भगवान सूर्य मंत्र साधना
सूर्य नारायण, जो सभी ग्रहों के राजा माने जाते हैं, आकाशमंडल में प्रतिदिन सत्यमार्ग पर घूमते हुए संपूर्ण संसार का संचालन करते हैं। वेदों के अनुसार, सूर्य को समस्त जगत की आत्मा कहा गया है - "सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च।" श्रीकृष्ण ने सूर्य और चंद्रमा के तेज को अपना ही तेज बताया है - "यच्चन्द्रमसि यच्चाग्नौ तत्तेजो विद्धि मामकम्।"
सूर्य भगवान का महत्व अत्यधिक है। इनकी उपासना से दीर्घायु, आरोग्यता, मानसिक और शारीरिक बल, तेज, धन, कीर्ति, विद्या, सौंदर्य की प्राप्ति होती है और ग्रहपीड़ा से मुक्ति मिलती है। सूर्यनारायण की उपासना से कुष्ठ रोग जैसे भयंकर रोग भी समाप्त हो जाते हैं, जैसा कि साम्बोपाख्यान में देखा गया है।
सूर्यनारायण की पूजा और त्रिकाल संध्या
सूर्य भगवान की उपासना तीन समयों में की जाती है - प्रातः, मध्याह्न और सायंकाल। इन्हें त्रिकाल संध्या कहा जाता है। संध्या पूजा के समय सूर्य के दर्शन से व्यक्ति पापों से मुक्त हो जाता है और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।
1. प्रातःकाल की संध्या
प्रातःकाल सूर्यनारायण की ओर मुख करके जप करने से मनुष्य महाव्याधियों से मुक्त हो जाता है और उसका दारिद्र्य नष्ट हो जाता है।
2. मध्याह्न की संध्या
मध्याह्न में सूर्य की ओर मुख करके जप करने से व्यक्ति पांच महापातकों से मुक्त हो जाता है।
3. सायंकाल की संध्या
सायंकाल में सूर्य अस्ताचल को प्रस्थान करते हैं, तब इस समय की संध्या विशेष लाभकारी मानी जाती है।
संध्या न करने से दोष
जो लोग संध्या नहीं करते, वे पवित्र नहीं माने जाते और मृत्यु के बाद निंदा का सामना करते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि संध्या पूजन से व्यक्ति पापों से मुक्त होकर सनातन ब्रह्मलोक को प्राप्त करता है।
सूर्य मंत्र साधना विधि
- स्नान एवं शुद्धता: पहले स्नान करें, पवित्र वस्त्र पहनें और एक साफ स्थान पर बैठें।
- धूप दीपक का पूजन: सूर्य भगवान का ध्यान करते हुए गायत्री मंत्र का जप करें:"ॐ आदित्याय विद्महे सहस्रकिरणाय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।"
- अर्घ्य देना: सूर्य भगवान को अर्घ्य देने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। अर्घ्य देने का तरीका विशेष रूप से महत्वपूर्ण है:
- सुबह और दोपहर में एक एड़ी उठाकर खड़े होकर अर्घ्य दें।
- शाम को बैठकर अर्घ्य दें।
सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार, पूजा के समान ही महत्व रखता है। इसे 12 नामों से प्रत्येक प्रणाम करना चाहिए:
- ॐ मित्राय नमः
- ॐ रवये नमः
- ॐ सूर्याय नमः
- ॐ भानवे नमः
- ॐ खगाय नमः
- ॐ पूष्णे नमः
- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
- ॐ मरीचये नमः
- ॐ आदित्याय नमः
- ॐ सवित्रे नमः
- ॐ अर्काय नमः
- ॐ भास्कराय नमः
प्रातःकालीन श्रीसूर्य ध्यान
प्रातः समय में सूर्य के ध्यान का विशेष महत्व है। इस समय सूर्य का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र का जप किया जाता है:
"हंसारूढां सिताब्जे त्वरुणमणिलसद्भूषणां साष्टनेत्रांवेदाख्यामक्षमालां स्रजमयकमलं दण्डमप्यादधानाम्।ध्याये दोर्भिश्चतुर्भिस्त्रिभुवन जननीं पूर्वसंध्यादिवन्द्याम्।"
मध्याह्नकालीन श्रीसूर्य ध्यान
मध्याह्न में सूर्य के ध्यान का महत्व बहुत अधिक है। इसे मंत्रों के साथ किया जाता है:
"वृषेन्द्रवाहना देवी ज्वलत्त्रिशिखधारिणी।श्वेताम्बरधरा श्वेतनागाभरणभूषिता।"
सायंकालीन श्रीसूर्य ध्यान
सायंकाल में सूर्य के अस्त होने से पूर्व उनका ध्यान और पूजन किया जाता है:
"संध्या सायन्तनी कृष्णा..."
यह साधना व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाती है और भगवान सूर्य की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
सूर्य का कुण्डली में प्रभाव: आत्मा, मान-सम्मान, स्वास्थ्य और अन्य
सूर्य, जिसे हमारे जीवन का आधार माना जाता है, व्यक्ति की कुण्डली में कई महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। यह न केवल आत्मा और शरीर से संबंधित है, बल्कि यह पिता, राजा, शक्ति, धन, प्रतिष्ठा, और अधिकार से भी जुड़ा हुआ है। सूर्य की स्थिति से यह जानने में मदद मिलती है कि किसी व्यक्ति के जीवन में क्या समस्याएं आ सकती हैं और उसे कौन सी विशेषताएं प्राप्त हो सकती हैं।
सूर्य का प्रभाव
सूर्य का प्रभाव विशेष रूप से दाईं आंख, शरीर, अग्नि, वाहन, आत्मशक्ति, और हृदय पर पड़ता है। यदि सूर्य कुण्डली में उच्च स्थिति में हो, तो यह व्यक्ति को सफलता, शक्ति, और समृद्धि प्रदान करता है। वहीं अगर सूर्य कमजोर या विपरीत स्थितियों में होता है, तो यह व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्याएं, मानसिक तनाव और सामाजिक आर्थिक समस्याओं का सामना करवा सकता है।
रोग और समस्याएं
सूर्य से संबंधित प्रमुख रोगों में गर्मी, जिगर से संबंधित बीमारियां, नेत्ररोग (विशेष रूप से दाईं आंख), और पागलपन जैसी मानसिक बीमारियां शामिल हैं। इसके अलावा, अगर सूर्य शनि या राहु के साथ स्थित हो, तो व्यक्ति को जीवन में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसी तरह, सूर्य से चौथे, आठवें, या बारहवें घर में शनि या राहु की स्थिति भी जीवन को संघर्षपूर्ण बना सकती है।
सूर्य के मंत्र और ध्यान
सूर्य के प्रभाव को संतुलित करने और जीवन में सुधार लाने के लिए विभिन्न मंत्रों का जाप किया जाता है। इनमें प्रमुख मंत्र हैं:
- त्र्यक्षर मंत्र: 'ह्रां ह्रीं सः'
- चर्तुक्षर मंत्र: 'ॐ ह्रीं हंसः'
- षडक्षर मंत्र: 'हं खः खः खोल्काय'
- अष्टाक्षर मंत्र: 'ॐ घृणिः सूर्य आदित्योम्'
ये मंत्र व्यक्ति को शक्ति, धन, और समृद्धि प्रदान करने में सहायक होते हैं। सूर्य के मंत्रों का नियमित जाप जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है और व्यक्ति को कई प्रकार की व्याधियों से मुक्ति मिल सकती है।
श्री सूर्य प्रातः स्मरणम्
सूर्य देवता के इन श्लोकों का प्रतिदिन प्रातःकाल स्मरण करने से व्यक्ति सभी व्याधियों से मुक्त होकर सुख प्राप्त करता है:
- प्रथम श्लोक:प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं रूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि...
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द्वितीय श्लोक:प्रातर्नमामि तरणिं तनुवाङ्मेनाभि ब्रह्मेन्द्र पूर्वकसुरैर्नुतमर्चितं...
- तृतीय श्लोक:प्रातर्भजामि सवितारतनन्तशक्तिं पापौघशत्रुभयरोगहरं परं च...
इन श्लोकों का नियमित पाठ और ध्यान करने से मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
सूर्य के मंत्रों की महिमा
सूर्य के मंत्रों का जाप न केवल स्वास्थ्य लाभ देता है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, यश और विजय की प्राप्ति का भी मार्ग खोलता है। इसके साथ ही, इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
सूर्य का प्रभाव हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका सही उपयोग और सूर्य के मंत्रों का जाप व्यक्ति के जीवन को खुशहाल और समृद्ध बना सकता है। जो व्यक्ति इन मंत्रों का सही तरीके से जाप करता है, वह न केवल अपने जीवन में शांति और सुख पा सकता है, बल्कि उसे विपरीत परिस्थितियों में भी विजय प्राप्त होती है।
भगवान सूर्य मंत्र साधना: टॉप 10 FQCs (Frequently Queried Content)
सूर्य मंत्र साधना क्या है?
सूर्य मंत्र साधना भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त करने का एक माध्यम है, जिसमें विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है।सूर्य मंत्र साधना के लाभ क्या हैं?
सूर्य मंत्र साधना से स्वास्थ्य, समृद्धि, दीर्घायु, मानसिक शांति, विद्या और पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।सूर्य मंत्र जाप के लिए शुभ समय क्या है?
त्रिकाल संध्या (प्रातःकाल, मध्याह्न, और सायंकाल) सूर्य मंत्र जाप के लिए सर्वोत्तम समय माने जाते हैं।सूर्य मंत्र साधना कैसे करें?
स्नान करके, शुद्ध वस्त्र धारण कर, शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठकर, दीपक जलाकर और सूर्य भगवान का ध्यान करते हुए मंत्र का जाप करें।सूर्य मंत्र साधना में कौन-कौन से मंत्रों का प्रयोग किया जाता है?
- गायत्री मंत्र: "ॐ आदित्याय विद्महे सहस्रकिरणाय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।"
- द्वादश मंत्र: "ॐ मित्राय नमः, ॐ रवये नमः..." (12 नामों से सूर्य नमस्कार)।
सूर्य मंत्र साधना से कौन-कौन सी समस्याएं दूर होती हैं?
कुष्ठ रोग, नेत्र रोग, मानसिक तनाव, दारिद्र्य, और ग्रह दोष जैसी समस्याएं सूर्य साधना से दूर होती हैं।सूर्यनारायण की उपासना का ज्योतिषीय महत्व क्या है?
सूर्य जन्मकुंडली में आत्मा, स्वास्थ्य, प्रतिष्ठा, और सफलता का कारक ग्रह है। मजबूत सूर्य से जीवन में मान-सम्मान और शक्ति मिलती है।सूर्य मंत्र साधना में अर्घ्य का क्या महत्व है?
सूर्य भगवान को जल अर्पित करना (अर्घ्य देना) उनकी कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम उपाय है। यह ऊर्जा और सकारात्मकता प्रदान करता है।सूर्य मंत्र जाप के नियम क्या हैं?
- सूर्योदय से पहले स्नान करें।
- पवित्र स्थान पर बैठें।
- मन और वाणी को संयमित रखें।
सूर्य मंत्र साधना के लिए आवश्यक सामग्री क्या है?
- दीपक
- तांबे का लोटा (अर्घ्य देने के लिए)
- लाल वस्त्र
- कुसुम फूल और अक्षत
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