भंडारा लंगर किन्नर कैलाश यात्रा, किन्‍नर कैलाश हिमाचल प्रदेश - Bhandara Langar Kinnar Kailash Yatra, Kinner Kailash Himachal Pradesh

भंडारा लंगर किन्नर कैलाश यात्रा, किन्‍नर कैलाश हिमाचल प्रदेश - Bhandara Langar Kinnar Kailash Yatra, Kinner Kailash Himachal Pradesh

किन्‍नर कैलाश हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में तिब्बत सीमा के समीप स्थित ६०५० मीटर ऊँचा एक पर्वत है जो हिन्दू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए विशेष धार्मिक महत्त्व रखता है। इस पर्वत की विशेषता है इसकी एक चोटी पर स्थित प्राकृतिक शिवलिंग। किन्नौर कैलाश परिक्रमा जहाँ आस्थावान हिंदुओं के लिए हिमालय पर होनेवाले अनेक हिन्दू तीर्थों में से एक है, वहीं देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए एक आकर्षक एवं चुनौतीपूर्ण ट्रेकिंग भी।

 हिमालय पर्वत का संबंध न केवल हिंदू पौराणिक कथाओं से है वरन हिंदू समाज की आस्‍था से भी इसका गहरा लगाव है। यह वही हिमालय है जहां से पवित्रतम नदी गंगा का उद्भव गोमुख से होता है। 'देवताओं की घाटी' कुल्लू भी इसी हिमालय रेंज में आता है। इस घाटी में 350 से भी ज्‍यादा मंदिरें स्थित हैं। इसके अलावा अमरनाथ और मानसरोवर झील भी हिमालय पर ही स्थित है। हिमालय अनेक तरह के एडवेंचर के लिए भी विश्‍व प्रसिद्ध है। अगर धर्म की दृष्‍िट से देखा जाए तो यह बौद्ध और सिक्‍ख धर्मों के लिए भी बहुत महत्‍पूर्ण है। हिमालय विश्‍व का सबसे बड़ा 'स्‍नोफिल्‍ड' है, जिसका कुल क्षेत्रफल 45,000 कि॰मी॰ से भी ज्‍यादा है।
किन्नर कैलाश यात्रा, किन्‍नर कैलाश

किन्‍नर कैलाश पौराणिक संदर्भ

सी तरह हिमालय को महिमामंडित करते हुए स्‍वामी विवेकानंद ने एकबार कहा था कि, 'हिमालय प्रकृति के काफी समीप है।..वहां अनेक देवी-देवताओं का निवास है।..महान हिमालय...देवभूमि।' यही कारण है कि भारतवासियों, खासकर हिंदू समाज में हिमालय को देवत्‍व के काफी करीब माना जाता है।

किन्नौर कैलाश परिक्रमा

किन्नर कैलाश यात्रा, किन्‍नर कैलाश
पुरातन काल में लिखित सामग्रियों के अनुसार किन्‍नौर के वासी को किन्‍नर कहा जाता है। जिसका अर्थ है- आधा किन्‍नर और आधा ईश्‍वर है। आम लोगों के लिए निषेध इस क्षेत्र को 1993 में पर्यटकों के लिए खोल दिया गया, जो 19,849 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यहां 79 फूट ऊंचे चट्टान को हिंदू धर्म वाले शिवलिंग मानते हैं, लेकिन यह हिंदू और बौद्ध दोनों के ‍लिए समान रूप से पूजनीय है। दोनों समुदायों के लोगों की इसमें गहरी आस्‍था है। इस शिवलिंग के चारों ओर परिक्रमा करने की इच्‍छा लिए हुए भारी संख्‍या में श्रद्धालु यहां पर आते हैं।

किन्‍नर कैलाश जाने का मार्ग काफी कठिन है। यहां के लिए जानेवाला मार्ग दो बेहद ही मुश्किल दर्रों से होकर गुजरता है। पहला, लालांति दर्रा जो 14,501 फीट की ऊँचाई पर मिलता है और दूसरा चारंग दर्रा है जो 17,218 फीट की ऊँचाई पर है। किन्‍नर कैलाश पर स्थित शिवलिंग जिसका श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं, का प्रारंभ कल्‍पा और त्रिउंग घाटी से होती है जो पुन: कल्‍पा से होते‍ हुए सांगला घाटी की ओर मुड़ती है। पारंपरिक रूप से तीर्थयात्री परिक्रमा के लिए सावन के महीने में यात्रा प्रारंभ करते हैं। यह आमतौर पर परिक्रमा के लिए सबसे उपयुक्‍त समय समझा जाता है। क्‍योंकि इसी अवधि में हिंदुओं का महत्‍वपूर्ण त्‍यौहार जन्माष्टमी भी मनाया जाता है। यात्रा शुरू होने पर तीर्थयात्रियों के लिए विभिन्‍न तरह की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। कुछ तो शुल्‍क के साथ होती है और कुछ सुविधाएं मुफ्त में भी मुहैया कराई जाती हैं। इनमें से कुछ सरकार की ओर से और कुछ निजी संस्‍थाओं के द्वारा उपलब्‍ध कराई जाती हैं। आमतौर पर तीर्थयात्रियों को यह सलाह दी जाती है कि वे अपने साथ कम से कम स्लिपींग बैग जरूर लेकर आएं।

यात्रा

किन्‍नर कैलाश पहला दिन

सबसे पहले सभी यात्रियों को इंडो तिब्‍बत बार्डर पुलिस (आई.टी.बी.पी.) पोस्‍ट पर यात्रा के लिए अपना पंजीकरण कराना होता है। यह पोस्‍ट 8,727 फीट की ऊँचाई पर स्थित है जो किन्‍नौर के जिला मुख्‍यालय रेकांग प्‍यो से 41 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है। उसके बाद लांबार के लिए प्रस्‍थान करना होता है। यह 9,678 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। जो 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां जाने के लिए खच्‍चरों का सहारा लिया जा सकता है।
किन्नर कैलाश यात्रा, किन्‍नर कैलाश

किन्‍नर कैलाश दूसरा दिन

इसके उपरांत 11,319 फीट की ऊँचाई पर स्थित चारांग के लिए चढ़ाई करनी होती है। जिसमें कुल 8 घंटे लगते हैं। लांबार के बाद ज्‍यादा ऊँचाई के कारण पेड़ों की संख्‍या कम होती जाती है। चारांग गांव के शुरू होते ही सिंचाई और स्‍वास्‍थ्‍य विभाग का गेस्‍ट हाउस मिलता है, जिसके आसपास टेंट लगाकर भी विश्राम किया जा सकता है। इसके बाद 6 घंटे की चढ़ाई वाला ललांति (14,108) के लिए चढ़ाई शुरू हो जाती है।

किन्‍नर कैलाश तीसरा दिन

चारांग से 2 किलोमीटर की ऊँचाई पर रंग्रिक तुंगमा का मंदिर स्थित है। इसके बारे में यह कहा जाता है कि बिना इस मंदिर के दर्शन किए हुए परिक्रमा अधुरी रहती है। इसके बद 14 घंटे लंबी चढ़ाई की शुरुआत हो जाती है।

किन्‍नर कैलाश चौथा दिन

इस दिन एक ओर जहां ललांति दर्रे से चारांग दर्रे के लिए लंबी चढ़ाई करनी होती है, वहीं दूसरी ओर चितकुल देवी की दर्शन हेतु लंबी दूरी तक उतरना होता है।

किन्नौर के किन्नरों का इतिहास

किन्नर शब्द का इतिहास और उत्पत्ति - किन्नौर के लोगों के संबंध में - अभी भी विवादास्पद है। किन्नौर के किन्नरों का उल्लेख सभी धार्मिक और पौराणिक ग्रंथों में मिलता है - ऋग्वेद को छोड़कर - जैसे राजतंरगिणी, अमरकोश, मत्स्य पुराण, रामायण, महाभारत, शिव पुराण और विष्णु पुराण ।

महाकाव्यों के इस संकलन में, किन्नरों को एक विशिष्ट जनजाति के रूप में सम्मानित किया गया है, जो अर्ध-देवता हैं - मनुष्य और देवताओं के बीच का एक भाग।

प्रसिद्ध कवि और संत कालिदास ने किन्नौर के किन्नर लोगों के बारे में विस्तार से लिखा है। संस्कृत साहित्य की उत्कृष्ट कृति मेघदूत में कालिदास ने किन्नरों को मधुर आवाज वाले सुंदर लोगों के रूप में वर्णित किया है जो भगवान कुबेर के राज दरबार में गाते और नाचते थे।

किन्नर या किंपुरुष भगवान की संतान हैं। इस देश में जाना मतलब देवलोक में जाना है। समय के साथ किन्नर शब्द ही अपभ्रंश होकर किन्नौर बन गया। यहां पहुंचने के लिए कई रास्ते थे। प्रागैतिहासिक काल से सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला रास्ता यमुना के किनारे कालसी से शुरू होता था। कालसी में आज भी सम्राट अशोक का शिलालेख है। आज लोग किन्नौर जाने के लिए इस रास्ते का इस्तेमाल नहीं करते, लेकिन किन्नौर के लोग कालसी को नहीं भूले हैं; आज भी सर्दियों में वे हजारों भेड़-बकरियों के साथ वहां पहुंचते हैं।

किन्नर कैलाश यात्रा ट्रेन रूट मानचित्र

किन्नौर कैलाश शिवलिंग मार्ग के शीर्ष बिंदु तक पहुंचने के लिए तीन मार्ग हैं।
टैंगलिंग- मलिंग खाता घास के मैदान – गुफा – पार्वती कुंड – किन्नर कैलाश (सबसे अधिक बार चलने वाला मार्ग)।
रिब्बा गांव – बातो कांडा घास के मैदान – पार्वती कुंड – किन्नर कैलाश ।
पुरबनी गांव – पुरबनी कांडा – पार्वती कुंड – किन्नर कैलाश शिवलिंग ।
किन्नर कैलाश ट्रेक के लिए आवश्यक चीज़ें
अच्छी गुणवत्ता वाले वाटरप्रूफ ट्रैकिंग जूतों की एक जोड़ी।
तीन जोड़ी मोज़े.
जलरोधक लंबी पैदल यात्रा पैंट के दो जोड़े।
छोटी पतलून का जोड़ा
ऊनी जंपर्स के दो जोड़े। 
थर्मल टॉप और बॉटम के दो जोड़े
एक नीचे जैकेट.
हेडगियर (1 बीनी/खोपड़ी टोपी, 1 बफ़, और 1 ट्रैकिंग कैप)। 
मोटे दस्तानों की एक जोड़ी
व्यक्तिगत स्वच्छता संबंधी आवश्यक वस्तुएँ (अल्कोहल-आधारित जेल, हैंड सैनिटाइज़र, साबुन, तौलिये, टॉयलेट पेपर, बेबी वाइप्स, आदि) 
यूवी-ब्लॉक धूप का चश्मा।
प्राथमिक चिकित्सा किट।
जल शोधक और निस्पंदन बोतल।

किन्नर कैलाश की यात्रा कब होती है?

किन्नौर कैलाश भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में एक पर्वत है। किन्नौर कैलाश की ऊंचाई 6050 मीटर है और इसे हिंदू और बौद्ध दोनों द्वारा पवित्र माना जाता है। यह यात्रा15-अगस्त- से शुरू होकर 30-अगस्त-तक चल रही है और एक दिन में केवल 200 तीर्थयात्रियों को जाने की अनुमति है।

क्या किन्नर कैलाश ट्रेक मुश्किल है?

किन्‍नर कैलाश जाने का मार्ग काफी कठिन है। यहां के लिए जानेवाला मार्ग दो बेहद ही मुश्किल दर्रों से होकर गुजरता है। पहला, लालांति दर्रा जो 14,501 फीट की ऊँचाई पर मिलता है और दूसरा चारंग दर्रा है जो 17,218 फीट की ऊँचाई पर है।

किन्नर कैलाश क्यों प्रसिद्ध है?

किन्नौर कैलाश शिखर की ऊंचाई 6050 मीटर है और इसे हिंदू और बौद्ध किन्नौरियों दोनों द्वारा पवित्र माना जाता है। इस पर्वत को कभी-कभी तिब्बत में कैलाश पर्वत के साथ भ्रमित किया जाता है। माउंट किन्नर कैलाश (6050 मीटर) एक विशाल अखंड स्तंभ के साथ, जिसका धार्मिक महत्व है।

  1. हिमाचल प्रदेश जिला किन्नौर में मंदिर लाब्रांग किला - Temple Labrang Fort in Himachal Pradesh District Kinnaur
  2. महेश्वर मंदिर किन्नौर जिले हिमाचल प्रदेश - Maheshwar Temple, Kinnaur district, Himachal Pradesh
  3. विश्व का सबसे ऊंचा श्रीकृष्ण मंदिर, पांडवों ने किया था निर्माण (समुद्र तल से ऊंचाई 12000 हजार फ़ीट ) Sri Krishna Temple, was built by the Pandavas
  4. लिप्पा मठ, जंगी गांव, किन्नौर, हिमाचल प्रदेश - Lippa Math, Jangi Village, Kinnaur, Himachal Pradesh
  5. महाबोधि मंदिर - प्रसिद्ध बौद्ध स्थल । किन्नौर, हिमाचल प्रदेश - Mahabodhi Temple - Famous Buddhist site. Kinnaur, Himachal Pradesh
  6. भंडारा लंगर किन्नर कैलाश यात्रा, किन्‍नर कैलाश हिमाचल प्रदेश - Bhandara Langar Kinnar Kailash Yatra, Kinner Kailash Himachal Pradesh
  7. कामाख्या देवी-कामाख्या देवी मंदिर कामरु (किन्नौर हिमाचल प्रदेश ) - Kamakhya Devi-Kamakhya Devi Temple Kamru (Kinnaur Himachal Pradesh)
  8. बेरिंग नाग मंदिर (किन्नौर हिमाचल प्रदेश ) -Bering Nag Mandir (Kinnaur Himachal Pradesh)
  9. माथी मंदिर - मठी मंदिर, किन्नौरमठी मंदिर, किन्नौर, हिमाचल प्रदेश (Mathi Temple - Mathi Temple, Kinnaurmathi Temple, Kinnaur, Himachal Pradesh)
  10. किन्नौर - नारायण-नागिनी मंदिर, कल्पा - Kinnaur - Narayan -Nagini Temple, Kalpa
  11. माँ चंदाइक दुर्गा जी मंदिर कोठी - Maa Chandike Durga Ji Temple Kothi

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