हिमाचल प्रदेश का मानव संसाधन(Human Resources of Himachal Pradesh)

हिमाचल प्रदेश का मानव संसाधन(Human Resources of Himachal Pradesh)

  • हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या 1901 में 19,20,294 से बढ़कर 1951 में 23,85,981 और 1971 में बढ़कर 34,60,434 हो गई। वर्ष 2011 में हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या 68,56,509 हो गई। हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या में 1901 और 1911 के बीच 1.22% की गिरावट दर्ज की गई। हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या में सर्वाधिक 23.71 % की वृद्धि 1971 से 1981 के बीच दर्ज की गई। हिमाचल प्रदेश का लिंग अनुपात सबसे कम 1901 में 884 दर्ज किया गया जो 1951 में बढ़कर 912 और 1971 में बढ़कर 958 हो गया। वर्ष 2011 में हिमाचल प्रदेश का लिंग अनुपात 974 है। हिमाचल प्रदेश का जनघनत्व 1901 में 34 से बढ़कर 2011 में 123 हो गया है।
    हिमाचल प्रदेश का मानव संसाधन

  • जनसंख्या एवं दशकीय वृद्धि दर -

  1. लाहौल-स्पीति की जनसंख्या में (2001-2011) पिछले दशक में – 5.10% की गिरावट दर्ज की गई। उसकी जनसंख्या 2001 में 33,244 से घटकर 2011 में 31,528 रह गई है।
  2. हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या (2011 जनगणना के अनुसार) - 68,56,509
  3. पुरुष जनसंख्या - 34,73,892
  4. महिला जनसंख्या - 33,82,617
  5. हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या भारत की जनसंख्या का 0.57% रह गई है (2001 में 0.59% थी।)
  6. सर्वाधिक जनसंख्या - काँगड़ा जिला (15,07,223)
  7. हिमाचल प्रदेश की दशकीय वृद्धि (2001-2011 के बीच) - 12.81%
  8. सर्वाधिक दशकीय वृद्धि वाला जिला - ऊना (16.24%)
  9. 21.98% के साथ काँगड़ा जिला हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या में सबसे बड़ा योगदान देता है।
  10. 0.46% के साथ लाहौल-स्पीति का हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या में न्यूनतम योगदान 2011 की जनगणना में रहा है।

  • लिंग अनुपात और शिशु लिंगानुपात (0-6 वर्ष) (2011) -

  1. लिंग अनुपात (Sex Ratio) 2011 जनगणना के अनुसार - 974
  2. सर्वाधिक लिंग अनुपात वाला जिला - हमीरपुर, 1096 (2001 से 6 कम)
  3. सबसे कम लिंग अनुपात वाला जिला - 818 किन्नौर
  4. लिंग अनुपात में सर्वाधिक वृद्धि दर्ज करने वाला जिला - लाहौल-स्पीति 916 (2001 में 802 थी) (+114 वृद्धि)
  5. 0-6 वर्ष का हिमाचल प्रदेश का लिंग अनुपात - 906 (2001 से 10 अधिक)
  6. 0-6 वर्ष के लिंग अनुपात में लाहौल-स्पीति 1013 लिंग अनुपात के साथ न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि भारत के 600 से अधिक जिलों में प्रथम स्थान पर है।
  7. ऊना जिले का शिशु लिंगानुपात (0-6 वर्ष) 2011 में न्यूनतम (870) था।
  8. हिमाचल प्रदेश की कुल शिशु जनसंख्या 7,63,864 है जो कुल जनसंख्या का 11.14% है।

  • साक्षरता और जनसंख्या घनत्व (2011) -

  1. हिमाचल प्रदेश की साक्षरता 2011 में - 83.78%
  2. हिमाचल प्रदेश की पुरुष साक्षरता दर 2011 में - 90.83 %
  3. हिमाचल प्रदेश की महिला साक्षरता दर 2011 में - 76.60%
  4. 2011 में सर्वाधिक साक्षरता वाला जिला - हमीरपुर (89.01%)
  5. 2011 में सबसे कम साक्षरता वाला जिला - चम्बा (73.19%)
  6. 2011 में हिमाचल प्रदेश का जनसंख्या घनत्व - 123 (2001 से 14 अधिक)
  7. सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला जिला 2011 में - 406 हमीरपुर)
  8. सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला जिला 2011 में - लाहौल-स्पीति
(II)
  • हिमाचल प्रदेश की ग्रामीण जनसंख्या 61,67,805 (89.96%) है, जबकि शहरी जनसंख्या 6,88,704 (10.04%) है। हिमाचल प्रदेश में सबसे कम शहरी जनसंख्या निवास करती है। सर्वाधिक नगरीय जनसंख्या शिमला जिले में 2,01,500 (24.77%) है। सबसे अधिक ग्रामीण जनसंख्या काँगड़ा में 14,20,864 (94.27%) है। लाहौल-स्पीति और किन्नौर की शत-प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है।
  • हिमाचल प्रदेश में आबाद गाँव 17,495, गैर-आबाद गाँव 2,623, और कुल गाँव 20,118 है। कुल्लू जिले में सबसे कम आबाद गाँव है। काँगड़ा जिले में सबसे अधिक आबाद गाँव है जबकि मण्डी जिले में सर्वाधिक गैर-आबाद गाँव है।
  • हिमाचल प्रदेश में 2012 तक 16,31,804 राशन कार्ड, 117 गैस एजेंसी, 13,84,693 एल. पी. जी. उपभोक्ता, 4657 उचित मूल्य की दुकानें थी।
  • हिमाचल प्रदेश में 2011 तक 1,87,604 कर्मचारी राज्य सरकार में कार्यरत थे। हिमाचल प्रदेश में 9908 राजपत्रित कर्मचारी और 1,77,696 गैर-राजपत्रित कर्मचारी कार्यरत थे जिसमें 38,628 कर्मचारी अनुसूचित जाति तथा 12,382 कर्मचारी अनुसूचित जनजाति के हैं।
उद्देश्य:
  1. व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देना : व्यक्तियों के व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास को बढ़ावा देना, उनके कौशल और ज्ञान को बढ़ाना।
  2. मानव संसाधन विकास को बढ़ावा देना : किसी संगठन की सफलता और प्रगति में मानव संसाधनों के महत्व पर जोर देना।
  3. मूल्य संवर्धन : व्यक्तियों को ऐसे मूल्यों से परिचित कराना जो उनके समग्र व्यक्तित्व विकास और कार्य नैतिकता में योगदान करते हैं।
  4. ज्ञान और कौशल संवर्धन : व्यक्तियों और संगठनों को मूल्यवान ज्ञान और कौशल प्राप्त करने के लिए एक मंच प्रदान करना जो उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सके।
  5. शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित करें : निरंतर सीखने को बढ़ावा देने के लिए प्रासंगिक विषयों पर चर्चा, सेमिनार, अभियान, सम्मेलन और कार्यशालाएं आयोजित करना।
  6. सहयोग : ज्ञान के आदान-प्रदान और संयुक्त उद्यमों के लिए विभिन्न संगठनों के साथ सहयोग करना।
  7. अनुसंधान एवं विकास : मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित करना और समुदाय की बेहतरी के लिए निष्कर्षों को लागू करना।

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