द्वितीय विश्व युद्ध में गढ़वाल राइफल्स की वीरता (The bravery of the Garhwal Rifles in the Second World War.)

द्वितीय विश्व युद्ध में गढ़वाल राइफल्स की वीरता

द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के दौरान गढ़वाल राइफल्स की बटालियनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस युद्ध के दौरान रेजिमेंट का विस्तार हुआ और नए बटालियनों का गठन किया गया। विशेष रूप से, 4वीं बटालियन को 1940 में और 5वीं बटालियन को 1941 में फिर से खड़ा किया गया। इसके अलावा, 1939 में पेशावर में संचार सुरक्षा के लिए 11वीं (प्रादेशिक) बटालियन और 1941 में 6वीं बटालियन का गठन हुआ था। गढ़वाल राइफल्स के जवानों ने युद्ध के विभिन्न मोर्चों पर बहादुरी से हिस्सा लिया और कई युद्ध सम्मान प्राप्त किए।

मलाया और बर्मा के संघर्ष

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गढ़वाल राइफल्स की बटालियनों ने मलाया और बर्मा के संघर्षों में प्रमुख भूमिका निभाई। विशेष रूप से, दूसरी बटालियन ने 1940 में मलय प्रायद्वीप में कुआंतन में गैरीसन बटालियन के रूप में लड़ाई लड़ी। इस बटालियन ने जापानी आक्रमण के खिलाफ बहादुरी से मुकाबला किया, जिसके कारण इसे 'कुआंतन' और 'मलाया 1941-42' के युद्ध सम्मान प्राप्त हुए। हालांकि, भारी नुकसान के कारण मलायन अभियान के बाद दूसरी बटालियन का अस्तित्व समाप्त हो गया।

इसके बाद 5वीं बटालियन को 1941 में विदेश जाने का आदेश मिला, जो मध्य पूर्व के लिए रवाना हुई। इसने मुआर, जोहोर और सिंगापुर में लंबी और कठिन रियरगार्ड कार्रवाई की। इसके अद्वितीय संघर्षों के कारण इसे कई युद्ध सम्मान प्राप्त हुए। इसी तरह, 1वीं बटालियन ने बर्मा में युद्ध के दौरान "मोनीवा" और अन्य युद्ध सम्मान हासिल किए।

अफ्रीका और इटली में गढ़वाल राइफल्स का योगदान

गढ़वाल राइफल्स की तीसरी बटालियन ने उत्तर अफ्रीका और इटली के युद्धक्षेत्रों में भी वीरता दिखाई। इसने अबीसीनिया, पश्चिमी रेगिस्तान, मिस्र, सीरिया, और इटली में कई लड़ाइयाँ लड़ीं। इसे 'गल्लाबत', 'बरेंटू' और 'मसावा' जैसे युद्ध सम्मानों से सम्मानित किया गया। इसके बाद और भी युद्ध सम्मान मिले, जैसे 'केरेन', 'अम्बा अलागी', 'सिटा डि कास्टेलो' और 'उत्तरी अफ्रीका 1940-43' के थिएटर सम्मान। यह युद्ध की वीरता गढ़वाल राइफल्स की गौरवमयी इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी।

युद्ध के बाद और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

भारत की स्वतंत्रता के बाद, गढ़वाल राइफल्स को भारतीय सेना में स्थानांतरित किया गया। 1947 में भारत के गठन के बाद गढ़वाल रियासत भारतीय संघ में विलय होने वाली पहली रियासतों में से एक थी। युद्ध के बाद, गढ़वाल राइफल्स ने जम्मू और कश्मीर ऑपरेशन में प्रमुख भूमिका निभाई। तीसरी बटालियन ने विशेष रूप से तिथवाल ऑपरेशन में अपनी वीरता दिखाई और उसे युद्ध सम्मान प्राप्त हुआ।

1950 में भारत गणराज्य बनने के बाद रेजिमेंट से 'रॉयल' टाइटल हटा दिया गया और ब्रिटिश से जुड़े प्रतीक भी समाप्त कर दिए गए। हालांकि, रेजिमेंटल लैनयार्ड को पारंपरिक 'रॉयल' फैशन में पहना जाता रहा। 1953 में, रेजिमेंट की तीसरी बटालियन ने कोरिया में संयुक्त राष्ट्र संरक्षक बल में भी योगदान दिया।

निष्कर्ष

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गढ़वाल राइफल्स ने जो साहसिकता और वीरता दिखाई, वह भारतीय सेना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय बन गई। बटालियनों ने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में अपनी वीरता का लोहा मनवाया। इन युद्धों में भाग लेते हुए गढ़वाल राइफल्स ने न केवल युद्ध सम्मान अर्जित किए, बल्कि अपनी कड़ी मेहनत और साहस के साथ भारतीय सेना की प्रतिष्ठा को और ऊँचा किया। आज भी, यह रेजिमेंट भारतीय सेना की प्रमुख और सम्मानित इकाइयों में से एक मानी जाती है।

1. गढ़वाल राइफल्स की भूमिका द्वितीय विश्व युद्ध में क्या थी?

  • द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गढ़वाल राइफल्स की बटालियनों ने विभिन्न मोर्चों पर बहादुरी से भाग लिया। इसमें बर्मा, मलाया, उत्तर अफ्रीका और इटली जैसे प्रमुख युद्धक्षेत्र शामिल थे। गढ़वाल राइफल्स ने कई युद्ध सम्मानों और सम्मान प्राप्त किए।

2. द्वितीय विश्व युद्ध में गढ़वाल राइफल्स के कौन से प्रमुख युद्ध सम्मान प्राप्त हुए?

  • गढ़वाल राइफल्स की बटालियनों ने 'कुआंतन', 'मलाया 1941-42', 'मोनीवा', 'बर्मा 1942-45', 'उत्तरी अराकान', 'केरेन', 'अम्बा अलागी', 'सिटा डि कास्टेलो' और 'इटली 1943-45' जैसे कई युद्ध सम्मान प्राप्त किए।

3. गढ़वाल राइफल्स की कौन सी बटालियन ने बर्मा में विशेष वीरता दिखाई?

  • 1वीं बटालियन ने बर्मा में जापानियों के खिलाफ साहसिक लड़ाई लड़ी और युद्ध सम्मान 'मोनीवा' प्राप्त किया। इसके अतिरिक्त, 4वीं बटालियन और 5वीं बटालियन ने भी बर्मा और मलाया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

4. गढ़वाल राइफल्स की किस बटालियन ने उत्तर अफ्रीका और इटली में युद्ध लड़ा?

  • 3वीं बटालियन ने उत्तर अफ्रीका और इटली में विभिन्न युद्धों में भाग लिया। इसे 'गल्लाबत', 'बरेंटू' और 'मसावा' जैसे युद्ध सम्मान मिले। इसके बाद, इसे 'उत्तरी अफ्रीका 1940-43' और 'इटली 1943-45' के थिएटर सम्मान भी प्राप्त हुए।

5. भारत की स्वतंत्रता के बाद गढ़वाल राइफल्स का क्या हुआ?

  • भारत की स्वतंत्रता के बाद, गढ़वाल राइफल्स को भारतीय सेना में स्थानांतरित किया गया। तीसरी बटालियन ने जम्मू और कश्मीर ऑपरेशन में विशिष्टता से भाग लिया और 'तिथवाल' युद्ध सम्मान प्राप्त किया। 1950 में भारत गणराज्य बनने के बाद 'रॉयल' टाइटल हटा दिया गया।

6. गढ़वाल राइफल्स की 1953 में क्या भूमिका थी?

  • 1953 में, गढ़वाल राइफल्स की तीसरी बटालियन ने कोरिया में संयुक्त राष्ट्र संरक्षक बल में योगदान दिया और वहां शांति स्थापना के कार्य में भाग लिया।

7. गढ़वाल राइफल्स को स्वतंत्रता के बाद कौन सा युद्ध सम्मान प्राप्त हुआ?

  • स्वतंत्रता के बाद, गढ़वाल राइफल्स ने जम्मू और कश्मीर ऑपरेशन में 'तिथवाल' युद्ध सम्मान प्राप्त किया और इसे भारतीय सेना की सबसे सम्मानित बटालियनों में से एक बनने का गौरव प्राप्त हुआ।

8. द्वितीय विश्व युद्ध में गढ़वाल राइफल्स के योगदान को कैसे याद किया जाता है?

  • गढ़वाल राइफल्स की बहादुरी और वीरता को हमेशा याद किया जाता है, खासकर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उनके योगदान के लिए। इन बटालियनों ने कई महत्वपूर्ण युद्धों में भाग लिया और भारतीय सेना को वैश्विक स्तर पर सम्मान दिलाया।

9. गढ़वाल राइफल्स के युद्ध सम्मानों में क्या फर्क होता है?

  • गढ़वाल राइफल्स को 'युद्ध सम्मान' और 'थिएटर सम्मान' प्राप्त हुए हैं। युद्ध सम्मान युद्ध में किसी विशेष घटना या लड़ाई में दिखाए गए अद्वितीय साहस के लिए दिए जाते हैं, जबकि थिएटर सम्मान पूरे अभियान या क्षेत्र के लिए दिए जाते हैं, जैसे 'मलाया 1941-42' और 'बर्मा 1942-45'।

10. गढ़वाल राइफल्स के भविष्य की दिशा क्या है?

  • आज, गढ़वाल राइफल्स भारतीय सेना की एक प्रमुख और सम्मानित रेजिमेंट है। यह अपनी वीरता, समर्पण और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध है और भविष्य में भी भारतीय सेना की प्रमुख इकाई के रूप में योगदान करती रहेगी।

प्रेरणादायक कहानियाँ और वीरता के उदाहरण

प्रेरणादायक उदाहरण और वीरों की कविता

इस लेख में पढ़ें प्रेरणादायक उदाहरण और वीरता पर आधारित कविताएँ।

गढ़वाल राइफल्स: बहादुरी की गाथा

गढ़वाल राइफल्स की वीरता और उनकी गाथाओं के बारे में जानें।

एक सिपाही की उन्नति की कहानी

सेना में उन्नति पाते हुए एक सिपाही की प्रेरणादायक कहानी।

1962 का भारत-चीन युद्ध और वीरता

1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के दौरान दिखाई गई वीरता की झलक।

जसवंत सिंह रावत: अमर गाथा

जसवंत सिंह रावत की वीरता और बलिदान की अमर गाथा।

सेना के उस बहादुर सिपाही की कहानी

राइफलमैन की वीरता की कहानी, जिसने अद्वितीय साहस दिखाया।

1971 का भारत-पाक युद्ध और वीरता की झलक

1971 के युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों की वीरता की अद्भुत कहानियाँ।

1965 का भारत-पाक युद्ध और बहादुरी

1965 के युद्ध के दौरान भारतीय सेना के अदम्य साहस की कहानियाँ।

गबर सिंह नेगी: महान योद्धा और प्रेरणा

गबर सिंह नेगी की वीरता और उनके द्वारा स्थापित प्रेरणा की कहानी।

गबर सिंह नेगी

गबर सिंह नेगी के जीवन और उनकी वीरता के बारे में विशेष लेख।

टिप्पणियाँ

उत्तराखंड के नायक और सांस्कृतिक धरोहर

उत्तराखंड के स्वतंत्रता सेनानी और उनका योगदान

उत्तराखंड के उन स्वतंत्रता सेनानियों की सूची और उनके योगदान, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई।

पहाड़ी कविता और शब्दकोश

उत्तराखंड की पारंपरिक पहाड़ी कविताएँ और शब्दों का संकलन, जो इस क्षेत्र की भाषा और संस्कृति को दर्शाते हैं।

गढ़वाल राइफल्स: एक गौरवशाली इतिहास

गढ़वाल राइफल्स के गौरवशाली इतिहास, योगदान और उत्तराखंड के वीर सैनिकों के बारे में जानकारी।

कुमाऊं रेजिमेंट: एक गौरवशाली इतिहास

कुमाऊँ रेजिमेंट भारतीय सेना की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित पैदल सेना रेजिमेंटों में से एक है। इस रेजिमेंट की स्थापना 18वीं शताब्दी में हुई थी

लोकप्रिय पोस्ट

केदारनाथ स्टेटस हिंदी में 2 लाइन(kedarnath status in hindi 2 line) something

जी रया जागी रया लिखित में , | हरेला पर्व की शुभकामनायें (Ji Raya Jagi Raya in writing, | Happy Harela Festival )

हिमाचल प्रदेश की वादियां शायरी 2 Line( Himachal Pradesh Ki Vadiyan Shayari )

हिमाचल प्रदेश पर शायरी स्टेटस कोट्स इन हिंदी(Shayari Status Quotes on Himachal Pradesh in Hindi)

महाकाल महादेव शिव शायरी दो लाइन स्टेटस इन हिंदी (Mahadev Status | Mahakal Status)

हिमाचल प्रदेश पर शायरी (Shayari on Himachal Pradesh )

गढ़वाली लोक साहित्य का इतिहास एवं स्वरूप (History and nature of Garhwali folk literature)