विश्व का सबसे ऊंचा श्रीकृष्ण मंदिर, पांडवों ने किया था निर्माण (समुद्र तल से ऊंचाई 12000 हजार फ़ीट ) Sri Krishna Temple, was built by the Pandavas

 हिमाचल में यहां है विश्व का सबसे ऊंचा श्रीकृष्ण मंदिर, पांडवों ने किया था निर्माण

विश्व का सबसे ऊंचा श्रीकृष्ण मंदिर, पांडवों ने किया था निर्माण



रिकांगपिओ (कुलभूषण): श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर बात दुनिया के सर्वाधिक ऊंचे श्रीकृष्ण मंदिर की, जोकि हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला किन्नौर के निचार खंड के दुर्गम क्षेत्र युला कांडा में स्थापित है। भारत-चीन अंतर्राष्ट्रीय सीमांत क्षेत्र में बसे युला गांव से 12 किलोमीटर की दूरी पर तथा लगभग 12778 फुट की ऊंचाई पर (भागवेन नामक स्थान पर) भगवान श्रीकृष्ण का यह मंदिर झील के बीचोंबीच बना हुआ है। यहां पहुंचने के लिए युला गांव से पैदल लगभग 6-7 घंटे का समय लगता है। समुद्र तल से करीब 12778 फुट की ऊंचाई पर बने इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि इस पवित्र झील में मंदिर का निर्माण महाभारत काल में पांडवों द्वारा वनवास एवं अज्ञातवास काल के दौरान किया गया था, जिससे गांवों की उत्पत्ति के कुछ वर्ष बाद यहां पर जन्माष्टमी पर हर वर्ष बड़ी आस्था व धूमधाम से मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि जब पांडव 12 वर्ष के वनवास पर गए थे तो कुछ वर्षों का वनवास पांडवों ने हिमालय की गोद में गुजारा था तथा कुछ समय युला कंडा में भी वास किया था। 
विश्व का सबसे ऊंचा श्रीकृष्ण मंदिर, पांडवों ने किया था निर्माण
  • शिमला. हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है. यहां पर कांगड़ा, कुल्लू, मंडी सहित तमाम जिलों में देवी-देवताओं के मंदिर हैं, जिनका पौराणिक इतिहास से संबंध हैं. हर साल इन मंदिरों में बड़ी संख्या में श्रद्धालू और टूरिस्ट घूमने पहुंचते हैं. 
  • देशभर में आज क्योंकि कृष्ण जन्माष्टमी की धूम है. ऐसे में हम आपको दुनिया के सबसे ऊंचे कृष्ण मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित है.
  • किन्नौर में पारम्परिक रूप से स्थानीय जाग्रत देवताओं की ज्यादा उपासना प्रचलन है और बुद्ध धर्म का भी प्रभाव है. लेकिन किन्नौर के निचार में यूला कांड़ा में कृष्ण मंदिर है.
  • समुद्र तल से यूला कांड़ा की ऊंचाई 12000 हजार फ़ीट फीट है. किन्नौर जिला की रोरा घाटी में यह मंदिर पड़ता है. मंदिर युला कुंडा झील के बीचोंबीच है.
  • मान्यता है की पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण वनवास के दौरान करवाया था. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए टापरी से लगभग 15 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है.
  • किवदंती के अनुसार, बुशहर रियासत के राजा के हरि सिंह के समय यहाँ जन्माष्ठमी मेले की शुरुआत हुई थी जो आज तक जारी है. जन्माष्टमी के दिन यहां पहुंचे श्रद्धालु किन्नौरी टोपी उल्टी करके झील में डालते हैं.
  • मान्यता है कि अगर टोपी डूबे बिना दूसरे छोर तक पहुंच जाती है तो मनोकामना पूरी हो जाती है और आगामी साल भी खुशहाली लेकर आता है.
  • किन्नौर जिला प्रशासन इस बार 19 अगस्त को यूला कंडा में जिलास्तरीय जन्माष्टमी पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है. यहां पर एक दिन पूर्व स्थानीय लोग, बौद्ध लामा और श्रद्धालु के साथ रीति-रिवाज, लोकगीत और मंत्रों का उच्चारण करते हुए 15 किलोमीटर पैदल चल कर 6 बजे तक सराये भवन तक पहुंचते हैं. फिर अगले दिन पूजा अर्चना करते हैं.

श्रीकृष्ण के जयकारों से गूंजा युला कंडा, खूब चला नाटियों का दौर

युला कांडा में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी जिला स्तरीय जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया गया। पर्व में रिकांगपिओ सहित कल्पा, निचार और पूह खंड के विभिन्न क्षेत्रों से भारी तादाद में श्रद्धालु सुबह ही भगवान श्री कृष्ण के दर्शन को उमडऩा शुरू हो गए थे। 12 किलोमीटर का कठिन सफर तय कर श्रद्धालुओं ने प्राकृतिक सुंदरता से सराबोर झील के बीचोंबीच स्थित पौराणिक एवं ऐतिहासिक मंदिर में श्रीकृष्ण के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। इसके बाद बतौर मुख्य अतिथि वन निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी को किन्नौरी टोपी व खतक्स पहनाकर सम्मानित किया गया। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को जन्माष्टमी की बधाई दी, वहीं इस मौके पर प्रधान युला अंजू नेगी, भागवैन मंदिर कमेटी अध्यक्ष दिवान नेगी, उपाध्यक्ष भीमसैन नेगी, महासचिव वांगडुप छेरिंग, सचिव रंजीत पालसर, वरिष्ठ सलाहकार छेरिंग नरबू और अश्वन देव नेगी, ग्राम विकास सोसायटी के प्रधान प्रीतम कुमार व सचिव राम कृष्ण सहित अन्य मौजूद रहे।

18 प्रकार के फूलों से की जाती है श्रीकृष्ण की पूजा

किन्नौर जिला के युला कंडा में झील के बीचोंबीच स्थित भगवान श्री कृष्ण का मंदिर क्षेत्रवासियों के लिए धार्मिक आस्था का प्रतीक है तथा युला कंडे में कई प्रकार की जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं। जन्माष्टमी के दिन लोगों द्वारा 18 प्रकार के फूलों से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। यह भी मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन जो भी व्यक्ति यदि कंडे में विद्यमान फूलों व अन्य पूजा सामग्री से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।
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  6. भंडारा लंगर किन्नर कैलाश यात्रा, किन्‍नर कैलाश हिमाचल प्रदेश - Bhandara Langar Kinnar Kailash Yatra, Kinner Kailash Himachal Pradesh
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  8. बेरिंग नाग मंदिर (किन्नौर हिमाचल प्रदेश ) -Bering Nag Mandir (Kinnaur Himachal Pradesh)
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