गढ़वाल राइफल्स: भारतीय सेना की शौर्य गाथा - Garhwal Rifles: The saga of bravery in the Indian Army.

गढ़वाल राइफल्स: भारतीय सेना की शौर्य गाथा

गढ़वाल राइफल्स भारतीय सेना की एक प्रमुख रेजिमेंट है, जो अपनी वीरता, साहस और बलिदान के लिए प्रसिद्ध है। यह रेजिमेंट विभिन्न युद्धों, अभियानों और ऑपरेशनों में अपनी शौर्यगाथाओं से इतिहास रच चुकी है। गढ़वाल राइफल्स की इकाइयाँ हमेशा भारतीय सेना की रीढ़ रही हैं, और उन्होंने हमेशा देश की रक्षा के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाई है। इस ब्लॉग में हम गढ़वाल राइफल्स की विभिन्न इकाइयों, उनके योगदान, और इतिहास पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

गढ़वाल राइफल्स की वर्तमान इकाइयाँ

गढ़वाल राइफल्स के तहत कई बटालियन और इकाइयाँ हैं, जिनकी वीरता और शौर्य के किस्से भारतीय सेना के इतिहास में दर्ज हैं। इन इकाइयों ने युद्ध, ऑपरेशनों और आपातकालीन स्थितियों में अपार साहस और वीरता का परिचय दिया है।

1. दूसरी बटालियन (विक्टोरिया क्रॉस पलटन, न्यूवे चैपल, सुपर्ब सेकंड्स)

दूसरी बटालियन को "विक्टोरिया क्रॉस पलटन" के नाम से जाना जाता है, और यह बटालियन ब्रिटिश सेना द्वारा 'विक्टोरिया क्रॉस' से सम्मानित सैनिकों की गौरवमयी परंपरा का हिस्सा है। इस बटालियन ने अपनी वीरता और धैर्य से कई निर्णायक युद्धों में विजय प्राप्त की है।

2. तीसरी बटालियन (तिथवाल बटालियन, तीसरी)

तीसरी बटालियन, जिसे 'तिथवाल बटालियन' के नाम से भी जाना जाता है, ने कई युद्धों में साहसिक कदम उठाए हैं और युद्ध के मैदान में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। इस बटालियन का योगदान भारतीय सेना की सफलता में महत्वपूर्ण रहा है।

3. चौथी बटालियन (नूरानंग बटालियन)

चौथी बटालियन ने 1965 और 1971 के युद्धों में भाग लिया और नूरानंग ऑपरेशन में अपनी वीरता से युद्ध के मोर्चे को बदल दिया। यह बटालियन युद्ध के मैदान में अपनी ताकत और उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध रही है।

4. 5वीं बटालियन (हिली बटालियन)

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में 5वीं बटालियन ने पाकिस्तान के खिलाफ उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और 'हिली बटालियन' के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस बटालियन ने अपनी शौर्यगाथा लिखी और युद्ध के मैदान में दुश्मन को मुह तोड़ जवाब दिया।

5. 6वीं से लेकर 22वीं बटालियन तक

गढ़वाल राइफल्स की बटालियनों की श्रृंखला लंबी है और इनमें से हर बटालियन ने भारतीय सेना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। इन बटालियनों ने हर युद्ध और ऑपरेशन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। युद्धों में अपनी निडरता और शौर्य के लिए इन्हें विभिन्न वीरता पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।

6. 17वीं बटालियन (बटालिक कारगिल बटालियन)

17वीं बटालियन ने 1999 के कारगिल युद्ध में शानदार प्रदर्शन किया। इस बटालियन को 'बटालिक कारगिल बटालियन' के नाम से भी जाना जाता है और इसके सैनिकों ने कारगिल युद्ध में अपनी जान की बाज़ी लगाकर अद्वितीय साहस का परिचय दिया। कारगिल युद्ध में उनकी वीरता ने भारतीय सेना को एक नई दिशा दी।

7. 18वीं बटालियन (द्रास बटालियन)

द्रास बटालियन ने कारगिल युद्ध में दुश्मन के खिलाफ बहादुरी से लड़ा। इस बटालियन ने भारत की सीमाओं की रक्षा करने में अपनी वीरता का परिचय दिया और युद्ध के मैदान में अहम भूमिका निभाई।

गढ़वाल स्काउट्स (हिम तेंदुए)

गढ़वाल स्काउट्स, जिन्हें 'हिम तेंदुए' के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय सेना की एक विशेष इकाई है। यह इकाई दुश्मन की जानकारी जुटाने, छापेमारी मिशनों और अत्यधिक खतरनाक परिस्थितियों में कार्रवाई करने के लिए प्रशिक्षित है। इनका योगदान भारतीय सेना की विशेष ताकत है और यह विशेष रूप से सेना की खुफिया जानकारी और ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाती है।

प्रादेशिक सेना इकाइयाँ

  1. 121 इन्फैंट्री बटालियन प्रादेशिक सेना (गढ़वाल), कोलकाता, पश्चिम बंगाल
    यह बटालियन प्रादेशिक सेना का हिस्सा है और कोलकाता में स्थित है। इस बटालियन ने कई अभियानों और ऑपरेशनों में भाग लिया है।

  2. 127 इन्फैंट्री बटालियन प्रादेशिक सेना (गढ़वाल), देहरादून, उत्तराखंड
    देहरादून में स्थित इस बटालियन ने भी भारतीय सेना के विभिन्न अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

राष्ट्रीय राइफल्स

  1. 14 राष्ट्रीय राइफल्स
    यह इकाई भारतीय सेना के वीरता के प्रतीक के रूप में कार्य करती है और विभिन्न ऑपरेशनों में भाग ले चुकी है।

  2. 36 राष्ट्रीय राइफल्स (द गैलेंट्स, द गैलेंट 36')
    36वीं राष्ट्रीय राइफल्स को 'द गैलेंट 36' के नाम से भी जाना जाता है। यह इकाई भारतीय सेना में अपनी वीरता और साहस के लिए मशहूर है।

  3. 48 राष्ट्रीय राइफल्स
    48वीं राष्ट्रीय राइफल्स की इकाई भी गढ़वाल राइफल्स के साथ जुड़े हुए विभिन्न अभियानों में सक्रिय रूप से भाग ले चुकी है।

पूर्व इकाइयाँ

  1. पहली बटालियन (6 मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में परिवर्तित)
    पहली बटालियन को बाद में 6 मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में बदल दिया गया था, और यह इकाई भारतीय सेना की एक प्रमुख मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री इकाई बन गई है।

निष्कर्ष:

गढ़वाल राइफल्स की इन इकाइयों ने भारतीय सेना की शौर्य परंपरा को आगे बढ़ाया है। इन इकाइयों ने युद्धों, अभियानों और विभिन्न संकटों के दौरान भारत की रक्षा के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। गढ़वाल राइफल्स की शौर्य गाथाएँ भारतीय सेना के इतिहास में हमेशा उज्जवल रहेंगी और भारतीय सेना के वीर सपूतों का बलिदान कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।

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