'जय हिंद' का नारा और राम सिंह धौनी: एक अनसुनी कहानी - 'Jai Hind' slogan and Ram Singh Dhoni: An unheard story
राम सिंह धौनी
महान स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह धौनी: 'जय हिंद' के जनक
राम सिंह धौनी, भारत की आजादी के आंदोलन के एक महानायक, जिन्होंने अपनी संपूर्ण जीवन यात्रा को राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उनका जन्म 24 फरवरी 1893 को अल्मोड़ा जिले के तल्ला बिनौला गाँव में हुआ था। अपनी विद्वत्ता और प्रतिभा के चलते वे सालम क्षेत्र के पहले स्नातक बने और उन्होंने इलाहाबाद के क्रिश्चियन कॉलेज से बीए की शिक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।
‘जय हिंद’ का नारा और राम सिंह धौनी
राम सिंह धौनी का नाम उस ऐतिहासिक नारे से भी जुड़ा है जो आज हर भारतीय के दिल में गूंजता है—"जय हिंद"। 1919 में, उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस नारे का इस्तेमाल करना शुरू किया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 1943 में इस नारे को जापान में आजाद हिंद फौज के सैनिकों के बीच प्रसिद्ध किया, लेकिन धौनी द्वारा 1919 में दिया गया यह नारा पहले से ही राष्ट्र के भीतर गूंज रहा था।
सादा जीवन, उच्च विचार
धौनी का जीवन सादगी और उच्च विचारों का प्रतिमान था। उन्होंने सरकारी नौकरी के प्रस्ताव को ठुकरा कर राष्ट्र सेवा को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया। राजस्थान के बीकानेर राज्य के सूरतगढ़ मिडिल स्कूल में हेड मास्टर के रूप में काम करने के बाद, उन्होंने 1921 में यह नौकरी छोड़ दी और जयपुर के फतेहपुर में रामचंद्र नेवटिया हाई स्कूल में सहायक शिक्षक बने।
राजनीतिक जीवन और सामाजिक कार्य
धौनी जी का राजनीतिक जीवन भी महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने फतेहपुर में कांग्रेस कमेटी की स्थापना की और युवाओं को आजादी के आंदोलन में शामिल किया। फतेहपुर में उन्होंने एक 'युवक सभा' और 'साहित्य समिति' की स्थापना की, जिसके माध्यम से उन्होंने शिक्षा, सफाई और नशाबंदी का प्रचार-प्रसार किया। उनके इस अभियान से प्रभावित होकर, भारतीय रियासतों में राजनीतिक आंदोलनों की नींव पड़ी।
साहित्यिक योगदान और देशप्रेम
राम सिंह धौनी एक प्रखर पत्रकार, संपादक और साहित्यकार भी थे। उनकी कविताओं और लेखों में देशप्रेम की भावना स्पष्ट झलकती है। "भारत मैं तुझको श्रद्धा से प्रणाम करता हूं..." जैसी कविताएं उन्होंने राष्ट्र को समर्पित की। उनके लेख और कविताएँ उस समय के पत्रों में प्रकाशित होती थीं, जिससे जनता में देशप्रेम और राष्ट्रीयता की भावना जागृत होती थी।
राष्ट्रीय कांग्रेस और समाज सुधार
1921 से ही राम सिंह धौनी राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े रहे और उन्होंने अल्मोड़ा में कांग्रेस को मजबूत बनाने का कार्य किया। वे 1923 से 1927 तक अल्मोड़ा डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के सदस्य रहे और कुछ समय के लिए डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के चेयरमैन भी बने। धौनी जी ने राष्ट्रीय आन्दोलन में सक्रिय रहते हुए कई समितियों के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया और समाज सुधार के कार्यों में भी अग्रणी भूमिका निभाई।
स्वास्थ्य और अंतिम दिन
1929 में चेचक के रोगियों की सेवा के दौरान वे खुद भी इस बीमारी की चपेट में आ गए, जिससे उनका स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ। अंततः 12 नवंबर 1930 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनका जीवन और कार्य आज भी हमें प्रेरणा देते हैं और उनके योगदान को हम कभी नहीं भूल सकते।
राम सिंह धौनी का जीवन एक महान गाथा है, जो न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अमर रहेगा। उनकी सादगी, निस्वार्थ सेवा और देशभक्ति की भावना आज भी हमें प्रेरित करती है और उनके द्वारा दिया गया 'जय हिंद' का नारा हर भारतीय के दिल में गूंजता रहेगा।
प्रश्न 1: राम सिंह धौनी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर: राम सिंह धौनी का जन्म 24 फरवरी 1893 को अल्मोड़ा जिले के तल्ला बिनौला गांव में हुआ था।
प्रश्न 2: 'जय हिंद' का नारा सबसे पहले किसने दिया था?
उत्तर: 'जय हिंद' का नारा सबसे पहले राम सिंह धौनी ने 1919 में दिया था। बाद में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इसे 1943 में आजाद हिंद फौज के सैनिकों के सामने प्रस्तुत किया।
प्रश्न 3: राम सिंह धौनी ने किस विद्यालय से बी.ए. की पढ़ाई पूरी की?
उत्तर: राम सिंह धौनी ने इलाहाबाद के क्रिश्चियन कॉलेज से बी.ए. की पढ़ाई पूरी की।
प्रश्न 4: राम सिंह धौनी ने सरकारी नौकरी का प्रस्ताव क्यों ठुकरा दिया?
उत्तर: राम सिंह धौनी ने सरकारी नौकरी का प्रस्ताव ठुकरा दिया क्योंकि वह अपने पूरे जीवन को देश सेवा के लिए समर्पित करना चाहते थे और उन्होंने सरकारी नौकरी न करने का निश्चय किया था।
प्रश्न 5: राम सिंह धौनी का साहित्यिक योगदान क्या था?
उत्तर: राम सिंह धौनी एक प्रखर पत्रकार, संपादक और साहित्यकार थे। उन्होंने देश प्रेम पर आधारित कई कविताएँ और लेख लिखे। उनकी कविता 'भारत मैं तुझको श्रद्धा से प्रणाम करता हूं...' देश प्रेम की भावना को उजागर करती है।
प्रश्न 6: राम सिंह धौनी ने किस क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम की अलख जगाई?
उत्तर: राम सिंह धौनी ने फतेहपुर (जयपुर) और सालम क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम की अलख जगाई। उन्होंने यहां कांग्रेस कमेटी की स्थापना की और लोगों में राष्ट्रीय भावना का प्रचार-प्रसार किया।
प्रश्न 7: राम सिंह धौनी का निधन कब हुआ था?
उत्तर: राम सिंह धौनी का निधन 12 नवंबर 1930 को हुआ था।
प्रश्न 8: राम सिंह धौनी ने किस प्रकार के सामाजिक कार्य किए?
उत्तर: राम सिंह धौनी ने समाज में छुआछूत खत्म करने, शिक्षा का प्रचार करने और देश प्रेम की भावना को जगाने के लिए अनेक सामाजिक कार्य किए।
प्रश्न 9: राम सिंह धौनी के साहित्यिक योगदान के उदाहरण कौन से हैं?
उत्तर: राम सिंह धौनी ने 'भारत मैं तुझको श्रद्धा से प्रणाम करता हूं...' और 'बहुत उजाड़ा नंदन वन को खूब दिखाया बंदरपन को...' जैसी कविताएँ लिखीं, जिनमें अंग्रेजों को बंदर कहकर देश से चले जाने का संदेश दिया गया।
प्रश्न 10: राम सिंह धौनी ने कौन-कौन से स्कूलों में अध्यापन कार्य किया?
उत्तर: राम सिंह धौनी ने राजस्थान के सूरतगढ़ मिडिल स्कूल में हेड मास्टर के रूप में और रामचंद्र नेवटिया हाईस्कूल फतेहपुर (जयपुर) में सहायक शिक्षक और प्रधानाध्यापक के रूप में कार्य किया।
राम सिंह धौनी का प्रारंभिक जीवन और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
राम सिंह धौनी ने अपने जीवन को देश की सेवा और स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए समर्पित कर दिया। उनके नेतृत्व में 'जय हिंद' का नारा भारत की आजादी के लिए एक प्रेरक मंत्र बना। इसी प्रकार, उत्तराखंड के अन्य महान सपूत जैसे मोहान जोशी और लेफ्टिनेंट ज्ञान सिंह बिष्ट ने भी आजादी के संघर्ष में अमूल्य योगदान दिया। इन सभी महानायकों ने अपने साहस और समर्पण से देश की सेवा की और हमें स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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