घुघुती( Ghughuti, a bird of Uttrakhand)

घुघुती(  Ghughuti, a bird of Uttrakhand)

घुघुती(  Ghughuti, a bird of Uttrakhand)
  • आमाकी डाईमा घुघूती ना बासा,
  • घुघूती ना बासाआआआआआआ।
  • किंगर का झाला घुघूती, पांगर का झाला घुघूती,
  • नि बासा घुघुती 

घुघुती उत्तराखंड में पाए जाने वाला एक अद्भुत, बहुत ही प्यारा, सीधा साधा पक्षी है और इसकी सुरीली आवाज भी उतनी ही सुहावनी लगती है। घुघूती की आवाज सुनने के लिए लोग तरस जाते हैं, जो  एक बार की घुघुती के सुरीली घुरून( आवाज) सुन ले, वो कभी भी घुघुती को भूल नहीं सकता है और इसकी उस सुरीली आवाज को सुनने के लिए बार बार जी करता है।
      घुघुती अधिकतर  उत्तराखंड की पहाडियों में पायी जाती है, इसकी सुरीली आवाज केवल चैत के महीने से सुननी शुरु हो जाती है, प्रसिद्ध कुमाऊँनी लोकगायक स्वर्गीय #गोपाल_बाबू_गोस्वामी जी ने अपनी सुरीली आवाज में घुघूती पर एक गीत गया है:- 

"घुघुती ना बासा, आमे कि डाई मा घुघुती ना बासा
घुघुती ना बासा, तेर घुरु घुरू सुनी मै लागू उदासा
स्वामी मेरो परदेसा, बर्फीलो लदाखा, घुघुती ना बासा
घुघुती ना बासा, आमे कि डाई मा घुघुती ना बासा।"
___________________________________________________________________________________
घुघूती घुरूंण लगी म्यारा मैत की, बौड़ी-बौड़ी ऐगै ऋतु,ऋतु चैत की ] घुघुती( Ghughuti, a bird of Uttrakhand) ] [ घुघुती पक्षी (उत्तराखंड का शांत और सुंदर पक्षी घुघूति, इस पर पहाड़ी गीतों की कईं पंक्तियाँ में से कुछ )] [ भिटौली " " हमारी सांस्कृतिक पहचान "] [ भिटौली – उत्तराखण्ड में महिलाओं को समर्पित एक विशिष्ट परम्परा] [ भिटौली " " हमारी सांस्कृतिक पहचान "]

घुघुती(  Ghughuti, a bird of Uttrakhand)

घुघुती क्या है?

  1. पहाड़ी घुघुती का रूप कबूतर से काफी मिलता है।
  2. यह आकर में कबूतर से छोटी होती है।
  3. इसके पंख में सफ़ेद चित्तिदार धब्बे होते है।
प्रकृति प्रेम पहाड़वासियों के हृदय में बसता है। पहाड़ी लोकगीतों का विषय अकसर पहाड़, मौसम, पेड़-पौधे, पक्षी आदि होते है। बात जब पहाड़ की होती है तो घुघुती पक्षी का ज़िक्र अवश्य होता है। शहरो में यह पक्षी विरले ही देखने को मिलता है। यह नन्हा पक्षी विवाहिताओं को उनके मइके की याद दिलाता है, साथ ही उनके हर दुःख में उनका साथी भी बनता है।

घुघुती से जुड़ी लोकगाथा  

कहते है कि प्राचीनकाल में एक भाई अपनी बहन से मिलने उसके ससुराल गया था। जब वह बहन के घर पँहुचा तब बहन गहन निंद्रा में थी। उसकी नींद में खलल डालना भाई को अच्छा नहीं लगा। भाई रातभर घर के बाहर बहन के जागने की प्रतीक्षा करता रहा। बहन जागी नहीं तो उसे सोता हुआ छोड़कर वापिस लौट गया। जब बहन की नींद खुली तो उसने अपनी माँ के बनाए पाकवान और मिष्ठान रखे देखें। लोगो ने उसे बताया कि उसका भाई आया था। वह प्रतीक्षा करता रहा और अंत में भूखे पेट ही लौट गया। इस बात से बहन को इतना दुःख हुआ कि उसने आत्मग्लानी के चलते अपने प्राण त्याग दिए।

कहते है कि यही बहन बाद में घुघुती बनी। आज भी घुघुती की आवाज़ में वहीं दर्द और पीड़ा झलकती है। कुमाऊँ अन्चल में मकर सक्रन्ती का त्यौहार भी घुघुती त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। घुघुती पहाड़ के सबसे लोकप्रिय लोकगीतों का हिस्सा है।

घुघुती लोकगीत  (किशन महिपाल)

पिंगर का झाला घुगुती ..पांगर का डाला घुगुती
ले घुर घुरान्दी घुगुती ..ले फुर उड़ान्दि घुगुती
ले टक लगान्दी घुगुती ..के रेंदी बिगांदी घुगुती ..
के देश की होली घुगुती ..के देश बे आई घुगुती ..
किंगर का झाला......होए होए ..
किंगर का झाला घुघूती ..पांगर का डाला घुघूती ..
ले घुर घुरन्दी घुघूती ..ले फुर उड़ान्दि घुगुती
तू कब बसदी घुगुती..तू कन बसानी घुगुती ...
तू मालु झाले की...होए होए ..
तू मालु झाले की घुगुती ..तू मालु रंग की घुगुती ..
बल चैत बैशाख घुगुती ..तू घुर घुरांदी घुगुती

जहांँ तक गढ़वाली लोकगीतों की शैली का प्रश्न है, सभी गीतों में शैली की एक सूत्रता नहीं मिलती। प्रत्येक वर्ग के गीतों की अपनी पृथक शैली होती है किंतु स्थूल रूप से प्रवधात्मक, वर्णात्मक, भावात्मक नामों के अंतरगर्त रखा जा सकता है।

घुघुती (Ghughuti) पक्षी के बारे में सामान्य पूछे जाने वाले प्रश्न (FQCs)

  1. घुघुती (Ghughuti) क्या है?

    • घुघुती एक छोटा, सुंदर पक्षी है, जो उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। इसका आकार कबूतर से मिलता-जुलता है, लेकिन यह उससे छोटा होता है और इसके पंखों में सफेद चित्तिदार धब्बे होते हैं।
  2. घुघुती कहां पाया जाता है?

    • घुघुती मुख्य रूप से उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में, विशेष रूप से कुमाऊं क्षेत्र में पाया जाता है। यह पक्षी शहरी इलाकों में कम ही देखा जाता है, और यह ग्रामीण तथा पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है।
  3. घुघुती की आवाज क्यों खास है?

    • घुघुती की आवाज बहुत ही सुरीली और मनमोहक होती है। इसका घुरूण (घुर-घुर की आवाज) सुनने के लिए लोग हमेशा तत्पर रहते हैं। एक बार इसकी आवाज सुनने के बाद, कोई भी व्यक्ति इसे भूल नहीं सकता है, और इसे बार-बार सुनने की इच्छा होती है।
  4. उत्तराखंड में घुघुती का सांस्कृतिक महत्व क्या है?

    • घुघुती की आवाज उत्तराखंड में सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है, खासकर लोक गीतों में। इसे अक्सर लोक गीतों में उल्लेखित किया जाता है, जो प्रेम, विरह और शोक से संबंधित होते हैं। कुमाऊं के प्रसिद्ध गीतकार गोपाल बाबू गोस्वामी ने भी अपनी आवाज में घुघुती पर एक गीत गाया है: “घुघुती ना बासा, आमे कि डाई मा घुघुती ना बासा।”
  5. घुघुती से जुड़ी कोई लोक कथा है?

    • हां, एक प्रसिद्ध लोक कथा है जिसके अनुसार एक भाई अपनी बहन से मिलने उसके ससुराल गया था। जब बहन गहरी नींद में थी, तो भाई रात भर घर के बाहर उसकी जागने का इंतजार करता रहा। जब बहन जागी, तो उसने सुना कि भाई भूखा लौट गया था। इस दुख से बहन ने आत्मग्लानि के कारण प्राण त्याग दिए। कहा जाता है कि वही बहन बाद में घुघुती बन गई। उसकी आवाज़ में वही दर्द और पीड़ा सुनाई देती है।
  6. क्या घुघुती से जुड़ा कोई विशेष त्योहार है?

    • हां, उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मकर संक्रांति के दौरान घुघुती का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार घुघुती के आह्वान और उसकी आवाज से जुड़ा हुआ है, जो पहाड़ों में सर्दी और गर्मी के बीच के बदलाव को दर्शाता है।
  7. घुघुती पर आधारित कुछ प्रमुख गीत क्या हैं?

    • घुघुती पर आधारित कुछ प्रसिद्ध गीत निम्नलिखित हैं:
      • “घुघुती ना बासा, आमे कि डाई मा घुघुती ना बासा” - गोपाल बाबू गोस्वामी।
      • “पिंगर का झाला घुघुती, पांगर का डाला घुघुती” - कुमाऊं के लोक गीत।
  8. घुघुती को उत्तराखंड में क्यों शोक का प्रतीक माना जाता है?

    • घुघुती को शोक का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि इसे एक लोक कथा से जोड़ा जाता है, जिसमें बहन की दुखद मृत्यु और उसकी आत्मग्लानि की कहानी है। इसकी आवाज में वही दर्द और शोक महसूस होता है।
  9. घुघुती लोक गीतों में किस प्रकार से उल्लेखित है?

    • घुघुती के बारे में लोक गीतों में आमतौर पर प्रेम, विरह और प्रतीक्षा के भाव होते हैं। उदाहरण के तौर पर, गीत "पिंगर का झाला घुघुती, पांगर का डाला घुघुती" और "ले घुर घुरांदी घुघुती" में घुघुती की आवाज का जिक्र किया गया है, जो प्रेम और घुड़कते हुए इंतजार को दर्शाता है।
  10. उत्तराखंड के प्राकृतिक धरोहर के संदर्भ में घुघुती का क्या महत्व है?

    • घुघुती उत्तराखंड की प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अहम हिस्सा है। यह पक्षी पहाड़ों की सुंदरता, प्रकृति और स्थानीय लोगों के जीवन से जुड़ा हुआ है, और इसके गीत एवं आवाज़ लोक संगीत और परंपराओं में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Most Popular

केदारनाथ स्टेटस हिंदी में 2 लाइन(kedarnath status in hindi 2 line) something
जी रया जागी रया लिखित में , | हरेला पर्व की शुभकामनायें  (Ji Raya Jagi Raya in writing, | Happy Harela Festival )
हिमाचल प्रदेश पर शायरी स्टेटस कोट्स इन हिंदी(Shayari Status Quotes on Himachal Pradesh in Hindi)
 हिमाचल प्रदेश की वादियां शायरी 2 Line( Himachal Pradesh Ki Vadiyan Shayari )
महाकाल महादेव शिव शायरी दो लाइन स्टेटस इन हिंदी (Mahadev Status | Mahakal Status)
हिमाचल प्रदेश पर शायरी (Shayari on Himachal Pradesh )
गढ़वाली लोक साहित्य का इतिहास एवं स्वरूप (History and nature of Garhwali folk literature)
श्री बद्रीनाथ स्तुति (Shri Badrinath Stuti) Badrinath Quotes in Sanskrit
150+ उत्तराखंड सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर हिंदी में | Gk in Hindi - 150 +  Uttarakhand GK Question Answers in Hindi | Gk in hindi
Pahadi A Cappella 2 || Gothar Da Bakam Bham || गोठरदा बकम भम || MGV DIGITAL