लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट: आजाद हिंद फौज के अमर शहीद - Lieutenant Gyan Singh Bisht: Immortal martyr of Azad Hind Fauj

लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट: आजाद हिंद फौज के अमर शहीद

बलिदान दिवस - 17 मार्च, 1945

आजाद हिंद फौज के लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश और मित्र देशों की ताकतवर सेनाओं के खिलाफ अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया। 17 मार्च, 1945 को लेफ्टिनेंट बिष्ट का बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अमूल्य योगदान के रूप में दर्ज है। 

लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट: आजाद हिंद फौज के अमर शहीद

बलिदान की कथा

जब लेफ्टिनेंट बिष्ट ने देखा कि ब्रिटिश टैंक उनकी फौज को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं, तो उन्होंने आंतरिक बल और सामरिक समझ के साथ बम फेंकने की कोशिश की। हालांकि, बम काम नहीं आए। इस स्थिति को देखकर, उन्होंने अपने सभी साथियों को आदेश दिया कि वे खाइयों को छोड़कर सामने आ जाएं और शत्रुओं का सामना करते हुए मृत्यु को गले लगाएं।

लेफ्टिनेंट बिष्ट की इस वीरता ने उनके साथियों को प्रेरित किया। उन्होंने "भारत माता की जय" और "नेताजी अमर रहें" के नारे लगाते हुए मोर्चे पर आगे बढ़कर शत्रु को कड़ी टक्कर दी। उनकी हिम्मत और नेतृत्व ने भारतीय सैनिकों को प्रेरित किया, जिन्होंने टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों पर हमला किया और अंग्रेज सैनिकों को हराने में सफल रहे।

 आजाद हिन्द फौज के सेनानी

बलिदान की महानता

दो घंटे तक चले इस भीषण युद्ध में 40 भारतीय सैनिकों ने प्राणों की आहुति दी, लेकिन उनकी वीरता ने शत्रुओं की कई गुना अधिक हानि की। लेफ्टिनेंट बिष्ट ने अपनी पूरी फौज को एकत्र कर शत्रु का पीछा करने का निर्णय लिया। इस दौरान, एक गोली उनके माथे में लगी और उन्होंने "जयहिंद" का नारा लगाते हुए बलिदान दिया।

उनके बलिदान से उनकी फौज और अधिक उत्तेजित हो गई और उन्होंने शत्रुओं को खदेड़ दिया। लेफ्टिनेंट बिष्ट ने अपने बलिदान से न केवल महत्वपूर्ण सामरिक केन्द्र की रक्षा की, बल्कि भारतीय फौज के सामर्थ्य और साहस का भी परिचय दिया।

श्रद्धांजलि

लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट का बलिदान आज भी हमें प्रेरित करता है। उनका साहस, बलिदान, और देशभक्ति हमें यह याद दिलाते हैं कि स्वतंत्रता के लिए संघर्ष और बलिदान की राह कितनी कठिन हो सकती है। उनकी वीरता को नमन और शहीदों की इस अमूल्य धरोहर को हम हमेशा याद रखेंगे।

शहीदों की आत्मा को शांति मिले और उनके बलिदान को हम हमेशा याद रखें। जय हिंद!


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