श्री शीतला चालीसा: पूजा विधि और लाभ
श्री शीतला माता का पूजा का विशेष महत्व है, खासकर जब जीवन में विभिन्न प्रकार के रोग और संकट उत्पन्न हो। श्री शीतला माता की पूजा से न केवल शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी प्राप्त होती है। इस चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को समस्त रोगों से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-शांति का वास होता है।

श्री शीतला चालीसा का पाठ करने की विधि:
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शुभ मुहूर्त का चयन:
पूजा और व्रत के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करें। इसे आप विशेष पर्व, व्रत, या अन्य तिथि अनुसार चुन सकते हैं। -
पूजा स्थान का चयन:
पूजा करने के लिए एक स्वच्छ और शांत स्थान का चयन करें, जहां आप पूरी निष्ठा और श्रद्धा से पूजा कर सकें। -
मूर्ति या चित्र की स्थापना:
पूजा स्थल पर श्री शीतला माता की मूर्ति, चित्र या यंत्र रखें। इसे ध्यानपूर्वक और श्रद्धा से स्थापित करें। -
शुद्धि और स्नान:
पूजा से पहले स्नान करके शुद्ध हो जाएं। इससे मानसिक और शारीरिक शुद्धता आती है, जो पूजा को प्रभावी बनाता है। -
पूजा का आरंभ:
पूजा का आरंभ कलश पूजा, चौघड़िया पूजा, और देवी पूजा से करें। फिर श्री शीतला माता का ध्यान करते हुए चालीसा का पाठ करें। -
मंत्र उच्चारण:
चालीसा का पाठ करते समय "श्री शीतला चालीसा" के मंत्रों का उच्चारण भक्तिभाव से करें। मंत्रों का सही तरीके से उच्चारण आपकी भक्ति को बढ़ाता है। -
आरती और प्रशाद:
पूजा के बाद माता की आरती करें और प्रशाद बांटें। यह धार्मिक आस्था को सशक्त करता है और पूजा का पुण्य बढ़ाता है। -
भक्ति भाव:
पूरे पाठ के दौरान और पूजा के बाद भक्ति भाव से भगवान की उपस्थिति का अहसास करें और पूरी श्रद्धा से उनका ध्यान करें।
श्री शीतला चालीसा
॥ दोहा ॥
जय जय माता शीतला, तुमहिं धेरै जो ध्यान ।
होय विमल शीतल हृदय, विकसै बुद्धि बलज्ञान ॥
घट-घट वासी शीतला, शीतल प्रभा तुम्हार ।
शीतल छइयां में झुलई, मइया पलना डार ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय शीतला भवानी, जय जग जननि सकल गुणखानी ।
गृह-गृह शक्ति तुम्हारी राजित, पूरण शरदचंद्र समसाजित ।
विस्फोटक से जलत शरीरा, शीतल करत हरत सब पीरा ।
मातु शीतला तव शुभनामा, सबके गाढ़े आवहिं कामा ।
शोकहरी शंकरी भवानी, बाल-प्राणरक्षी सुख दानी ।
शुचि मार्जनी कलश करराजै, मस्तक तेज सूर्य समराजै ।
चौसठ योगिन संग में गावैं, वीणा ताल मृदंग बजावैं ।
नृत्य नाथ भैरो दिखरावैं, सहज शेष शिव पार न पावैं।
धन्य-धन्य धात्री महारानी, सुरनर मुनि तब सुयश बखानी ।
ज्वाला रूप महा बलकारी, दैत्य एक विस्फोटक भारी ।
घर-घर प्रविशत कोई न रक्षत, रोग रूप धरि बालक भक्षत ।
हाहाकार मच्यो जगभारी, सक्यो न जब संकट टारी ।
तब मैया धरि अद्भुत रूपा, करमें लिये मार्जनी सूपा ।
विस्फोटकहिं पकड़ कर लीन्ह्यो, मुसल प्रहार बहुविधि कीन्ह्यो ।
बहुत प्रकार वह विनती कीन्हा, मैया नहीं भल मैं कछु चीन्हा ।
अबनहिं मातु, काहुगृह जइहौं, जहँ अपवित्र सकल दुःख हरिहैं ।
भभकत तन, शीतल है जइहैं, विस्फोटक भयघोर नसइहैं।
श्री शीतलहिं भजे कल्याना, वचन सत्य भाषे भगवाना ।
विस्फोटक भय जिहि गृह भाई, भजै देवी कहँ यही उपाई ।
कलश शीतला का सजवावै, द्विज से विधिवत पाठ करावै ।
तुम्हीं शीतला, जग की माता, तुम्हीं पिता जग की सुखदाता |
तुम्हीं जगद्धात्री सुखसेवी, नमो नमामि शीतले देवी ।
नमो सुक्खकरणी दुःखहरणी, नमो-नमो जगतारण तरणी ।
नमो नमो त्रलोक्य वन्दिनी, दुखदारिद्रादिक निकन्दनी ।
श्री शीतला, शेढ़ला, महला, रुणलीह्यणनी मातु मंदला ।
हो तुम दिगम्बर तनुधारी, शोभित पंचनाम असवारी ।
रासभ, खर बैशाख सुनन्दन, गर्दभ दुर्वाकंद निकन्दन ।
सुमिरत संग शीतला माई, जाहि सकल दुख दूर पराई ।
गलका, गलगन्डादि जुहोई, ताकर मंत्र न औषधि कोई ।
एक मातु जी का आराधन, और नहिं कोई है साधन ।
निश्चय मातु शरण जो आवै, निर्भय मन इच्छित फल पावै ।
कोढ़ी, निर्मल काया धारै, अन्धा, दृग-निज दृष्टि निहारै ।
वन्ध्या नारि पुत्र को पावै, जन्म दरिद्र धनी होई जावै ।
मातु शीतला के गुण गावत, लखा मूक को छन्द बनावत ।
यामे कोई करै जनि शंका, जग में मैया का ही डंका ।
भनत 'रामसुन्दर' प्रभुदासा, प्रयाग से पूरब पासा ।
तट पुरी तिवारी मोर मोर निवासा, ककरा गंगा तट दुर्वासा |
अब विलम्ब मैं तोहि पुकारत, मातु कृपा कौ बाट निहारत ।
पड़ा क्षर तव आस लगाईं, रक्षा करहु शीतला माई ।
श्री शीतला चालीसा के लाभ
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रोगों से मुक्ति:
श्री शीतला माता की पूजा से शरीर और घर में उपस्थित सभी प्रकार के रोग समाप्त होते हैं। यह विशेष रूप से संक्रामक रोगों को दूर करने में सहायक है। -
सुख-शांति की प्राप्ति:
इस चालीसा के पाठ से घर में सुख और शांति का वास होता है। सभी प्रकार के मानसिक और शारीरिक तनाव कम होते हैं। -
संकटों से मुक्ति:
जब व्यक्ति किसी संकट या परेशानियों में होता है, तब श्री शीतला चालीसा का पाठ उसे विघ्नों और परेशानियों से उबारने में मदद करता है। -
भाग्य में सुधार:
यह चालीसा पाठ करने से व्यक्ति के भाग्य में सुधार होता है और उसे जीवन में नयी ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है। -
प्रशांति और समृद्धि:
घर में समृद्धि और शांति का वास होता है, और परिवार में सबकी भलाई होती है। यह चालीसा मानसिक शांति प्रदान करता है और आत्मविश्वास में वृद्धि करता है।
निष्कर्ष:
श्री शीतला चालीसा का नियमित पाठ जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए अत्यधिक लाभकारी है। यह पूजा व्यक्ति को न केवल शारीरिक कष्टों से मुक्ति दिलाती है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करती है। इस चालीसा का पाठ करने से जीवन में खुशहाली और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
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