सूर्य कवच: एक दिव्य और शक्तिशाली मंत्र (Surya Kavach: A divine and powerful mantra)

सूर्य कवच: एक दिव्य और शक्तिशाली मंत्र

परिचय: सूर्य देव का स्थान हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे हमारे शरीर और आत्मा को ऊर्जा, आशीर्वाद और समृद्धि से पोषित करते हैं। सूर्य देवता की पूजा करने से न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि जीवन के हर पहलू में सकारात्मक परिवर्तन आता है। सूर्य कवच, जो एक शक्तिशाली मंत्र है, हमें सूर्य देव के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से किया जाता है। यह कवच शारीरिक, मानसिक और आत्मिक उन्नति में सहायक होता है।

सूर्य कवच का महत्व: सूर्य कवच का जाप व्यक्ति को न केवल शारीरिक बीमारियों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि यह मानसिक शांति, समृद्धि, और विजय प्राप्त करने में भी सहायक है। यह कवच हर प्रकार के संकट और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है। यह दिव्य मंत्र धन, सुख, स्वास्थ्य, और जीवन में खुशहाली लाने के लिए प्रसिद्ध है।

सूर्य कवच के मंत्र:

  1. प्रणवो में शिरः पातु घृणिर्मे पातु भालकम्।
    सूर्य्योऽव्यान्नयन द्वंदमादित्यः कर्णयुग्मकम्।

    इस मंत्र में सूर्य देव से हमारी रक्षा का अनुरोध किया जाता है। यह शिर, ग्रीवा, और आंखों की रक्षा करने के लिए है।

  2. अष्टाक्षरो महामंत्रः सर्वाभीष्टफलप्रदः।
    ह्रीं बीजं मे शिखां पातु हृदये भुवनेश्वरः।

    यह मंत्र सूर्य देव के हृदय में वास के लिए है। इससे हमें इच्छाओं की पूर्ति और मानसिक शांति मिलती है।

  3. चन्द्रबीजं विसर्गाढ्यं पातु मे गुह्यदेशकम्।
    त्र्यक्षरोऽसौ महामंत्र सर्वतंत्रेषु गोपितः।

    यह मंत्र चंद्र बीज से संबंधित है और गुप्त स्थानों की सुरक्षा करने का उद्देश्य रखता है।

  4. शिवो वह्नि समायुक्तो वामाक्षि बिन्दु भूषितः।
    एकाक्षरो महामंत्र श्रीसूर्यस्य प्रकीर्तितः।

    यह मंत्र सूर्य देव के रूप में शिव और अग्नि के शक्तिशाली प्रभाव को प्रसारित करता है।

  5. गुह्याद् गुह्यतरो मंत्रो वाञ्छाचिंतामणिः स्मृतः।
    शीर्षादि पादपर्यन्तं सदापातु मनूत्तमम्।

    यह मंत्र दिव्य तंत्रों के माध्यम से हमें शांति और समृद्धि प्राप्त करने का वचन देता है।

  6. इति ते कथितं दिव्यं त्रिषु लोकेषु दुर्लभम्।
    श्रीप्रदं कांतिदं नित्यं धनारोग्यविवर्धनम्।

    यह मंत्र सूर्य देव के आशीर्वाद से जीवन में धन, स्वास्थ्य और समृद्धि के विकास की बात करता है।

  7. कुष्ठादिरोगशमनं विनाशनम्। त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यमरोगी बलवान्भवेत्।

    यह मंत्र किसी भी रोग को समाप्त करने और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाने का वचन देता है।

  8. बहुना किमिहोक्तेन यद्यन्मनसि वर्तते।
    तत्तत्सर्व भवत्येव कवचस्य च धारणात्।

    यह मंत्र हर प्रकार की इच्छाओं की पूर्ति का वचन देता है, बशर्ते व्यक्ति इसे श्रद्धा और विश्वास से धारण करे।

  9. भूतप्रेत पिशाचाश्च यक्ष गंधर्व राक्षसाः।
    ब्रह्म राक्षस वेताला नैव द्रष्टुमपि क्षमाः।

    इस मंत्र से न केवल भूत-प्रेत, पिशाच, और राक्षसों से मुक्ति मिलती है, बल्कि यह बुरी शक्तियों से भी सुरक्षा प्रदान करता है।

  10. दूरादेव पलांयते तस्य संकीर्तनादपि।
    भूर्जपत्रे समालिख्य रोचनागुरु कुंकुमैः।

    यह मंत्र सूर्य देव के मंत्रों का प्रभाव बढ़ाने के लिए है। इसे विशेष अवसरों पर पढ़ने से विशेष लाभ होता है।

  11. रविवारे च संक्रांत्यां सप्तम्यां च विशेषतः।
    धारयेत् साध श्रेष्ठस्त्रैलोक्यविजयी भवेत्।

    यह मंत्र विशेष रूप से रविवार के दिन और संक्रांति के अवसर पर पढ़ने के लिए है, जिससे व्यक्ति को तीनों लोकों में विजय प्राप्त होती है।

  12. त्रिलोहमध्यगं कृत्वा धारयेद् दक्षिणेभुजे।
    शिखायामथवा कंठे सोऽपि सूर्यो न संशयः।

    इस मंत्र में सूर्य देव के मंत्रों को शरीर के विभिन्न अंगों पर ध्यान केंद्रित करके पढ़ने का निर्देश दिया गया है।

  13. इति ते कथितं साम्ब त्रैलोक्ये मंगलाधिपम्।
    कवचं दुर्लभम् लोकेतव स्नेहात्प्रकाशितम्।

    यह मंत्र सूर्य कवच को त्रैलोक्य में मंगल और शुभता देने वाला मानता है।

  14. अज्ञात्वा कवचं दिव्यं यो जपेत्सूर्यमुत्तमम्।
    सिद्धिर्न जायते तस्य कल्पकोशितैरपि।

    यदि कोई व्यक्ति इस मंत्र को बिना ज्ञात किए पढ़ता है तो भी वह सिद्धि प्राप्त करता है, जो किसी अन्य उपाय से संभव नहीं।

श्री सूर्यस्तवराज: एक दिव्य स्तवन और सूर्य देव की महिमा

परिचय: श्री सूर्यस्तवराज एक अत्यंत शक्तिशाली और दिव्य स्तवन है, जो सूर्य देव की महिमा और उनके आशीर्वाद से जुड़ा हुआ है। यह स्तवन न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाता है, बल्कि जीवन में समृद्धि, सुख, और शांति लाने का भी कार्य करता है। इस स्तवन का जाप करने से व्यक्ति के पाप समाप्त हो जाते हैं, और वह हर प्रकार की बाधाओं से मुक्त हो जाता है। यह स्तवन श्री सूर्य द्वारा स्वयं महाबाहो साम्ब को सुनाया गया था और इसके माध्यम से सूर्य देव के अत्यंत पवित्र नामों और रूपों की स्तुति की जाती है।

श्री सूर्यस्तवराज का महत्व: यह स्तवन सूर्य देव के विभिन्न रूपों, उनके गुण, और उनके दिव्य प्रभावों का वर्णन करता है। इसे पढ़ने से व्यक्ति की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं, उसे धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है, और वह संसार के हर दुख से मुक्त हो जाता है। यह स्तवन त्रिलोकी में प्रसिद्ध है और इसे जीवन में सफलता और सुख की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से पढ़ा जाता है।

श्री सूर्यस्तवराज के मंत्र:

  1. स्तुवंस्तत्र ततः साम्बः कृशो धर्मनिसंततः।
    राजन्नाम सहस्रेण सहस्रांशु दिवाकरम्।

    यहाँ साम्ब महाबाहो सूर्य देव से उनके हजारों नामों का स्तवन करने का आह्वान कर रहे हैं। सूर्य देव के इन नामों का जाप करने से अनगिनत पुण्य प्राप्त होते हैं।

  2. खिद्यमानं तु तं दृष्ट्वा सूर्यः कृष्णात्मजं तदा।
    स्वप्ने तु दर्शनं दत्त्वा पुनर्वचनमब्रवीत्।

    सूर्य देव ने साम्ब को स्वप्न में दर्शन देकर उन्हें यह स्तवन सुनने का आशीर्वाद दिया और फिर पुनः इसे ग्रहण करने का निर्देश दिया।

  3. श्री सूर्य उवाच - साम्ब साम्ब महाबाहो श्रृणु जाम्बवतीसुत्।
    अलं नामसहस्रेण पठ स्तवमिमं शुभम्।

    सूर्य देव ने साम्ब से कहा कि वे इस स्तवन को श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ें, क्योंकि यह शुभ और पवित्र है।

  4. यानि नामानि गुह्यानि पवित्राणि शुभानि च।
    तानि कीर्तयिष्याति श्रुत्वा वत्सावधारय।

    सूर्य देव ने कहा कि वे गुप्त, पवित्र और शुभ नामों का स्तवन करें, और इसे श्रद्धा से सुनें और धारण करें।

  5. विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
    लोकप्रकाशकः श्रीमांल्लोकचक्षुर्ग्रहेश्वरः।

    सूर्य देव के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए कहा गया है कि वे विकर्ता, विवस्वान, मार्तण्ड, भास्कर और रवि के रूप में सम्पूर्ण संसार को प्रकाशित करते हैं और ग्रहों के स्वामी होते हैं।

  6. लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमित्रहा।
    तपनतापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः।

    सूर्य देव की महिमा में कहा गया है कि वे त्रिलोकेश (तीनों लोकों के स्वामी) हैं, कर्ता और हर्ता हैं, और वे तपन (आग) से उत्पन्न होते हुए सात अश्वों से सुसज्जित होते हैं।

  7. गभस्तिहस्तो ब्रध्नश्च सर्वदेवनमस्कृतः।
    एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा मम।

    सूर्य देव को ब्रह्मा, विष्णु, महेश और अन्य देवताओं द्वारा पूजा जाता है। यह स्तवन उन्हें सदा प्रसन्न और आशीर्वादित रखता है।

  8. देहारोग्यकरश्चैव धनवृद्धियशस्करः।
    स्तवराज इति ख्यातस्त्रिषु लोकेषु विश्रुतः।

    यह स्तवन शरीर के रोगों को नष्ट करता है, धन में वृद्धि करता है, और यश की प्राप्ति करता है। यह तीनों लोकों में प्रसिद्ध और ख्याति प्राप्त है।

  9. य एतेन महाबाहो द्वे संध्ये स्तवनोदये।
    स्तौति मां प्रणतो भूत्वा सर्वपापै प्रमुच्यते।

    जो व्यक्ति इस स्तवन को दिन और रात के समय जाप करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है और सूर्य देव के आशीर्वाद से पुण्य प्राप्त करता है।

  10. कायिकं वाचिकं चैव मानसं यच्च दुष्कृतम्।
    एकज्जाप्येन तत्सर्व प्रणश्यति न संशयः।

    यह मंत्र बताता है कि जो व्यक्ति इस स्तवन का एक बार जाप करता है, उसके सभी शारीरिक, वाचिक और मानसिक दुष्कर्म समाप्त हो जाते हैं।

  11. पूजितोऽयं महामंत्रः सर्वपापहरः शुभः।
    एवमुक्त्वा तु भगवान् भास्करो जगदीश्वरः।

    यह मंत्र सूर्य देव के महत्त्व को उजागर करता है, जिनकी पूजा से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है।

श्री सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली

श्री सूर्य की महिमा असीमित है, और उनकी पूजा में उनका 108 नामों का उच्चारण विशेष रूप से फलदायक माना जाता है। यहाँ प्रस्तुत है श्री सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली, जिसे नियमित रूप से जपने से सभी प्रकार की सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

श्री सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली:

  1. ॐ ह्रीं अरुणाय नमः

  2. ॐ ह्रीं शरण्याय नमः

  3. ॐ ह्रीं करुणारस सिंधवे नमः

  4. ॐ ह्रीं असमानबलाय नमः

  5. ॐ ह्रीं आर्तरक्षकाय नमः

  6. ॐ ह्रीं आदित्याय नमः

  7. ॐ ह्रीं आदिभूताय नमः

  8. ॐ ह्रीं अखिलागमवेदिने नमः

  9. ॐ ह्रीं अच्युताय नमः

  10. ॐ ह्रीं अखिलज्ञाय नमः

  11. ॐ ह्रीं अनन्ताय नमः

  12. ॐ ह्रीं इनाय नमः

  13. ॐ ह्रीं विश्वरूपाय नमः

  14. ॐ ह्रीं इज्याय नमः

  15. ॐ ह्रीं इन्द्राय नमः

  16. ॐ ह्रीं भानवे नमः

  17. ॐ ह्रीं इन्दिरामन्दिराप्ताय नमः

  18. ॐ ह्रीं वन्दनीयाय नमः

  19. ॐ ह्रीं ईशाय नमः

  20. ॐ ह्रीं सुप्रसन्नाय नमः

  21. ॐ ह्रीं सुशीलाय नमः

  22. ॐ ह्रीं सुवर्चसे नमः

  23. ॐ ह्रीं वसुप्रदाय नमः

  24. ॐ ह्रीं वसवे नमः

  25. ॐ ह्रीं वासुदेवाय नमः

  26. ॐ ह्रीं उज्जवलाय नमः

  27. ॐ ह्रीं उग्ररूपाय नमः

  28. ॐ ह्रीं ऊर्ध्वगाय नमः

  29. ॐ ह्रीं विवस्वते नमः

  30. ॐ ह्रीं उद्यत्किरणजालाय नमः

  31. ॐ ह्रीं हृषीकेशाय नमः

  32. ॐ ह्रीं ऊर्जस्वलाय नमः

  33. ॐ ह्रीं वीराय नमः

  34. ॐ ह्रीं निर्जराय नमः

  35. ॐ ह्रीं जयाय नमः

  36. ॐ ह्रीं उरुद्वयभावरूपयुक्त सारथये नमः

  37. ॐ ह्रीं ऋणिबंधाय नमः

  38. ॐ ह्रीं रुग् हन्त्रे नमः

  39. ॐ ह्रीं ऋक्षचक्रचराय नमः

  40. ॐ ह्रीं ऋजुस्वभावचित्ताय नमः

  41. ॐ ह्रीं नित्यस्तुत्याय नमः

  42. ॐ ह्रीं ऋकारमातृकावर्ण रूपाय नमः

  43. ॐ ह्रीं उज्जवलत् तेजसे नमः

  44. ॐ ह्रीं ऋक्षादिनाथमित्राय नमः

  45. ॐ ह्रीं पुष्कराक्षाय नमः

  46. ॐ ह्रीं लुप्तदंताय नमः

  47. ॐ ह्रीं शान्ताय नमः

  48. ॐ ह्रीं कान्तिदाय नमः

  49. ॐ ह्रीं घनाय नमः

  50. ॐ ह्रीं कनत्कनकभूषाय नमः

  51. ॐ ह्रीं खद्योताय नमः

  52. ॐ ह्रीं ऊनिताखिल दैत्याय नमः

  53. ॐ ह्रीं सत्यानन्द स्वरूपिणे नमः

  54. ॐ ह्रीं अपवर्गप्रदाय नमः

  55. ॐ ह्रीं आर्तशरण्याय नमः

  56. ॐ ह्रीं एकाकिने नमः

  57. ॐ ह्रीं भगवते ॐ ह्रीं सृष्टिस्थित्यन्तकारिणे नमः

  58. ॐ ह्रीं गुणात्मने नमः

  59. ॐ ह्रीं घृणिभृते नमः

  60. ॐ ह्रीं बृहते नमः

  61. ॐ ह्रीं ब्रह्मणे नमः

  62. ॐ ह्रीं ऐश्वर्यदाय नमः

  63. ॐ ह्रीं शर्वाय नमः

  64. ॐ ह्रीं हरिदश्वाय नमः

  65. ॐ ह्रीं शौरये नमः

  66. ॐ ह्रीं दशदिक् सम्प्रकाशाय नमः

  67. ॐ ह्रीं भक्तवश्याय नमः

  68. ॐ ह्रीं ऊर्जस्कराय नमः

  69. ॐ ह्रीं जयिने नमः

  70. ॐ ह्रीं जगदानन्द हेतवे नमः

  71. ॐ ह्रीं जन्ममृत्युजराव्याधि वर्जिताय नमः

  72. ॐ ह्रीं उच्चस्थानसमारूढ़ रथस्थाय नमः

  73. ॐ ह्रीं असुरारये नमः

  74. ॐ ह्रीं कमनीयकराय नमः

  75. ॐ ह्रीं अब्जवल्लभाय नमः

  76. ॐ ह्रीं अन्तर्बहिःप्रकाशाय नमः

  77. ॐ ह्रीं अचिन्त्याय नमः

  78. ॐ ह्रीं आत्मरूपिणे नमः

  79. ॐ ह्रीं अच्युताय नमः

  80. ॐ ह्रीं अमरेशाय नमः

  81. ॐ ह्रीं परस्मै ज्योतिषे नमः

  82. ॐ ह्रीं अहस्कराय नमः

  83. ॐ ह्रीं खये नमः

  84. ॐ ह्रीं हरये नमः

  85. ॐ ह्रीं परमात्मने नमः

  86. ॐ ह्रीं तरुणाय नमः

  87. ॐ ह्रीं वरेण्याय नमः

  88. ॐ ह्रीं ग्रहाणांपतये नमः

  89. ॐ ह्रीं भास्कराय नमः

  90. ॐ ह्रीं आदिमध्यान्तरहिताय नमः

  91. ॐ ह्रीं सौख्यप्रदाय नमः

  92. ॐ ह्रीं सकलजगतांपतये नमः

  93. ॐ ह्रीं सूर्याय नमः

  94. ॐ ह्रीं कवये नमः

  95. ॐ ह्रीं नारायणाय नमः

  96. ॐ ह्रीं परेशाय नमः

  97. ॐ ह्रीं तेजोरूपाय नमः

  98. ॐ ह्रीं श्रीहिरण्यगर्भाय नमः

  99. ॐ ह्रीं सम्पत्कराय नमः

  100. ॐ ह्रीं इष्टार्थदाय नमः

प्रमुख 12 नाम:

  1. आदित्य
  2. भास्कर
  3. भानु
  4. चित्रभानु
  5. विश्वप्रकाशक
  6. तीक्ष्णांशु
  7. मार्तण्ड
  8. सूर्य
  9. प्रभाकर
  10. विभावसु
  11. सहस्रांशु
  12. पूषन्

इन 12 नामों का नियमित जप करने से मनुष्य समस्त सुखों का प्राप्त करता है।

निष्कर्ष: श्री सूर्यस्तवराज एक अत्यंत प्रभावशाली और दिव्य स्तवन है, जो न केवल सूर्य देव के प्रति भक्ति को बढ़ाता है, बल्कि जीवन में हर प्रकार की सफलता, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति भी कराता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से न केवल शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है, बल्कि पापों से मुक्ति, धन में वृद्धि और जीवन में खुशहाली आती है। सूर्य देव के इस दिव्य स्तवन को अपने जीवन में धारण करने से व्यक्ति को जीवन के हर पहलू में सफलता मिलती है।

आशा है कि इस श्री सूर्यस्तवराज के माध्यम से आप सूर्य देव की कृपा प्राप्त करेंगे और अपने जीवन में आशीर्वादित अनुभव करेंगे।

सूर्य कवच: दिव्य और शक्तिशाली मंत्र

परिचय:
सूर्य देव भारतीय संस्कृति में ऊर्जा, प्रकाश और जीवन के प्रतीक माने जाते हैं। सूर्य कवच एक ऐसा दिव्य मंत्र है, जो न केवल व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक बल प्रदान करता है, बल्कि जीवन में समृद्धि और सकारात्मकता का भी संचार करता है। इस कवच के नियमित जाप से शारीरिक रोगों से मुक्ति, मानसिक शांति, और आत्मिक उन्नति प्राप्त होती है।


FQC: सूर्य कवच का महत्व

1. सूर्य कवच क्या है?

सूर्य कवच एक वैदिक मंत्र है, जो सूर्य देव की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है।

2. सूर्य कवच के लाभ क्या हैं?

  • शारीरिक रोगों से मुक्ति।
  • मानसिक शांति और स्थिरता।
  • आत्मबल और समृद्धि का विकास।
  • बुरी शक्तियों से रक्षा।

3. सूर्य कवच का पाठ कब करना चाहिए?

  • प्रातःकाल सूर्योदय के समय।
  • विशेष रूप से रविवार को।
  • सप्तमी तिथि और संक्रांति के अवसर पर।

4. सूर्य कवच का पाठ कैसे करें?

  • स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठकर।
  • लाल वस्त्र पहनें।
  • सूर्यदेव की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर।
  • मंत्र का ध्यानपूर्वक और श्रद्धा से जाप करें।

FQC: सूर्य कवच के मंत्र और उनका प्रभाव

5. सूर्य कवच के मुख्य मंत्र कौन-कौन से हैं?

  • प्रणवो में शिरः पातु घृणिर्मे पातु भालकम्।
    इससे सिर और मस्तिष्क की रक्षा होती है।

  • अष्टाक्षरो महामंत्रः सर्वाभीष्टफलप्रदः।
    मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक।

  • कुष्ठादिरोगशमनं विनाशनम्। त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यमरोगी बलवान्भवेत्।
    रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य लाभ।

6. सूर्य कवच का प्रभाव क्या है?

  • शरीर और मन की शक्ति बढ़ती है।
  • बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है।
  • धन, यश, और शांति की प्राप्ति होती है।

FQC: सूर्य कवच के विशेष निर्देश

7. क्या सूर्य कवच हर किसी के लिए है?

हां, सूर्य कवच का पाठ हर व्यक्ति कर सकता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने पर कोई भी इसके लाभ प्राप्त कर सकता है।

8. क्या सूर्य कवच को किसी विशेष विधि से धारण करना चाहिए?

  • भूर्जपत्र पर रोचना, गुरु, और कुमकुम से लिखकर धारण करें।
  • इसे गले, हाथ, या सिर पर रखें।

9. क्या सूर्य कवच बिना जानकार के पढ़ा जा सकता है?

सूर्य कवच को भक्ति और श्रद्धा से पढ़ने पर इसका प्रभाव प्राप्त होता है, भले ही इसकी पूरी विधि ज्ञात न हो।


FQC: सूर्य स्तवराज के बारे में जानकारी

10. सूर्य स्तवराज क्या है?

सूर्य स्तवराज सूर्य देव की महिमा का वर्णन करने वाला एक दिव्य स्तवन है, जो व्यक्ति के सभी पापों को नष्ट कर जीवन में समृद्धि लाता है।

11. सूर्य स्तवराज का पाठ कब और कैसे करें?

  • सूर्योदय के समय।
  • स्वच्छ वस्त्र पहनकर।
  • शांत मन से और स्पष्ट उच्चारण के साथ।

12. सूर्य स्तवराज के लाभ क्या हैं?

  • पापों का नाश।
  • जीवन में धन, यश, और स्वास्थ्य की प्राप्ति।
  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार।

FQC: श्री सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली

13. सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली क्या है?

यह सूर्य देव के 108 नामों की सूची है, जो उनकी महिमा का गुणगान करती है।

14. सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली का जप क्यों करें?

  • जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाने के लिए।
  • बुरी शक्तियों से सुरक्षा के लिए।
  • आत्मिक और मानसिक शांति के लिए।

15. सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली के कुछ मुख्य नाम कौन से हैं?

  • ॐ ह्रीं अरुणाय नमः
  • ॐ ह्रीं आदित्याय नमः
  • ॐ ह्रीं भास्कराय नमः
  • ॐ ह्रीं त्रिलोकेशाय नमः

निष्कर्ष

सूर्य कवच और सूर्य स्तवराज जैसे दिव्य मंत्र और स्तवन व्यक्ति के जीवन को हर प्रकार से सुखमय और समृद्ध बना सकते हैं। इन्हें श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।

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