शुरुआत होने जा रही है। यह महोत्सव 4 अक्टूबर तक चलेगा और इस दौरान विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। श्री रामलीला कला समिति द्वारा आयोजित इस महोत्सव में खास आकर्षण 25 सितंबर को होने वाला श्री राम विवाह का आयोजन है। इसके अलावा 30 सितंबर को विजय दशमी के मौके पर भव्य लंका दहन और आतिशबाजी का आयोजन होगा।

विवरण: महोत्सव के दौरान शोभायात्रा और सेतुबंध स्थापना भी की जाएगी, जो दशहरे के उत्सव को और भी भव्य बनाएंगे। महोत्सव के अंतर्गत राज तिलक और रास लीला जैसे कार्यक्रम भी होंगे, जो प्रदेशवासियों को धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ते हैं। इस दौरान श्री रामलीला के मंचन के साथ-साथ धार्मिक कथाएं भी प्रस्तुत की जाएंगी, जिससे लोग भगवान राम के जीवन के प्रेरणादायक प्रसंगों से परिचित होंगे।

डाकरा में रामलीला आयोजन: डाकरा बाजार में श्री दुर्गा मंदिर के प्रांगण में भी रामलीला का आयोजन किया जाएगा, जो 21 सितंबर से शुरू होकर 30 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान भगवान राम के जीवन से जुड़े विभिन्न प्रसंगों का मंचन होगा। आयोजक समिति ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विशेष तैयारी की है और दर्शकों के लिए इसे खास बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

समापन: देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में इस तरह के महोत्सवों का आयोजन सामाजिक और धार्मिक एकता को बढ़ावा देता है। यह महोत्सव न केवल मनोरंजन का साधन होता है, बल्कि धार्मिक आस्था और मूल्यों को भी जनमानस में जागरूक करता है।

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  4. फूलदेई की बहुत बहुत सुभकामनाये और बधाई सबको. 

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