परिक्रमा: श्रद्धा और पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग (Parikrama: An important part of devotion and worship)
परिक्रमा: श्रद्धा और पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग
भारतीय धर्म और संस्कृति में परिक्रमा का विशेष महत्त्व है। यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि मन और आत्मा की शुद्धि का माध्यम भी है। 'परिक्रमा' को 'प्रदक्षिणा' भी कहा जाता है। यह परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है और हिन्दू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मों में भी इसे अपनाया गया है। आइए, परिक्रमा के प्रकार और उनके महत्व को विस्तार से समझते हैं।
परिक्रमा का अर्थ और दिशा
परिक्रमा का अर्थ है किसी पवित्र स्थल, मूर्ति, वृक्ष, या तीर्थ के चारों ओर श्रद्धा और भक्ति के साथ घूमना।
- दिशा का महत्व: प्रदक्षिणा हमेशा दाहिनी ओर से की जाती है। इसका अर्थ है कि पूजा करते समय हमारा दाहिना अंग देवता की ओर होता है, जिससे श्रद्धा और सम्मान प्रकट होता है।
- शास्त्रों में उल्लेख: 'कर्म लोचन' ग्रंथ में कहा गया है:''एका चण्ड्या रवे: सप्त तिस्र: कार्या विनायके। हरेश्चतस्र: कर्तव्या: शिवस्यार्धप्रदक्षिणा।''इसका अर्थ है कि दुर्गा की एक, सूर्य की सात, गणेश की तीन, विष्णु की चार, और शिव की आधी प्रदक्षिणा करनी चाहिए।
मुख्य परिक्रमाएं
1. देवमंदिर और मूर्ति परिक्रमा
- प्रमुख मंदिर:
- जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम, तिरुवन्नमलै, और तिरुवनंतपुरम।
- देवमूर्ति: शिव, दुर्गा, गणेश, विष्णु, हनुमान आदि की मूर्तियों की परिक्रमा करना शुभ माना जाता है।
2. नदी परिक्रमा
- प्रमुख नदियाँ: नर्मदा, गंगा, सरयु, क्षिप्रा, गोदावरी, और कावेरी।
- विशेष: नर्मदा परिक्रमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है।
3. पर्वत परिक्रमा
- गोवर्धन पर्वत, गिरनार, कामदगिरि, और तिरुमलै जैसे पवित्र पर्वतों की परिक्रमा।
- गोवर्धन परिक्रमा कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष महत्व रखती है।
4. वृक्ष परिक्रमा
- पीपल और बरगद की परिक्रमा विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।
- महिलाएं सोमवती अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमा करती हैं।
5. तीर्थ परिक्रमा
- प्रमुख तीर्थ:
- चौरासी कोस परिक्रमा (अयोध्या, उज्जैन, प्रयाग पंचकोशी यात्रा)।
- राजिम परिक्रमा।
6. चार धाम परिक्रमा
- छोटा चार धाम (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ)।
- बड़ा चार धाम (पुरी, रामेश्वरम, द्वारका, बद्रीनाथ)।
7. भरत खंड परिक्रमा
- भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों और नदियों की परिक्रमा।
- इसमें सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, और कावेरी की यात्रा शामिल है।
8. विवाह परिक्रमा
- विवाह में वधू और वर अग्नि के चारों ओर तीन बार परिक्रमा करते हैं। सात फेरों के बाद विवाह पूर्ण माना जाता है।
किस देवता की कितनी बार परिक्रमा करें?
- भगवान शिव: आधी परिक्रमा।
- माता दुर्गा: एक परिक्रमा।
- हनुमान और गणेशजी: तीन परिक्रमा।
- भगवान विष्णु: चार परिक्रमा।
- सूर्यदेव: सात परिक्रमा।
- पीपल वृक्ष: 108 परिक्रमा।
शास्त्रों के अनुसार परिक्रमा का महत्त्व
- 'नारद पुराण' में बताया गया है कि परिक्रमा करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
- ''यस्त्रि: प्रदक्षिणं कुर्यात् साष्टांगकप्रणामकम्। दशाश्वमेधस्य फलं प्राप्रुन्नात्र संशय:।''इसका अर्थ है कि जो व्यक्ति तीन बार परिक्रमा करता है, उसे दस अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल मिलता है।
निष्कर्ष
परिक्रमा केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के भीतर भक्ति, समर्पण और शांति का भाव उत्पन्न करती है। देवताओं की परिक्रमा उनकी कृपा प्राप्त करने का सरल मार्ग है। चाहे वह शिव की आधी परिक्रमा हो, या सूर्य की सात, श्रद्धा और भक्ति से की गई हर परिक्रमा जीवन में शुभता और सकारात्मकता लाती है।
आपका सुझाव: इस लेख को अपने ब्लॉग पर प्रकाशित करते समय इसे SEO अनुकूल बनाएं। यहां दिए गए प्रमुख कीवर्ड का उपयोग करें, जैसे:
- परिक्रमा का महत्व
- भगवान की परिक्रमा कैसे करें
- परिक्रमा के नियम
- परिक्रमा के प्रकार
अगर और मदद चाहिए, तो मुझे बताएं। 😊
FQCs (Frequently Asked Questions) - परिक्रमा का विशेष महत्व
परिक्रमा क्या है और इसे प्रदक्षिणा क्यों कहा जाता है?
परिक्रमा का अर्थ है किसी पवित्र स्थल, मूर्ति, या तीर्थ के चारों ओर श्रद्धा और भक्ति से घूमना। इसे प्रदक्षिणा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे हमेशा दाहिनी ओर से किया जाता है, जो श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है।परिक्रमा की दिशा का क्या महत्व है?
परिक्रमा हमेशा दाहिनी ओर से की जाती है ताकि व्यक्ति का दाहिना अंग देवता की ओर हो। यह श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है।कौन-कौन से स्थानों की परिक्रमा करना शुभ माना जाता है?
मंदिर (जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम), नदियाँ (नर्मदा, गंगा), पर्वत (गोवर्धन, गिरनार), वृक्ष (पीपल, बरगद), और तीर्थस्थल (चार धाम, चौरासी कोस) की परिक्रमा शुभ मानी जाती है।किस देवता की कितनी बार परिक्रमा करनी चाहिए?
- शिव: आधी परिक्रमा
- दुर्गा: एक परिक्रमा
- गणेश और हनुमान: तीन परिक्रमा
- विष्णु: चार परिक्रमा
- सूर्य: सात परिक्रमा
- पीपल वृक्ष: 108 परिक्रमा
नर्मदा परिक्रमा का महत्व क्या है?
नर्मदा नदी की परिक्रमा को अत्यधिक पवित्र और कठिन तपस्या माना जाता है। इसे करने से व्यक्ति को अशुभ ग्रहों की शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।विवाह में परिक्रमा का क्या अर्थ है?
विवाह में वधू और वर अग्नि के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, जिसे 'सात फेरे' कहते हैं। यह विवाह को पूर्णता प्रदान करता है और पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है।परिक्रमा के नियम क्या हैं?
- परिक्रमा हमेशा दाहिनी ओर से करें।
- शांत मन और श्रद्धा से परिक्रमा करें।
- परिक्रमा के दौरान मंत्र जाप करना शुभ माना जाता है।
वृक्ष परिक्रमा का क्या महत्व है?
पीपल और बरगद की परिक्रमा करने से स्वास्थ्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। सोमवती अमावस्या पर पीपल की 108 परिक्रमा विशेष फलदायी मानी जाती है।'नारद पुराण' में परिक्रमा का क्या महत्व बताया गया है?
'नारद पुराण' के अनुसार, तीन बार परिक्रमा करने से दस अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। यह अक्षय पुण्य का मार्ग है।परिक्रमा से क्या लाभ होते हैं?
परिक्रमा से व्यक्ति को मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा, भक्ति का विकास, और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार मिलता है। साथ ही, यह आध्यात्मिक उन्नति का साधन है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें