सूर्य ग्रह - कैसे हुई उत्पत्ति क्या है कथा? - The planet Sun - how did it originate?

मित्रों, आज रविवार है, भगवान सूर्य का दिन: जानिए सूर्य ग्रह की उत्पत्ति और पौराणिक कथा

सूर्यदेव, जिनके प्रताप से ही हमें समय का ज्ञान हुआ और जिनका प्रतिदिन दर्शन होता है, को समस्त ग्रहों का राजा माना गया है। इन्हें आदित्य, भास्कर, और मार्तंड जैसे नामों से जाना जाता है। आइए, जानते हैं भगवान सूर्य की उत्पत्ति और उनके परिवार की रोचक पौराणिक कथाएं।


सूर्य ग्रह की उत्पत्ति: एक दिव्य कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, सृष्टि के आरंभ में अंधकार का साम्राज्य था। भगवान विष्णु के नाभि-कमल से उत्पन्न ब्रह्मा जी ने पहला शब्द उच्चारित किया: "ॐ"। इसी शब्द से तेज उत्पन्न हुआ, जिसने अंधकार को चीरकर प्रकाश फैलाया। यही तेज सूर्य का सूक्ष्म स्वरूप था।

ब्रह्मा जी के चार मुखों से उत्पन्न वेद इस तेज में समाहित हो गए और वेदस्वरूप सूर्य देव की स्थापना हुई। ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर सूर्यदेव ने अपने महातेज को समेट लिया और स्वल्प तेज को धारण किया।


सूर्यदेव का परिवार

भगवान सूर्य नारायण के 5 पुत्र और 2 पुत्रियां थीं।

पुत्र:

  1. वैवस्वत मनु: इन्हें सृष्टि के निर्माता और श्राद्ध देव माना जाता है।
  2. यम धर्मराज: मृत्यु के देवता और न्याय के प्रतीक।
  3. शनि देव: न्यायप्रिय और दंडाधिकारी।
  4. भाग्य देव: वरदान स्वरूप पितृभक्ति के कारण इन्हें इच्छानुसार देने-लेने का अधिकार मिला।
  5. अश्विनी कुमार: देवताओं के वैद्य।

पुत्रियां:

  1. यमुना देवी: शांत स्वभाव वाली नदी। इनके स्नान से यम की प्रताड़ना से मुक्ति मिलती है।
  2. तापती देवी: तीव्र वेग वाली नदी, जिनके स्नान से पितृगण तृप्त होते हैं और शनि दोष समाप्त होता है।

कैसे बने आदित्य?

ब्रह्मा जी के पुत्र महर्षि कश्यप का विवाह प्रजापति दक्ष की कन्या अदिति से हुआ। अदिति से देवताओं का जन्म हुआ।

दैत्य-दानवों से देवताओं की हार के बाद, अदिति ने सूर्यदेव की कठोर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने अदिति को पुत्र के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। समय आने पर अदिति ने एक तेजस्वी बालक को जन्म दिया, जो देवताओं के नायक बने और असुरों का संहार किया। अदिति के गर्भ से जन्म लेने के कारण इन्हें आदित्य कहा गया।


सूर्यदेव की महिमा

सूर्यदेव की आराधना के महत्व को कई पुराणों जैसे भविष्य, मत्स्य, पद्म, ब्रह्म, मार्कंडेय, और साम्ब पुराण में विस्तृत रूप से वर्णित किया गया है।
सूर्योदय के समय उनकी उपासना करने से वे प्रसन्न होते हैं और जातक पर कृपा बनी रहती है।


सूर्यदेव की उपासना का लाभ

सूर्यदेव को समर्पित व्रत और कथा जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और न्याय प्रदान करती है। उनकी कृपा से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।


निष्कर्ष:
सूर्यदेव केवल प्रकाश के स्रोत ही नहीं, बल्कि न्याय, भक्ति और समृद्धि के प्रतीक भी हैं। उनकी उपासना से जीवन के हर संकट का निवारण संभव है। आज रविवार को उनकी आराधना कर हम उनके आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं।


"ॐ सूर्याय नमः"
जय सूर्य नारायण!

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