भगवान कृष्ण और मक्खन की चोरी: माखन चोर की अद्भुत कथा
प्रस्तावना
भगवान श्रीकृष्ण का बाल्यकाल अनेक लीलाओं से भरा हुआ है, जिनमें से एक है उनका मक्खन के प्रति विशेष प्रेम। कृष्ण को मक्खन खाना इतना पसंद था कि वे इसे प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे। उनकी यह शरारतें वृंदावन के लोगों के बीच इतनी प्रसिद्ध थीं कि उन्हें "माखन चोर" कहा जाने लगा। इस कथा से हमें सरलता, मासूमियत और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
भगवान कृष्ण का मक्खन पसंद करना
भगवान श्रीकृष्ण को बचपन से ही मक्खन बहुत प्रिय था। वृंदावन में जहां भी मक्खन होता, कृष्ण वहाँ पहुंच जाते। उनकी माँ, यशोदा, उनकी इन शरारतों से अच्छी तरह वाकिफ थीं और मक्खन को ऊँचाई पर बाँध कर रखती थीं ताकि कृष्ण उसे ना ले सकें। लेकिन कृष्ण भी अपनी मस्ती और शरारतों से बाज नहीं आते थे। वे अपने दोस्तों के साथ मिलकर मक्खन चुराने की योजनाएँ बनाते और अपनी मासूमियत से सबका दिल जीत लेते थे।
कृष्ण की माखन चोरी की लीला
एक दिन, जब यशोदा आसपास नहीं थीं, कृष्ण ने अपने दोस्तों को बुलाया। उन्होंने मिलकर एक के ऊपर एक चढ़कर ऊँचाई पर बंधे मक्खन के बर्तन तक पहुँचने की कोशिश की। कड़ी मेहनत के बाद, वे बर्तन तक पहुँच गए और उसे नीचे उतार लिया। फिर, सभी दोस्तों ने मिलकर मक्खन को बड़े मज़े से बाँटकर खाया। कृष्ण की यह लीला इतनी प्यारी थी कि इसे देखकर कोई भी उन पर नाराज़ नहीं हो सकता था।
लेकिन, उनकी खुशी ज्यादा देर तक नहीं टिक सकी। यशोदा अचानक वापस आ गईं और उन्हें कृष्ण की शरारतों का पता चल गया। कृष्ण के सभी दोस्त डर के मारे अपने घरों को भाग गए, लेकिन कृष्ण अकेले ही पकड़े गए। यशोदा ने उन्हें शरारती होने के लिए फटकार लगाई, लेकिन कृष्ण की मासूमियत और उनकी प्यारी मुस्कान देखकर यशोदा का दिल भी पिघल गया। यह घटना उनकी प्यारी शरारतों का एक और उदाहरण बन गई।
कथा की सीख
इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने से बड़ों की बात माननी चाहिए और कभी चोरी नहीं करनी चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण का यह रूप हमें बताता है कि जीवन में शरारतें और मस्ती का भी अपना एक विशेष स्थान होता है, लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि सच्चाई और ईमानदारी से बढ़कर कुछ नहीं है।
उपसंहार
भगवान श्रीकृष्ण की माखन चोरी की कथा हमें उनके बाल्यकाल की मासूमियत और उनके दिव्य रूप की झलक देती है। यह कथा हमें सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी शरारतें क्यों न हों, हमें हमेशा सच्चाई और ईमानदारी का साथ देना चाहिए। श्रीकृष्ण की लीलाएँ हमें हर कदम पर जीवन की महत्वपूर्ण सीखें देती हैं और हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं।
जय श्रीकृष्ण!
यह भी पढ़े
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें