भविष्यपुराण के सप्तम कल्प में सूर्यनारायण का सहस्त्रनाम स्तोत्र (The thousand names hymn of Sun Narayan in the seventh creation of the Bhavishya Purana.)

भविष्यपुराण के सप्तम कल्प में सूर्यनारायण का सहस्त्रनाम स्तोत्र

राजा शतानीक ने महर्षि सुमन्तु से निवेदन किया:
"हे द्विजश्रेष्ठ! मुझे भगवान सूर्यदेव के सहस्त्रनाम सुनने की अत्यंत इच्छा है, जिनके माध्यम से दिवाकर देव के साक्षात दर्शन होते हैं।"

महर्षि सुमन्तु ने इस स्तोत्र की महिमा बताते हुए कहा:

  • यह स्तोत्र सर्वमंगलकारी है।
  • सभी पापों का नाश करता है।
  • सभी रोगों को समाप्त करता है और संकटों से मुक्ति दिलाता है।
  • संग्राम में विजय, रोगमुक्ति, संतान प्राप्ति और सभी इच्छाओं की पूर्ति करता है।
  • इसके श्रवण और पाठ से शत्रुओं पर विजय और अपार सुख की प्राप्ति होती है।

श्री सूर्य सहस्त्रनाम

वेदव्यास द्वारा रचित यह स्तोत्र अनुष्टुप छंद में है। इसमें भगवान सूर्य नारायण को सविता देवता के रूप में वर्णित किया गया है।

सहस्त्रनाम के कुछ अंश:

  1. ॐ विश्वविद्‌ विश्वजित्कर्ता विश्वात्मा विश्वतोमुखः।
    विश्वेश्वरो विश्वयोनिर्नियतात्मा जितेन्द्रियः॥

    • जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड के ज्ञाता और सृष्टि के कर्ता हैं।
    • जिनका स्वरूप ब्रह्मांड में व्याप्त है।
    • वे इन्द्रियों को वश में रखने वाले और अजेय हैं।
  2. कालाश्रयः कालकर्ता कालहा कालनाशनः।
    महायोगी महासिद्धिर्महात्मा सुमहावलः॥

    • वे काल (समय) का आधार, निर्माता और विनाशक हैं।
    • महान योगी और महान शक्तियों से संपन्न हैं।
  3. प्रभुर्विभुर्भूतनाथो भूतात्मा भुवनेश्वरः।
    भूतभव्योभावितात्मा भूतान्तःकरणं शिवः॥

    • जो प्रभु और सभी प्राणियों के स्वामी हैं।
    • वर्तमान, भूत और भविष्य के ज्ञाता हैं।
    • शिवस्वरूप और करुणानिधान हैं।
  4. सप्तसप्तिरचिन्त्यात्मा महाकारुणिकोत्तमः।
    संजीवनो जीवनाथो जयो जीवो जगत्पतिः॥

    • जो रथ के सात घोड़ों के स्वामी और महान करुणा के सागर हैं।
    • जगत के स्वामी और जीवन देने वाले हैं।
  5. यज्ञो यज्ञपतिः पूषा स्वर्णरेताः परावरः।
    परापरज्ञस्तरणि रंशुमाली मनोहरः॥

    • जो यज्ञस्वरूप और यज्ञ के स्वामी हैं।
    • जिनके प्रकाश से सारा संसार आलोकित होता है।

महिमा:

  • जो भी श्रद्धा से इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे सभी इच्छित फल प्राप्त होते हैं।
  • यह धर्म, सुख, ऐश्वर्य, और मोक्ष प्रदान करता है।
  • यह स्तोत्र संग्राम में विजय और जीवन में शांति लाने वाला है।

विनियोग:

इस स्तोत्र को श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ें और भगवान सूर्य नारायण की कृपा प्राप्त करें।

जय सूर्य नारायण।

भविष्यपुराण के सप्तम कल्प में सूर्यनारायण का सहस्त्रनाम स्तोत्र Frequently Asked Questions (FQCs) 

1. सूर्यनारायण के सहस्त्रनाम स्तोत्र का महत्व क्या है?

सूर्यनारायण का सहस्त्रनाम स्तोत्र सर्वमंगलकारी है। यह पापों का नाश करता है, रोगों से मुक्ति दिलाता है और संकटों से छुटकारा दिलाता है। इसके पाठ से व्यक्ति को विजय, संतान प्राप्ति और इच्छाओं की पूर्ति होती है।

2. सूर्यनारायण के सहस्त्रनाम स्तोत्र को कब और कैसे पाठ करना चाहिए?

इस स्तोत्र को श्रद्धा और भक्ति के साथ नियमित रूप से सुबह या सूर्योदय के समय पाठ करना चाहिए। विशेष रूप से रविवार के दिन इसका पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। यह जीवन में शांति और समृद्धि लाने में मदद करता है।

3. सूर्यनारायण के सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?

इसके पाठ से शत्रुओं पर विजय मिलती है, संतान सुख प्राप्त होता है, और शरीर से सभी प्रकार के रोग समाप्त हो जाते हैं। साथ ही यह स्तोत्र मोक्ष की प्राप्ति और जीवन में सुख-समृद्धि लाने में भी सहायक है।

4. सूर्यनारायण का सहस्त्रनाम स्तोत्र किसकी रचना है?

यह स्तोत्र महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित है। यह अनुष्टुप छंद में है और भगवान सूर्यनारायण को सविता देवता के रूप में वर्णित करता है।

5. सूर्यनारायण के सहस्त्रनाम स्तोत्र का क्या धार्मिक महत्व है?

सूर्यनारायण का सहस्त्रनाम स्तोत्र न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह व्यक्ति के आत्मिक उन्नति और जीवन में शांति लाने के लिए एक महत्वपूर्ण उपासना भी है। इसके माध्यम से भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त की जा सकती है।

6. क्या सूर्यनारायण के सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ केवल हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए है?

नहीं, यह स्तोत्र किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। इसके पाठ से सभी लोग लाभान्वित हो सकते हैं, क्योंकि यह ब्रह्मांड के संपूर्ण शक्ति के स्रोत, सूर्य देव की उपासना है।

7. सूर्यनारायण के सहस्त्रनाम स्तोत्र में कौन से विशेष नामों का उल्लेख है?

कुछ विशेष नामों में "विश्वविद्", "विश्वजित्कर्ता", "महायोगी", "भूतनाथ", "संजीवनो", "जीवो जगत्पति" शामिल हैं, जो भगवान सूर्य की महिमा और उनके ब्रह्मांड में व्याप्त अद्वितीय शक्ति को दर्शाते हैं।

8. क्या सूर्यनारायण के सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ संकटों से मुक्ति दिलाता है?

हां, यह स्तोत्र पाठक को विभिन्न प्रकार के संकटों, दुखों और समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक है। इसके नियमित पाठ से जीवन में सुख-शांति और विजय प्राप्त होती है।

9. क्या सूर्यनारायण का सहस्त्रनाम स्तोत्र पाठ करने से किसी प्रकार का व्रत या पूजा करनी चाहिए?

अगर आप इस स्तोत्र का पाठ कर रहे हैं, तो इसे श्रद्धा और पूर्ण समर्पण के साथ करें। इसे एक व्रत के रूप में भी किया जा सकता है, जिसमें सूर्योदय के समय सूर्य देव की पूजा करके स्तोत्र का पाठ करें।

10. सूर्यनारायण के सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ किसे लाभ पहुंचाता है?

यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है, जो शत्रुओं से परेशान हैं, जो रोगों से जूझ रहे हैं, या जो जीवन में किसी प्रकार के संकटों से मुक्ति चाहते हैं। इसके अलावा यह हर व्यक्ति के लिए एक आदर्श और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है।

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