श्री सूर्य देव – ऊँ जय सूर्य भगवान
श्री सूर्य देव – ऊँ जय सूर्य भगवान का महात्म्य
सूर्य देव, जिन्हें दिनकर भगवान के नाम से भी पुकारा जाता है, संपूर्ण सृष्टि के लिए ऊर्जा, प्रकाश और जीवन का स्रोत माने जाते हैं। हिंदू धर्म में सूर्य देव को विशेष स्थान प्राप्त है, और उनकी उपासना जीवन में शांति, शक्ति और सकारात्मकता का संचार करती है।
श्री सूर्य देव – स्तुति और महिमा
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान!
जगत के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा,
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान!
सूर्य देव की इस स्तुति में उनका आदर और आभार व्यक्त किया गया है। यह भजन सूर्य देव के दिव्य तेज और उनकी महानता का वर्णन करता है। यह स्तुति हमें यह याद दिलाती है कि सूर्य देव, न केवल भौतिक ऊर्जा प्रदान करते हैं, बल्कि आत्मिक शक्ति का भी संचार करते हैं।
सूर्य देव के सारथी अरुण
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी,
तुम चार भुजाधारी,
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे,
तुम हो देव महान,
ऊँ जय सूर्य भगवान!
सूर्य देव के रथ को अरुण सारथी के रूप में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, और उनके सात अश्व (घोड़े) जीवन के सात रंगों का प्रतीक हैं। इन सात घोड़ों के माध्यम से सूर्य देव अपने भक्तों पर अपने दिव्य प्रकाश का आशीर्वाद बरसाते हैं।
ऊषाकाल और संध्या में सूर्य देव का आशीर्वाद
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते,
सब तब दर्शन पाते,
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा,
करे सब तब गुणगान,
ऊँ जय सूर्य भगवान!
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते,
गोधन तब घर आते,
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में,
हो तव महिमा गान,
ऊँ जय सूर्य भगवान!
प्रभात और संध्या के समय सूर्य देव के उदय और अस्त की महिमा गाई जाती है। ऊषाकाल में सूर्य देव के दर्शन से नई ऊर्जा का संचार होता है, जबकि संध्या के समय उनकी विदाई से जीवन में संतुलन और शांति आती है।
आदित्य हृदय स्तोत्र का महात्म्य
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते,
आदित्य हृदय जपते,
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी,
दे नव जीवनदान,
ऊँ जय सूर्य भगवान!
आदित्य हृदय स्तोत्र सूर्य देव की महिमा का वर्णन करने वाला एक मंगलकारी मंत्र है। इसका जाप जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता और सुरक्षा प्रदान करता है। ऋषि मुनि, देवता, और साधारण व्यक्ति सभी सूर्य देव की स्तुति करते हैं और आदित्य हृदय का पाठ करते हैं।
सूर्य देव की अपरम्पार शक्ति
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार,
महिमा तव अपरम्पार,
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते,
बल बृद्धि और ज्ञान,
ऊँ जय सूर्य भगवान!
सूर्य देव को त्रिकाल (भूत, भविष्य, वर्तमान) का रचियता माना जाता है। उनकी अपार शक्ति और कृपा से भक्तों को बल, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। सूर्य देव के आशीर्वाद से जीवन में संतुलन और समृद्धि आती है।
सूर्य देव का आशीर्वाद और पूजन का महत्व
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल,
तुम भुवनों के प्रतिपाल,
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी,
शुभकारी अंशुमान,
ऊँ जय सूर्य भगवान!
सूर्य देव के प्रति समर्पण से भक्तों को सभी प्रकार की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। सूर्य देव की महिमा का वर्णन वेदों और पुराणों में भी किया गया है। सूर्य देव का पूजन जीवन में स्थायी शक्ति और समृद्धि लाने का प्रतीक है।
निष्कर्ष
सूर्य देव की उपासना जीवन में हर क्षेत्र में प्रकाश और मार्गदर्शन प्रदान करती है। यह भजन सूर्य देव की महानता और उनकी कृपा का प्रतीक है। ऊँ जय सूर्य भगवान की गूंज से संपूर्ण वातावरण में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार होता है। उनके आशीर्वाद से भक्तों को जीवन में शक्ति, स्थिरता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
आप भी सूर्य देव की उपासना कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं।
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